Bihar Chunav Survey 2025: मुस्लिम वोटर बनेंगे गेमचेंजर?
Bihar Election 2025 Survey: एनडीए और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर। मुस्लिम वोटर इस बार बना सकते हैं गेमचेंजर, जानें पूरी रिपोर्ट।

Bihar Chunav Survey 2025 ( Image AI )
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12:18 PM, Sep 25, 2025
O News हिंदी Desk
Bihar Chunav Survey 2025: मुस्लिम वोटर बन सकते हैं गेमचेंजर, सर्वे ने तेजस्वी की बढ़ाई टेंशन
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का बिगुल बजने ही वाला है और राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। चुनावी माहौल में हर दल अपनी रणनीति को अंतिम रूप देने में जुटा है। ऐसे में The Ascendia का ताज़ा सर्वे “Battle of Bihar 2025” सामने आया है, जिसने सियासी सरगर्मियों को और भी गरमा दिया है। सर्वे के मुताबिक, इस बार का चुनाव पूरी तरह कांटे का मुकाबला होने जा रहा है। एनडीए और महागठबंधन (MGB) के बीच सीधी टक्कर दिख रही है, लेकिन मामूली बढ़त एनडीए के पक्ष में जाती दिख रही है।
सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि इस बार मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका में नजर आ रहे हैं। बिहार की राजनीति में यह समुदाय हमेशा से किंगमेकर की भूमिका निभाता आया है, लेकिन 2025 का चुनाव उनके लिए और भी अहम माना जा रहा है।
बिहार में मुस्लिम वोटर की भूमिका क्यों अहम?
बिहार की कुल आबादी में मुस्लिम समुदाय की हिस्सेदारी लगभग 17% है। यह वोट बैंक किसी भी दल की हार-जीत तय करने की क्षमता रखता है। 2020 विधानसभा चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं का करीब 75% वोट महागठबंधन के खाते में गया था, जबकि लगभग 17% वोट AIMIM को मिले थे। AIMIM और RJD के अलग-अलग चुनाव लड़ने से कई सीटों पर महागठबंधन को नुकसान उठाना पड़ा।
2024 लोकसभा चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं ने AIMIM से दूरी बनाते हुए करीब 83% वोट महागठबंधन को दिया, जिससे महागठबंधन को मजबूती मिली। लेकिन 2025 के विधानसभा चुनाव में हालात कुछ अलग दिख रहे हैं। सर्वे बताता है कि मुस्लिम वोटर अब पूरी तरह से सतर्क हो गए हैं और वे इस बार “ब्लाइंड सपोर्ट” देने के मूड में नहीं दिख रहे।
मुस्लिम नाराज क्यों हैं?
सर्वे के अनुसार मुस्लिम मतदाताओं में इस बार असंतोष की लहर है। इसके पीछे कई वजहें बताई गई हैं –
- राजनीतिक प्रतिनिधित्व की कमी – मुस्लिम समाज के नेताओं को टिकट बंटवारे और बड़े पदों में पर्याप्त जगह नहीं मिल रही।
- ‘वोटर अधिकार यात्रा’ में अनदेखी – राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की हालिया यात्रा में मुस्लिम चेहरों को आगे नहीं लाया गया, जिससे समुदाय में नाराजगी गहरी हुई।
- डिप्टी सीएम की मांग – समुदाय के बड़े हिस्से की मांग है कि अगर महागठबंधन सत्ता में आता है, तो उन्हें उपमुख्यमंत्री पद दिया जाए।
इन सब वजहों से मुस्लिम समाज अब महागठबंधन पर “शर्तीय समर्थन” देने की सोच रहा है।
प्रशांत किशोर की एंट्री से समीकरण बदले
