"फुटबॉल तो खेला नहीं, लेकिन गोल्डन धोखा मार लिया! जापान में पकड़ी गई पाकिस्तान की फर्जी फुटबॉल टीम"
जापान एयरपोर्ट पर पाकिस्तान की फर्जी फुटबॉल टीम का भंडाफोड़! खेल के नाम पर 22 लोगों को अवैध तरीके से भेजने की साजिश उजागर।

Pakistan की फर्जी फुटबॉल टीम का भंडाफोड़. (फोटो- AI generated picture)
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1:08 PM, Sep 18, 2025
O News हिंदी Desk
पाकिस्तान की फर्जी फुटबॉल टीम का जापान में भंडाफोड़: बड़ा मानव तस्करी रैकेट बेनकाब
नई दिल्ली/टोक्यो। खेलों के नाम पर धोखाधड़ी और मानव तस्करी की कहानी ने एक बार फिर पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय छवि को कटघरे में खड़ा कर दिया है। जापान की राजधानी टोक्यो एयरपोर्ट पर उस वक्त हड़कंप मच गया जब पाकिस्तान से पहुंचे 22 लोग खुद को फुटबॉल खिलाड़ी बताकर देश में दाखिल होने की कोशिश कर रहे थे। ये लोग पूरी फुटबॉल किट पहने हुए थे और अपने दस्तावेजों में खुद को पाकिस्तान फुटबॉल फेडरेशन (PFF) से जुड़ा हुआ बता रहे थे। लेकिन जापानी आव्रजन अधिकारियों की सतर्कता ने उनकी चालाकी पकड़ ली और पूछताछ के दौरान सामने आया कि पूरी टीम फर्जी थी।
दरअसल, यह घटना किसी साधारण वीज़ा उल्लंघन का मामला नहीं बल्कि मानव तस्करी के एक बड़े नेटवर्क का हिस्सा है, जो खेलों का इस्तेमाल कर लोगों को विदेश भेजने का काम करता है। इस पूरे ऑपरेशन का मास्टरमाइंड पाकिस्तान के सियालकोट के पासरूर निवासी मलिक वकास को बताया जा रहा है, जिसे पाकिस्तान की संघीय जांच एजेंसी (FIA) ने गिरफ्तार कर लिया है।
कैसे हुआ पर्दाफाश?
सूत्रों के अनुसार, जब यह 22 सदस्यीय टीम जापान पहुंची तो अधिकारियों ने उनके दस्तावेजों पर शक जताया। खिलाड़ियों के पास विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बताए गए नकली नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) और ‘गोल्डन फुटबॉल ट्रायल क्लब’ के नाम से बने फर्जी कागजात थे। लेकिन जब अधिकारियों ने गहराई से जांच की तो पाया कि ऐसा कोई क्लब अस्तित्व में ही नहीं है।
पूछताछ के दौरान खिलाड़ियों की झूठी कहानी सामने आई और पता चला कि वे किसी भी अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट का हिस्सा नहीं थे। इसके बाद सभी को तुरंत हिरासत में ले लिया गया और वापस पाकिस्तान भेज दिया गया।
‘गोल्डन फुटबॉल ट्रायल क्लब’ की साजिश
जांच में सामने आया कि इन खिलाड़ियों को ‘गोल्डन फुटबॉल ट्रायल’ नामक एक काल्पनिक क्लब के तहत जापान भेजा गया था। इस क्लब का कोई रजिस्ट्रेशन नहीं है और यह पूरी तरह मलिक वकास की कल्पना पर आधारित था।
आरोप है कि वकास ने प्रत्येक खिलाड़ी से लगभग 40-40 लाख पाकिस्तानी रुपए वसूले थे। यानी कुल मिलाकर इस पूरे रैकेट में लगभग 8 करोड़ 80 लाख रुपए की अवैध कमाई की गई।
पहली बार नहीं है ऐसा खेल
यह मामला वकास का पहला अपराध नहीं है। जनवरी 2024 में भी उसने 17 लोगों को फर्जी फुटबॉल खिलाड़ियों के रूप में जापान भेजा था। उस समय भी उसने नकली दस्तावेज तैयार किए थे और ‘बोविस्टा एफसी’ नामक जापानी क्लब का फर्जी आमंत्रण पत्र इस्तेमाल किया था। हालांकि तब वह अधिकारियों की पकड़ से बच गया था।
इस बार, जापानी इमिग्रेशन अधिकारियों ने न केवल चालाकी पकड़ ली बल्कि पाकिस्तान सरकार को भी सतर्क कर दिया।
FIA की बड़ी कार्रवाई
