Amit Shah ने भरी हुंकार.! नक्सलवाद पर आखरी वार.!
गृह मंत्री अमित शाह ने बड़ा ऐलान किया है— 31 मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद का पूरा खात्मा होगा। जानें नक्सलवाद का इतिहास, मौजूदा हालात और मोदी सरकार की रणनीति। पढ़िए पूरी रिपोर्ट O News Hindi पर।

Amit Shah
delhi
12:41 PM, Oct 3, 2025
O News हिंदी Desk
नक्सलवाद मुक्त भारत का सपना: अमित शाह का बड़ा ऐलान, 31 मार्च 2026 तक होगा सफाया
✦ प्रस्तावना
भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए नक्सलवाद (Naxalism) पिछले पाँच दशकों से सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक रहा है। लाखों निर्दोष लोग, आदिवासी और सुरक्षा बलों के जवान इस हिंसक विचारधारा की चपेट में आए। लेकिन अब गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट कर दिया है कि मोदी सरकार का लक्ष्य है— “31 मार्च 2026 तक भारत को नक्सलवाद से पूरी तरह मुक्त करना।” यह घोषणा न केवल राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है बल्कि सामाजिक और सुरक्षा दृष्टि से भी ऐतिहासिक मानी जा रही है।
✦ नक्सलवाद की जड़ें और इतिहास
नक्सलवाद की शुरुआत 1967 में पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी आंदोलन से हुई थी। भूमिहीन किसानों और गरीब तबके के लिए आंदोलन शुरू हुआ लेकिन धीरे-धीरे यह हिंसक रूप लेने लगा।
- 1980 और 1990 के दशक तक यह आंदोलन झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और बिहार के कई हिस्सों तक फैल गया।
- रिपोर्ट्स के अनुसार, पिछले पाँच दशकों में नक्सली हिंसा में 12,000 से अधिक लोग मारे गए हैं, जिनमें सुरक्षाबलों के हजारों जवान भी शामिल हैं।
✦ मोदी सरकार की रणनीति
मोदी सरकार ने नक्सलवाद के खिलाफ बहुआयामी रणनीति अपनाई है—
- सुरक्षा बलों की तैनाती – केंद्रीय बलों और राज्य पुलिस की संयुक्त कार्रवाई।
- आधुनिक तकनीक का उपयोग – ड्रोन, सैटेलाइट और ट्रैकिंग सिस्टम के जरिए नक्सली गतिविधियों पर नज़र।
- विकास की राजनीति – सड़क, बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं का विस्तार।
- पुनर्वास नीति – आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को मुख्यधारा से जोड़ना।
अमित शाह ने कहा है—
“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हम 2026 तक भारत को नक्सलवाद से मुक्त करने में सफल होंगे। आज यह समस्या अपने अंतिम दौर में है।”
✦ अमित शाह का बड़ा ऐलान
दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने साफ शब्दों में कहा—
- “नक्सलवाद अब खत्म होने की कगार पर है।”
- “31 मार्च 2026 तक देश पूरी तरह नक्सल-मुक्त होगा।”
- “जिन इलाकों में कभी सुरक्षा बलों का प्रवेश मुश्किल था, वहाँ अब विकास की रफ्तार तेज हो गई है।”
यह बयान नक्सल प्रभावित राज्यों के लिए आशा की किरण है, क्योंकि दशकों से वहाँ भय और असुरक्षा का माहौल रहा है।
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✦ नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की मौजूदा स्थिति
सरकारी आंकड़ों के अनुसार:
- 2010 में जहां 200 से ज्यादा जिलों में नक्सली गतिविधियां थीं, वहीं अब यह संख्या घटकर लगभग 45 जिलों तक सिमट गई है।
- छत्तीसगढ़ और झारखंड अभी भी सबसे ज्यादा प्रभावित हैं, लेकिन वहां भी नक्सलियों का नेटवर्क लगातार कमजोर हो रहा है।
- आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों की संख्या पिछले पाँच वर्षों में दोगुनी हो गई है।
✦ जनता पर असर
नक्सलवाद केवल सुरक्षा बलों की समस्या नहीं रहा, बल्कि इसने स्थानीय जनता को सबसे ज्यादा प्रभावित किया।
- शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं प्रभावित हुईं।
- आदिवासी बच्चों का भविष्य अंधकारमय रहा।
- विकास कार्य ठप हो गए।
लेकिन अब सरकार का दावा है कि नए स्कूल, अस्पताल और सड़क परियोजनाएं नक्सल प्रभावित इलाकों में तेजी से शुरू हो चुकी हैं।
✦ विपक्ष की प्रतिक्रिया
जहां सरकार इसे “ऐतिहासिक मिशन” बता रही है, वहीं विपक्ष का कहना है कि “सिर्फ घोषणाओं से नक्सलवाद खत्म नहीं होगा, ज़मीन पर ठोस नतीजे चाहिए।” कांग्रेस और कुछ क्षेत्रीय दलों ने सवाल उठाया है कि क्या 2026 तक यह संभव है?
✦ निष्कर्ष
अमित शाह का यह ऐलान भारत की राजनीति और सुरक्षा व्यवस्था दोनों के लिए बेहद अहम है। अगर सरकार अपने लक्ष्य में सफल होती है, तो यह भारत की आंतरिक सुरक्षा की सबसे बड़ी जीत होगी। नक्सलवाद का खात्मा न केवल शांति और विकास का रास्ता खोलेगा, बल्कि देश की एकता और अखंडता को और मजबूत करेगा।
👉 अब सवाल यह है कि क्या 2026 तक सचमुच नक्सलवाद का सफाया हो पाएगा या यह सिर्फ एक राजनीतिक वादा साबित होगा?
Source: Onewshindi