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India vs Pakistan Women Match: हरमनप्रीत ने हाथ मिलाने से किया इनकार | बड़ी जीत

भारतीय महिला टीम ने पाकिस्तान को 88 रन से हराया। हरमनप्रीत कौर ने पाक कप्तान से हाथ नहीं मिलाया, जानिए पूरी कहानी और विवाद का सच।

India vs Pakistan Women Match: हरमनप्रीत ने हाथ मिलाने से किया इनकार | बड़ी जीत

India vs Pakistan Women Match

delhi

12:14 PM, Oct 6, 2025

O News हिंदी Desk

हो गई “बेइज्जती”! जीत के बाद भारतीय महिला क्रिकेटर्स ने पाक खिलाड़ियों से हाथ न मिलाने का निर्णय

कोलंबो, 5 अक्टूबर 2025 — ICC महिला क्रिकेट विश्व कप के एक रोमांचक मुकाबले में भारत ने पाकिस्तान को बड़ी-margin से हराया। भारत ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए 247 रन बनाए, वहीं पाकिस्तानी टीम 43 ओवर में ही 159 रन पर आउट हो गई। भारत की ओर से क्रांति गौड़ (3/20) और दीप्ति शर्मा (3/45) की शानदार गेंदबाज़ी ने मुकाबले की दिशा तय कर दी। मुकाबले के बाद, लेकिन, वह दृश्य जिसने सबका ध्यान खींचा — भारतीय महिला टीम ने पाकिस्तानी खिलाड़ियों से हाथ नहीं मिलाया।

यह कदम केवल एक “क्रिकेटीय” अस्वीकृति नहीं था— बल्कि योद्धा भाव, राजनीतिक तनाव और खेल और राजनीति की जटिल बुनावट का प्रतीक बन गया।

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मैच का सारांश: भारत का दबदबा

  1. टॉस: पाक कप्तान फातिमा सना ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाज़ी चुनी।
  2. भारत की पारी: भारतीय बल्लेबाज़ों की एकजुटता से टीम 247 रन तक पहुंची।
  3. पाक की कोशिश: लक्ष्य पीछा करने उतरी टीम 43 ओवर में 159 रन पर ऑल आउट हो गई।
  4. गेंदबाज़ी की पारी: · क्रांति गौड़ — 10 ओवर, 20 रन, 3 विकेट · दीप्ति शर्मा — 9 ओवर, 45 रन, 3 विकेट · स्नेह राणा — 2 विकेट
  5. प्लेयर ऑफ़ द मैच: क्रांति गौड़

इस प्रदर्शन ने भारत को जीत दिलाई — लेकिन जैसे ही क्रिकेट खत्म हुआ, खिलाड़ियों की प्रायोगिक राजनीति भी शुरुआत हो गई।

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हाथ न मिलाने की मजबूरी या रणनीति?

1. टॉस के क्षण की चुप्पी

मैच की शुरुआत में ही माहौल ठंडा था। कप्तान हरमनप्रीत कौर और पाकिस्तान की कप्तान फातिमा सना ने टॉस के दौरान एक दूसरे से हाथ न मिलाया। दोनों अलग-अलग प्रवेश की और बिना शिष्टाचार दिखाए अपनी जगह पर चले गए। The Express Tribune+3Sky Sports+3India Today+3

2. मैच समाप्ति पर बिना हाथ मिलाए वापसी

ख़ेल खत्म होने के बाद भारतीय टीम सीधे डगआउट लौट गई — पारंपरिक “सपाट हाथ मिलाना” समारोह को पूरी तरह छोड़ कर। यह वही रणनीति है जो हाल में भारतीय पुरुष टीम ने भी एशिया कप में अपनाई थी। India Today+6The Times of India+6The Economic Times+6

3. राजनयिक तनाव का परछाई

यह सारा घटनाक्रम बेमकसद नहीं है। भारत–पाकिस्तान संबंधों में इस समय जो तनाव है, वह खेल के मैदान तक आ चुका है। पिछली घटनाओं — जैसे भारत ने एशिया कप ट्रॉफी न स्वीकार करना, कप्तान सुय्योरकुमार यादव और टीम का हाथ न मिलाना — इस “नो-हैंडशेक” नीति की बुनियाद बनी है। Hindustan Times+7Reuters+7AP News+7