पाकिस्तान लौटने के बाद इन सभी 22 लोगों को FIA के हवाले कर दिया गया, जिसने उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की। 15 सितंबर को FIA के कम्पोजिट सर्कल ने मास्टरमाइंड मलिक वकास को गिरफ्तार कर लिया। उस पर मानव तस्करी और धोखाधड़ी के कई मामले दर्ज किए गए हैं।
FIA ने इस घटना को मानव तस्करी का एक बड़ा नेटवर्क बताया है, जिसमें खेलों और फर्जी आयोजनों का सहारा लिया जा रहा था।
पाकिस्तान की साख पर सवाल
यह घटना पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय छवि पर गंभीर सवाल खड़े करती है। खेल जगत में पहले ही पाकिस्तान कई विवादों में घिरा रहा है — चाहे वो मैच फिक्सिंग के मामले हों या खेल संघों में भ्रष्टाचार। अब खेल के नाम पर मानव तस्करी जैसी घटना सामने आना पाकिस्तान की स्थिति को और शर्मनाक बना रहा है।
खेलों को अक्सर युवाओं के सपनों और देश की प्रतिष्ठा से जोड़ा जाता है, लेकिन यहां इसका इस्तेमाल सिर्फ अवैध कमाई और अपराध के लिए किया गया।
जापान की सतर्कता बनी रक्षक
जापानी इमिग्रेशन अधिकारियों की सतर्कता ने न सिर्फ धोखाधड़ी को रोका बल्कि भविष्य में होने वाले बड़े अपराध को भी टाल दिया। यदि ये 22 लोग जापान में दाखिल हो जाते तो वहां अवैध प्रवासी के रूप में बस जाते और एक बड़े सुरक्षा संकट की स्थिति पैदा हो सकती थी।
मानव तस्करी का नया पैटर्न
मानव तस्करी के पारंपरिक तरीकों में नकली वीज़ा और पासपोर्ट का इस्तेमाल होता रहा है, लेकिन अब अपराधी खेल और सांस्कृतिक आयोजनों का सहारा ले रहे हैं। क्रिकेट, फुटबॉल या एथलेटिक्स जैसे खेलों के नाम पर फर्जी दस्तावेज तैयार कर लोगों को विदेश भेजा जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रवृत्ति भविष्य में और खतरनाक हो सकती है, क्योंकि खेल आयोजनों में बड़ी संख्या में खिलाड़ी और सहयोगी स्टाफ शामिल होते हैं, जिससे पहचान करना मुश्किल हो जाता है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जांच की मांग
इस घटना के बाद एशियाई फुटबॉल महासंघ (AFC) और फीफा से भी मांग उठ रही है कि वे पाकिस्तान फुटबॉल फेडरेशन की गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखें। हालांकि PFF ने इस मामले से खुद को अलग बताते हुए कहा है कि उनका इस फर्जी टीम से कोई संबंध नहीं है।
फिर भी, अंतरराष्ट्रीय खेल संगठनों को ऐसे मामलों को गंभीरता से लेना होगा ताकि खेलों की आड़ में अपराध न हो सके।
क्या कहती है जनता?
सोशल मीडिया पर इस घटना के बाद पाकिस्तान सरकार और खेल संगठनों पर जमकर सवाल उठ रहे हैं। कई लोग इसे पाकिस्तान की ‘सिस्टमेटिक करप्शन’ का हिस्सा बता रहे हैं। वहीं कुछ लोग मानते हैं कि जब तक देश में बेरोजगारी और गरीबी की समस्या बनी रहेगी, तब तक लोग ऐसे जोखिम उठाते रहेंगे।
नतीजा
जापान में पकड़ी गई पाकिस्तान की फर्जी फुटबॉल टीम ने न सिर्फ मानव तस्करी के नए तरीकों को उजागर किया है बल्कि यह भी दिखा दिया है कि अपराधी किस हद तक खेलों का दुरुपयोग कर सकते हैं। इस घटना ने पाकिस्तान की छवि को धक्का पहुंचाया है और यह स्पष्ट किया है कि मानव तस्करी के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय सहयोग बेहद जरूरी है।
आगे देखने वाली बात यह होगी कि पाकिस्तान सरकार और अंतरराष्ट्रीय खेल निकाय इस मामले को किस तरह से रोकने के उपाय करते हैं। लेकिन इतना तय है कि यह घटना खेलों की दुनिया के लिए एक काला धब्बा बन चुकी है।