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Bareilly Violence Update: बिहार-बंगाल से बुलाए गए उपद्रवी, 55 गिरफ्तार; तौकीर रजा के करीबी पर आरोप

Bareilly Violence Update: बरेली में हाल ही में भड़की हिंसा की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। पुलिस के अनुसार, मौलाना तौकीर रजा के करीबी नदीम ने IMC ग्रुप में मैसेज भेजकर बिहार और बंगाल से उपद्रवियों को बुलाया था। शुक्रवार की नमाज के बाद “आई लव मोहम्मद” पोस्टर लेकर भीड़ सड़कों पर उतरी और हिंसा फैल गई। अब तक 55 आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं। पुलिस ने 10 FIR दर्ज की हैं और 2500 अज्ञात लोगों पर केस दर्ज कि

Bareilly Violence Update: बिहार-बंगाल से बुलाए गए उपद्रवी, 55 गिरफ्तार; तौकीर रजा के करीबी पर आरोप

Bareilly Violence Update

उत्तर प्रदेश/बरेली

1:24 PM, Sep 30, 2025

O News हिंदी Desk

Bareilly Violence Update: बरेली हिंसा में बिहार-बंगाल कनेक्शन, तौकीर रजा के करीबी पर साजिश रचने का आरोप; 55 आरोपी गिरफ्तार

Bareilly News Today: उत्तर प्रदेश के बरेली में पिछले दिनों भड़की हिंसा ने एक बार फिर प्रदेश की कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। ताजा जांच में बड़ा खुलासा हुआ है कि बरेली में हुए बवाल के पीछे बाहरी उपद्रवियों की भी भूमिका रही। पुलिस की जांच में सामने आया है कि हिंसा भड़काने के लिए बिहार और पश्चिम बंगाल से लोगों को बुलाया गया था। इस मामले में अब तक 55 आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं और कई की आपराधिक पृष्ठभूमि सामने आई है।

IMC ग्रुप से मैसेज के जरिए रची गई थी साजिश

पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि मौलाना तौकीर रजा के करीबी नदीम ने "इत्तेहादी मिल्लत काउंसिल (IMC)" के व्हाट्सएप ग्रुप में एक मैसेज भेजा था। इस मैसेज के जरिए उसने जुम्मे की नमाज के बाद इस्लामिया ग्राउंड, बरेली में इकट्ठा होने की अपील की थी। इसी अपील के बाद बिहार और बंगाल से उपद्रवी बरेली पहुंचे। इनमें पश्चिम बंगाल का मुसारोफ शेख और बिहार का शमशेर रजा शामिल है।

पुलिस ने इन आरोपियों से 12 बोर का तमंचा और जिंदा कारतूस भी बरामद किए हैं। यानी हिंसा केवल अचानक भड़की भीड़ का नतीजा नहीं थी, बल्कि इसे सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया।

“आई लव मोहम्मद” पोस्टरों के साथ उतरी भीड़

न्यूज़ एजेंसी PTI/भाषा के अनुसार, जुमे की नमाज के बाद मुस्लिम समाज के सैकड़ों लोग "आई लव मोहम्मद" लिखे पोस्टर और बैनर लेकर सड़कों पर उतरे। शुरुआत में यह एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन जैसा दिख रहा था, लेकिन अचानक कुछ शरारती तत्वों ने खलील स्कूल चौराहे और श्यामगंज इलाके में तोड़फोड़ और पथराव करना शुरू कर दिया।

स्थिति को काबू में लाने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज करना पड़ा। इसके बाद माहौल और बिगड़ गया और कई जगहों पर भीड़ ने पुलिस बल पर हमला करने की कोशिश की।

पुलिस जांच में सामने आया बड़ा खेल

जांच अधिकारियों के अनुसार, नदीम और उसके सहयोगियों ने हिंसा की पूरी साजिश पहले ही रच ली थी। योजना CAA-NRC विरोध प्रदर्शनों की तर्ज पर बनाई गई थी। आरोप है कि भीड़ में नाबालिगों को आगे रखने की रणनीति भी उसी पैटर्न पर थी ताकि पुलिस पर दबाव बनाया जा सके और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवाद को हवा दी जा सके।