प्रतिक्रिया: विरोध और समर्थन दोनों

पाकिस्तान और उनके समर्थक कौन बोले? पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) ने इस व्यवहार को “खेल भावना के खिलाफ” करार दिया। वे इस कदम को क्रिकेट और राजनीति को जोड़ने की कोशिश मानते हैं। AP News+2The Guardian+2 मीडिया और आलोचक इस कदम को “खेल की गरिमा को ठेस” पहुँचाने वाला भी कह रहे हैं।

भारतीय पक्ष की सोच क्या हो सकती है? भारतीय टीम और BCCI ने अभी तक सार्वजनिक रूप से इस कदम का पूरे खुलासा नहीं किया है। लेकिन कई रिपोर्ट्स कहती हैं कि यह निर्णय “उच्च स्तर पर” लिया गया — राजनयिक संवेदनशीलता और देश के प्रति भावनात्मक समर्थन को ध्यान में रखते हुए। Wikipedia+5India Today+5Sky Sports+5 वहीं, टीम की प्रमुख खिलाड़ी दीप्ति शर्मा ने टीम की भावना पर ज़्यादा बात करते हुए इस विवाद पर खुलकर टिप्पणी करने से बचने की कोशिश की थी। The Times of India

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क्यों “हाथ न मिलाना” अब नया “क्रिकेटी संदेश” बन गया?

  1. राष्ट्रवाद की नज़र में सम्मान – इस कदम को भारत की जनता में एक “स्वाभिमानी” संदेश के रूप में देखा जा रहा है — “हम नहीं छोड़ेंगे” की मानसिकता।
  2. राजनीतिक संदेश – खेल के मैदान को राजनीति की भाषा में सजाना — यह एक तरीका हो सकता है यह बताने का कि “यह केवल खेल नहीं”।
  3. खेल बिरादरी में छलनी – जहां पहले रन, विकेट, जीत-हार ही मायने रखते थे, अब हाथ मिलाना या न मिलाना भी नया राजनीतिक हथियार बन गया है।
  4. द्विपक्षीय क्रिकेट का अवरुद्ध इतिहास – भारत और पाकिस्तान आज सिर्फ टूर्नामेंटों में ही मिलते हैं, और उनका सीधा प्रतिबंधित क्रिकेटिक संबंध रहा है। The Express Tribune+2India Today+2
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आगे क्या हो सकता है?

  1. ICC की भूमिका अहम विश्व क्रिकेट के नक्शे पर यह घटना ज़रूर सुर्खियाँ बटोर रही है। ICC पर दबाव है कि वह इस तरह की “नमस्कारकरणी रणनीतियों” को नियंत्रित करे और खेल की मूल भावना बनाए रखे।
  2. खिलाड़ियों की जगह परिदृश्य बदल सकता है यदि यह प्रथा रोज़मर्रा की हो जाए, तो खिलाड़ियों और व्यवस्थापकों को रणनीति बदलनी होगी — कब हाथ मिलाना “राजनीतिक” बन जाए, यह अब अनिश्चित हो गया है।
  3. खेल और राजनीति का पतली रेखा पुरानी धारणा थी कि खेल राजनीतिक तनावों को पाटने का सेतु बन सकता है। अब वह धुंधली होती जा रही है।
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निष्कर्ष

भारत की ये जीत — शानदार, पावरफुल और परिश्रमी — एक क्रिकेट मैच से कहीं बढ़कर बनी। इस जीत ने खेल की सीमाओं को चुनौती दी, उसे राजनीति के पार्श्व में धकेल दिया। भारतीय महिला क्रिकेटर्स का पाकिस्तान से हाथ न मिलाने का निर्णय सिर्फ व्यक्तिगत भावनात्मक कदम नहीं था — यह एक राष्ट्रीय और रणनीतिक बयान था।

खेल प्रेमी इस घटना को खेल के अंदरूनी विवाद के रूप में देख सकते हैं, लेकिन इसने यह साफ कर दिया कि आज के समय में ‘शिष्टाचार’ भी राजनीतिक संघर्ष का भाग बन गया है।

Source: Ndtv

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