बिहार चुनाव 2025: मुस्लिम वोटर तेजस्वी, नीतीश या BJP के साथ?
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में मुस्लिम वोटर किसका साथ देंगे? वक्फ बोर्ड बिल और विकास एजेंडा पर BJP, राजद और एआईएमआईएम की जंग का विश्लेषण।

बिहार चुनाव 2025 ( Image AI )
बिहार
1:26 PM, Oct 1, 2025
O News हिंदी Desk
बिहार विधानसभा चुनाव 2025: मुस्लिम वोटर किसके साथ, तेजस्वी, नीतीश या प्रशांत किशोर?
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में इस बार मुस्लिम वोटरों का रुख तय करना सभी बड़ी पार्टियों के लिए चुनौती बन गया है। पिछले चुनावों की तुलना में इस बार मुस्लिम वोटरों पर राजनीतिक पार्टियों की निगाहें तेज हैं। मुख्य वजह है वक्फ बोर्ड संशोधन बिल और राज्य में बढ़ते राजनीतिक समीकरण। सवाल ये है कि क्या इस बार मुस्लिम वोटर वक्फ बोर्ड संशोधन कानून और स्थानीय प्रशासनिक सुधारों के आधार पर वोट करेंगे या फिर पारंपरिक समीकरण ही उनकी पसंद तय करेंगे।
वक्फ बोर्ड संशोधन बिल और जेडीयू का रुख
वक्फ बोर्ड संशोधन बिल ने बिहार में मुस्लिम वोटरों के बीच हलचल मचा दी है। जेडीयू सांसद और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने इस बिल को लेकर साफ किया कि यह बिल किसी भी तरह से मुस्लिम विरोधी नहीं है। उन्होंने कहा कि वक्फ ट्रस्ट का उद्देश्य सभी वर्गों के लोगों के साथ न्याय करना है और पीएम मोदी ने देश के हित में यह कदम उठाया है। ललन सिंह ने कहा, “2013 में हुए कब्जों को हटाकर पीएम मोदी ने इसे आम मुसलमानों के कल्याण के लिए पुनर्निर्देशित किया है।”
हालांकि, इस बिल पर जेडीयू के अंदर और मुस्लिम नेताओं में मतभेद भी देखने को मिला। कुछ नेताओं ने जेडीयू पर RSS से मिलकर मुस्लिम विरोधी काम करने का आरोप लगाया। इसके बावजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चुप्पी ने मुस्लिम समाज में जेडीयू के प्रति विश्वास को थोड़ा प्रभावित किया।
मुस्लिम वोटरों को लेकर जेडीयू की निराशा
बीते विधानसभा चुनाव 2020 में जेडीयू ने 11 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया था, लेकिन मुस्लिम वोटरों का भरोसा खुलकर NDA पर नहीं दिखा। इसका नतीजा यह हुआ कि जेडीयू को इन सभी 11 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने मीडिया में भी स्वीकार किया कि मुस्लिम वोटरों का झुकाव उम्मीद के मुताबिक नहीं था।
विशेषज्ञों के अनुसार, मुस्लिम समुदाय ने जेडीयू की प्रशंसा जरूर की, लेकिन बीजेपी के साथ गठबंधन में जेडीयू का लाभ मुस्लिम वोटरों से नहीं मिला। यह स्थिति इस बात का संकेत है कि मुस्लिम वोटरों का भरोसा अब केवल जेडीयू पर केंद्रित नहीं है।
राजद का MY समीकरण
राजद की ओर से पिछले कुछ सालों में MY समीकरण को मजबूती दी गई है। यह समीकरण लालू प्रसाद यादव के राजनीतिक सामर्थ्य और मुस्लिम समुदाय के साथ उनके लंबे समय के रिश्तों पर आधारित है। 2020 में तेजस्वी यादव ने इस समीकरण को काफी हद तक इस्तेमाल किया।
हालांकि, वक्फ बोर्ड संशोधन बिल और घुसपैठिया मुद्दा ने मुस्लिम वोटरों के बीच चिंता पैदा की। बीजेपी और एनडीए का प्रशासनिक और कानून-व्यवस्था पर फोकस, मुस्लिम समुदाय को प्रभावित करने वाले मामलों में तेजी से कार्रवाई करना और विकास कार्यों पर जोर देना मुस्लिम मतदाताओं के बीच सकारात्मक संदेश भेज रहा है।
राजद को अभी भी मुस्लिम वोटरों से कुछ हद तक समर्थन मिलने की संभावना है, लेकिन ये समर्थन केंद्र और राज्य में बीजेपी की विकास नीतियों के मुकाबले संतुलित नहीं कहा जा सकता।