गौर करने वाली बात यह है कि गुरुवार की रात नदीम अपने साथियों नफीस और लियाकत के साथ पुलिस के पास गया और अधिकारियों को यह भरोसा दिलाया कि शुक्रवार को कोई प्रदर्शन नहीं होगा। उसने पुलिस को एक पत्र भी सौंपा, लेकिन जांच में वह पत्र फर्जी (Fake Document) निकला। यानी हिंसा से पहले पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की गई थी।

अब तक दर्ज हुई 10 FIR और 2500 अज्ञात आरोपी

पुलिस ने इस मामले में अब तक 10 प्राथमिकी (FIRs) दर्ज की हैं। इनमें 180 नामजद और 2500 अज्ञात आरोपी शामिल हैं। आरोपियों पर दंगा करने, हिंसा भड़काने, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और अवैध हथियार रखने जैसी गंभीर धाराओं के तहत कार्रवाई की जा रही है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साफ चेतावनी दी है कि कानून-व्यवस्था बिगाड़ने की किसी भी कोशिश को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों पर कठोरतम कार्रवाई होगी।

बरेली और आसपास के जिलों में कड़ी सुरक्षा

हिंसा के बाद पूरे बरेली में सुरक्षा व्यवस्था बेहद सख्त कर दी गई है। शहर के संवेदनशील इलाकों में पुलिस और अर्धसैनिक बल की तैनाती की गई है। सोमवार को भी बरेली और आसपास के इलाकों में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बाधित रहीं।

स्थानीय प्रशासन ने आशंका जताई है कि इस तरह की घटनाएं दोबारा हो सकती हैं, इसलिए धारा 144 लागू है।

क्या है हिंसा की असली वजह?

पुलिस के मुताबिक, हिंसा की जड़ केवल धार्मिक नाराजगी नहीं थी, बल्कि इसके पीछे राजनीतिक और वैचारिक एजेंडा भी छिपा था।

  1. पहला, यह पूरी तरह से एक संगठित साजिश थी ताकि राज्य की कानून-व्यवस्था पर दबाव बनाया जा सके।
  2. दूसरा, इसमें बाहरी राज्यों से उपद्रवियों को बुलाकर भीड़ को बड़ा करने की कोशिश की गई।
  3. तीसरा, CAA-NRC विरोध प्रदर्शन के पैटर्न पर इसे अंजाम दिया गया ताकि अंतरराष्ट्रीय मीडिया का ध्यान खींचा जा सके।

विपक्ष का रुख और राजनीतिक बयानबाजी

जहां सरकार और पुलिस प्रशासन इस पूरे मामले को गंभीर साजिश बता रहे हैं, वहीं विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार इस घटना का इस्तेमाल अपने राजनीतिक फायदे के लिए कर रही है। हालांकि, अब तक की पुलिस जांच और गिरफ्तारियां इस ओर इशारा करती हैं कि यह केवल स्थानीय विवाद नहीं था, बल्कि एक बड़ी और सोची-समझी योजना थी।

निष्कर्ष

बरेली की हिंसा ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि किसी भी साजिश को अंजाम देने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और मैसेजिंग ऐप्स का गलत इस्तेमाल किस तरह से किया जा सकता है। नदीम द्वारा भेजे गए मैसेज से लेकर बिहार-बंगाल से बुलाए गए उपद्रवियों की भूमिका तक, हर पहलू इस बात की पुष्टि करता है कि यह घटना अचानक नहीं बल्कि पूर्वनियोजित थी।

उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस प्रशासन अब इस केस को राज्य की सुरक्षा से जुड़ी बड़ी चुनौती मानकर कार्रवाई कर रहे हैं। आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियां हो सकती हैं और यह भी साफ होगा कि आखिर इस पूरी हिंसा के पीछे किसका दिमाग था और फंडिंग कहां से हुई।

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