इस बार प्रशांत किशोर (PK) की पार्टी जन सुराज पार्टी (JSP) भी मैदान में है। PK खुले तौर पर मुस्लिम समुदाय को ज्यादा प्रतिनिधित्व देने की बात कर रहे हैं। हालांकि, सर्वे में यह साफ दिख रहा है कि मुस्लिम वोटरों में PK को लेकर संदेह बना हुआ है।
- कई लोग मानते हैं कि PK की रणनीति ने 2024 के उपचुनावों में महागठबंधन को नुकसान पहुंचाया।
- PK की फंडिंग और बीजेपी से “करीबी” के आरोप भी लगातार लगते रहे हैं।
- इसलिए मुस्लिम समाज अभी JSP को लेकर पूरी तरह भरोसे में नहीं है।
फिर भी PK की मौजूदगी वोट कटवा फैक्टर के तौर पर असर डाल सकती है, जिसका सीधा फायदा एनडीए को मिल सकता है।
एनडीए बनाम महागठबंधन: कांटे की टक्कर
सर्वे के नतीजे बताते हैं कि बिहार का मुकाबला बेहद रोमांचक होगा।
- एनडीए (BJP + JDU + HAM) मामूली बढ़त बनाता दिख रहा है।
- महागठबंधन (RJD + Congress + Left) कड़ी टक्कर दे रहा है।
- AIMIM और JSP जैसे दल कुछ सीटों पर नतीजे पलट सकते हैं।
अगर मुस्लिम वोट पूरी तरह महागठबंधन के पक्ष में जाते हैं, तो समीकरण महागठबंधन के हक में झुक सकता है। लेकिन अगर वोटों में बिखराव होता है, तो एनडीए इसका सबसे बड़ा लाभार्थी होगा।
मुस्लिम वोटरों की दुविधा
सर्वे में यह भी सामने आया कि मुस्लिम मतदाता इस बार ज्यादा सोच-समझकर फैसला करेंगे। उनकी दुविधा है कि –
- क्या महागठबंधन को फिर से पूरा समर्थन दिया जाए?
- या AIMIM और JSP जैसे दलों को भी मौका दिया जाए?
- या फिर किसी रणनीतिक मतदान (Strategic Voting) के जरिए एनडीए को रोकने की कोशिश की जाए?
यानी इस बार मुस्लिम वोटरों का मूड चुनाव नतीजों पर सीधा असर डालने वाला है।
जातीय समीकरणों का गणित
बिहार का चुनाव हमेशा से जातीय समीकरण पर टिका रहा है। यादव और मुस्लिम का गठजोड़ (MY Factor) RJD की ताकत माना जाता है। वहीं बीजेपी और जेडीयू का गठबंधन “सवर्ण + पिछड़ा + महादलित” समीकरण पर काम करता है।
लेकिन 2025 में यह चुनाव सिर्फ जातीय नहीं रहेगा, बल्कि मुस्लिम वोटर की रणनीति भी मुख्य धुरी बनने जा रही है।
संभावित तस्वीर
- अगर मुस्लिम वोटर पूरी तरह महागठबंधन के साथ जाते हैं → RJD को सीधा फायदा।
- अगर मुस्लिम वोटों में बिखराव होता है → एनडीए को बढ़त मिल सकती है।
- अगर JSP या AIMIM महत्वपूर्ण सीटों पर सेंध लगाते हैं → महागठबंधन को नुकसान।
चुनावी खेला तय करेगा मुस्लिम फैक्टर
2025 का बिहार विधानसभा चुनाव इस मायने में ऐतिहासिक हो सकता है कि यहां सिर्फ दो गठबंधनों की लड़ाई नहीं होगी, बल्कि एक समुदाय का मूड पूरी तस्वीर बदल सकता है। मुस्लिम वोटरों का रुझान तय करेगा कि अगली सरकार पटना में किसकी बनेगी।
फिलहाल, सर्वे ने यह साफ कर दिया है कि मुकाबला कांटे का होगा। लेकिन तेजस्वी यादव और महागठबंधन के लिए असली चुनौती मुस्लिम समाज की नाराजगी को दूर करना और उन्हें पूरी तरह अपने साथ जोड़ना है। अगर यह चुनौती हल नहीं हुई तो 2025 का चुनाव उनके हाथ से फिसल सकता है।
निष्कर्ष
बिहार की राजनीति हमेशा से जातीय समीकरण, गठबंधन की मजबूती और छोटे वोट बैंक की निर्णायक भूमिका पर टिकी रही है। लेकिन 2025 के चुनाव में मुस्लिम वोटर असली “गेमचेंजर” साबित हो सकते हैं।
तेजस्वी यादव और महागठबंधन के लिए यह समय चेतावनी का है कि वे समय रहते मुस्लिम समुदाय की नाराजगी को दूर करें, वरना मामूली बढ़त के साथ एनडीए सत्ता की सीढ़ियां चढ़ सकता है।
Source: News 18