एआईएमआईएम और जनसुराज का प्रभाव
एआईएमआईएम ने पिछली बार पांच सीटें जीतकर बिहार में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। इस बार ओवैसी की पार्टी ने खुद को BJP की बी टीम के टैग से अलग करने की कोशिश की। हालांकि, राजद से गठबंधन न होने के कारण उनका रणनीतिक विकल्प सीमित है।
वहीं, जनसुराज पार्टी और प्रशांत किशोर भी मुस्लिम वोटरों को अपने पक्ष में करने के प्रयास में हैं। प्रशांत किशोर ने कहा था कि 75 विधानसभा सीटों पर वे मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट देंगे। लेकिन मुस्लिम मतदाता उनकी नई पार्टी के प्रति कितने विश्वसनीयता महसूस करेंगे, यह अभी तक साफ नहीं है।
बीजेपी का सबका साथ, सबका विकास फॉर्मूला
बीजेपी की रणनीति हमेशा से रही है कि सबका साथ, सबका विकास के एजेंडे को मुख्य मुद्दा बनाया जाए। बिहार में पिछले कुछ सालों में राज्य और केंद्र सरकार ने विकास कार्यों, कानून-व्यवस्था, और सामाजिक कल्याण योजनाओं पर फोकस किया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि मुस्लिम वोटरों में बीजेपी के प्रशासनिक और विकास कार्यों की सराहना बढ़ रही है। वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पर केंद्र सरकार और जेडीयू के रुख ने मुस्लिम वोटरों के बीच यह संदेश भेजा कि BJP मुस्लिम हितों के मामलों में भी सक्रिय है।
इसके अलावा, बीजेपी ने शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार जैसे मुद्दों पर मुस्लिम समुदाय को सीधे लाभ पहुंचाने के लिए कई योजनाओं को लागू किया। इसका असर चुनावी जमीन पर निश्चित रूप से देखने को मिलेगा।
मुस्लिम वोटर किसके साथ?
2025 के चुनाव में मुस्लिम वोटरों का झुकाव अभी भी कई पक्षों में बंटा हुआ है:
- राजद और MY समीकरण: पारंपरिक और राजनैतिक भरोसे के आधार पर कुछ मुस्लिम वोटर राजद के साथ होंगे।
- एआईएमआईएम और जनसुराज: नये विकल्प की तलाश में कुछ वोटर इन पार्टियों की ओर जा सकते हैं।
- बीजेपी और जेडीयू: विकास, प्रशासनिक सुधार, और वक्फ बोर्ड बिल के बाद कुछ मुस्लिम वोटर BJP और NDA की ओर आकर्षित हो सकते हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, मुस्लिम वोटरों के बीच बीजेपी की स्वीकार्यता पिछले चुनावों की तुलना में बढ़ी है, खासकर उन इलाकों में जहां विकास और कानून-व्यवस्था पर बीजेपी ने ठोस कदम उठाए हैं।
निष्कर्ष
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 मुस्लिम वोटरों के लिए सबसे बड़ा लिटमस टेस्ट साबित होने वाला है। वक्फ बोर्ड संशोधन बिल, विकास कार्य, प्रशासनिक सुधार और MY समीकरण सभी फैक्टर इस समुदाय की चुनावी पसंद को प्रभावित करेंगे।
हालांकि, एक बात तय है कि बीजेपी ने इस बार सबका साथ, सबका विकास के एजेंडे के तहत मुस्लिम हितों को भी नजरअंदाज नहीं किया। विकास, प्रशासनिक जवाबदेही, और कानून-व्यवस्था पर BJP की सक्रियता इसे मुस्लिम वोटरों के बीच आकर्षक विकल्प बना रही है।
राजद और तेजस्वी यादव अभी भी मुस्लिम वोटरों के लिए एक मजबूत विकल्प हैं, लेकिन बीजेपी की ठोस नीतियां और विकास एजेंडा उन्हें इस समुदाय के कुछ वोटरों को आकर्षित करने में मदद कर सकता है।
इसलिए, बिहार के मुस्लिम वोटर इस बार राजनीतिक, धार्मिक और विकासीय समीकरण को मिलाकर अपना वोट देंगे। यह चुनाव न केवल पार्टियों के लिए बल्कि पूरे राजनीतिक परिदृश्य के लिए निर्णायक साबित होगा।
Source: Nbt