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बड़ी खबर/न्यूज़/a horrific attack on the dargahs in bangladesh one killed by arson and 22 people injured religious harmony

बांग्लादेश में दरगाहों पर हुआ भीषण हमला: आगजनी से एक की मौत और 22 लोग घायल, धार्मिक सद्भाव पर सवाल।

बांग्लादेश के कुमिला जिले में उपद्रवियों ने 3 सूफी दरगाहों को आग के हवाले कर दिया। घटना में एक की मौत और 22 घायल हुए। जानिए क्यों बढ़ रहे हैं धार्मिक हमले और सरकार पर क्यों उठ रहे सवाल।

बांग्लादेश में दरगाहों पर हुआ भीषण हमला: आगजनी से एक की मौत और 22 लोग घायल, धार्मिक सद्भाव पर सवाल।

बांग्लादेश में दरगाहों पर हुआ भीषण हमला

bangladesh

1:00 PM, Sep 19, 2025

O News हिंदी Desk

बांग्लादेश में मुसलमानों की आस्था पर हमला: दरगाहों में आगजनी, एक की मौत और 22 घायल

ढाका/कुमिला। बांग्लादेश में एक बार फिर धार्मिक असहिष्णुता की चिंगारी भड़क उठी है। मंदिरों के बाद अब उपद्रवियों ने सूफी परंपरा से जुड़े दरगाहों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। ताज़ा मामला कुमिला ज़िले के होमन उपजिले का है, जहां गुरुवार को भीड़ ने तीन प्रसिद्ध दरगाहों में आग लगा दी। इस घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई जबकि 22 लोग घायल बताए जा रहे हैं।

स्थानीय मीडिया और द डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, आगजनी की यह वारदात बेहद संगठित ढंग से की गई। आरोप है कि मस्जिद के लाउडस्पीकर से लोगों को इकट्ठा होने के लिए बुलाया गया और भीड़ ने पहले गुस्से का इजहार किया और फिर देखते ही देखते दरगाहों को आग के हवाले कर दिया।

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किन दरगाहों को बनाया गया निशाना?

रिपोर्ट्स के मुताबिक जिन दरगाहों को फूंका गया, वे कफिल उद्दीन शाह, हवेली शाह और अब्दु शाह से जुड़े थे। ये तीनों ही इस्लामिक मज़हबी गुरु अपने समय में अलग सोच और सूफी विचारधारा का प्रतिनिधित्व करते थे। उनके निधन के बाद कुमिला में उनकी याद में दरगाह स्थापित किए गए, जो स्थानीय लोगों की आस्था का केंद्र बने।

कुमिला और आसपास के इलाकों में इन दरगाहों को मानने वाले अनुयायियों की बड़ी संख्या है। यही वजह है कि इस हमले ने स्थानीय समाज में भय और गुस्से का माहौल पैदा कर दिया है।

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हमले की वजह क्या बताई जा रही है?

पुलिस सूत्रों का कहना है कि यह हमला अचानक नहीं हुआ बल्कि इसकी पृष्ठभूमि दो दिन पहले बनी। दरअसल, कफिल उद्दीन शाह के पोते मोहसिन ने फेसबुक पर इस्लाम और पैगंबर साहब को लेकर एक कथित विवादित टिप्पणी पोस्ट की थी।

➡️ इसके बाद मोहसिन को गिरफ्तार कर लिया गया। ➡️ स्थानीय लोगों ने पहले उसके घर के बाहर प्रदर्शन किया। ➡️ पुलिस ने समझाकर हालात काबू करने की कोशिश की और लौट गई। ➡️ लेकिन मस्जिद से माइक पर एनाउंसमेंट होते ही भीड़ फिर इकट्ठा हो गई। ➡️ इस बार भीड़ आक्रामक थी और उसने सीधा हमला करते हुए दरगाहों को जला डाला।

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पुलिस की कार्रवाई और हालात

बांग्लादेश पुलिस का कहना है कि स्थिति को नियंत्रण में लेने के लिए भारी संख्या में फोर्स तैनात की गई है। पूरे इलाके को सील कर दिया गया है और दंगाइयों की पहचान की जा रही है।

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा: “हमारी पहली प्राथमिकता शांति और कानून-व्यवस्था को बनाए रखना है। दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। जांच चल रही है।”

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धार्मिक स्थलों पर बढ़ते हमले: बड़ा खतरा

यह घटना बांग्लादेश में धार्मिक स्थलों पर बढ़ते हमलों की लंबी कड़ी का हिस्सा है।

  1. ब्रिटेन सरकार की एक रिपोर्ट के अनुसार अगस्त 2024 से दिसंबर 2024 के बीच बांग्लादेश में 133 पूजा स्थलों पर हमले हुए। इनमें ज्यादातर हिंदू मंदिर थे।
  2. वहीं, 100 से अधिक सूफी दरगाहों और मज़हबी ठिकानों पर भी हमले दर्ज किए गए।

इन घटनाओं से साफ है कि बांग्लादेश धार्मिक सहिष्णुता और सामाजिक शांति की गंभीर चुनौती से जूझ रहा है।

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अगस्त 2024 में नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस ने चीफ एडवाइजर का पद संभाला था। उन्होंने शुरुआत में वादा किया था कि धार्मिक आधार पर होने वाली हिंसा और हमलों पर रोक लगाई जाएगी। लेकिन ताज़ा घटनाएं बताती हैं कि उनकी कोशिशें नाकाम होती नज़र आ रही हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार अगर कड़े कदम नहीं उठाती तो बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों और मुस्लिम दरगाहों दोनों पर खतरा और बढ़ सकता है।

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सामाजिक तनाव की असली जड़

बांग्लादेश जैसे समाजों में धार्मिक पहचान अक्सर राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल होती है।

  1. सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट
  2. मस्जिदों या धार्मिक स्थलों से उकसाने वाली घोषणाएं
  3. और प्रशासनिक सुस्ती

ये सभी मिलकर छोटे विवादों को बड़े साम्प्रदायिक टकराव में बदल देते हैं। कुमिला का यह मामला भी उसी का उदाहरण है।

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अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया की संभावना

मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि अगर बांग्लादेश सरकार ने सख्त कदम नहीं उठाए, तो यह मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उठ सकता है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक संस्थाएं पहले ही धार्मिक असहिष्णुता को लेकर ढाका सरकार को चेतावनी दे चुकी हैं।

भारत में भी इस खबर को लेकर चिंता जताई जा रही है, क्योंकि बांग्लादेश की घटनाओं का असर वहां के हिंदू और मुस्लिम समाज पर पड़ता है।

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क्या संदेश देता है यह हमला?

कुमिला में हुई यह घटना केवल दरगाहों पर हमला नहीं, बल्कि उस परंपरा पर हमला है जो इस्लाम में सहिष्णुता, आध्यात्मिकता और भाईचारे की मिसाल मानी जाती है। सूफी परंपरा हमेशा से धर्म के भीतर शांति और प्रेम का संदेश देती आई है।

दरगाहों पर हमला इस बात का संकेत है कि असहिष्णु ताकतें न सिर्फ अल्पसंख्यकों, बल्कि इस्लाम की विविध परंपराओं को भी मिटाने की कोशिश कर रही हैं।

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निष्कर्ष

बांग्लादेश में दरगाहों पर हुआ यह हमला बेहद गंभीर है। यह न केवल मुसलमानों की आस्था पर सीधा आघात है, बल्कि सामाजिक एकता और धार्मिक सहिष्णुता के लिए भी बड़ा खतरा है।

सरकार और प्रशासन के सामने चुनौती है कि वह जल्द से जल्द दोषियों को पकड़कर सख्त सज़ा दे और आम लोगों का विश्वास बहाल करे।

क्योंकि अगर इस तरह की घटनाएं लगातार होती रहीं, तो बांग्लादेश न केवल अपने भीतर बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी अपनी छवि खो सकता है।

Source: Tv9 bhartvarsh

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