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GST कट होते ही Parle-G ने कर दिया खेला.!

GST नई दरों के बाद पारले-जी, शैम्पू, टॉफी और चॉकलेट की कीमतें अजीब हो गई हैं। ₹5 का बिस्किट अब ₹4.45 में और ₹2 का शैम्पू ₹1.77 में। जानें कंपनियां और ग्राहक इस उलझन से कैसे निपटेंगे।

GST कट होते ही Parle-G ने कर दिया खेला.!

खड़ी हुई पेमेंट की नई मुश्किल

delhi

5:15 PM, Sep 23, 2025

O News हिंदी Desk

₹5 का पारले-जी अब ₹4.45 में! जीएसटी के नए रेट्स से ग्राहकों और कंपनियों के सामने खड़ी हुई पेमेंट की नई मुश्किल

नई दिल्ली। सोचिए, आप दुकान पर गए और दुकानदार से कहा– “भाई, एक ₹5 का पारले-जी दे दो।” लेकिन दुकानदार ने आपको जवाब दिया– “अब यह ₹4.45 में मिलता है।” आप चौंक जाएंगे कि आखिर यह हिसाब कैसे होगा, क्योंकि ₹1 से छोटे सभी सिक्के पहले ही बंद हो चुके हैं। जीएसटी की नई दरों ने FMCG सेक्टर और आम ग्राहकों के सामने यही सबसे बड़ी उलझन खड़ी कर दी है।

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क्यों हुई यह कीमतों की गड़बड़ी?

दरअसल, सरकार ने हाल ही में कई प्रोडक्ट्स पर जीएसटी स्लैब में कटौती की है। इसका असर सीधे एमआरपी पर पड़ा है। कंपनियां अब अपने ग्राहकों को टैक्स कटौती का फायदा देना चाहती हैं, लेकिन दाम घटाने पर प्रोडक्ट की कीमतें ऐसी हो गई हैं जिन्हें आसानी से समझना मुश्किल है।

  1. पारले-जी का ₹5 वाला पैक अब ₹4.45 में मिलेगा।
  2. ₹2 का शैम्पू पाउच अब ₹1.77 में मिल रहा है।
  3. ₹1 की कैंडी अब 88 पैसे में बिक रही है।

यह बदलाव केवल पारले-जी तक सीमित नहीं है, बल्कि कैडबरी, नेस्ले और आरएसपीएल जैसी बड़ी कंपनियों ने भी अपने दामों को नए सिरे से तय किया है।

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कंपनियों की दलील – "सरकार से स्पष्टीकरण चाहिए"

पारले प्रोडक्ट्स के वाइस प्रेसिडेंट मयंक शाह ने साफ कहा कि शुरुआत में यह ग्राहकों के लिए भी और दुकानदारों के लिए भी मुश्किल होगा। उनका कहना है कि या तो ग्राहक UPI से पूरा पेमेंट करेंगे या फिर बड़े पैक खरीदना पसंद करेंगे।

सवाल यह भी है कि क्या कंपनियां दाम घटाने के बजाय प्रोडक्ट का वजन बढ़ाकर फायदा ग्राहकों तक पहुंचा सकती हैं? अभी तक सरकार ने इस पर कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं दिए हैं। यही वजह है कि कंपनियां फिलहाल दाम घटाकर "अजीब कीमतें" तय कर रही हैं।

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चॉकलेट और बिस्किट भी अजीब कीमतों में

मोंडलेज (Cadbury) ने अपने सभी प्रोडक्ट्स की नई कीमतें घोषित कर दी हैं।

  1. बॉर्नविटा अब ₹26.69 में मिलेगा (पहले ₹30 था)।
  2. ओरियो बिस्किट अब ₹8.90 में मिलेगा (पहले ₹10 था)।
  3. जेम्स और 5 स्टार का ₹20 पैक अब ₹17.80 में उपलब्ध होगा।

कंपनी ने अपने डीलरों को निर्देश दिए हैं कि ग्राहकों तक यह जीएसटी कटौती का फायदा सीधे पहुंचे।

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नेस्ले का अलग फॉर्मूला – दाम घटाने के साथ वजन बढ़ाया

नेस्ले ने ग्राहकों की उलझन को कुछ हद तक आसान किया है। कंपनी ने सिर्फ कीमतें घटाई ही नहीं, बल्कि पैक का वजन भी बढ़ा दिया है।

  1. मैगी नूडल्स (₹30 वाला पैक) अब ₹28 का हो गया है।
  2. ₹120 का मैगी पैक अब ₹116 में मिल रहा है और वजन 560 ग्राम से बढ़ाकर 600 ग्राम कर दिया गया है।
  3. मैगी केचप (₹190 वाला पैक) अब ₹178 में मिलेगा।
  4. किटकैट, जो पहले ₹35 का था, अब ₹30 में मिलेगा।

यानी नेस्ले ने ग्राहकों को दाम घटाकर और वजन बढ़ाकर सीधा फायदा दिया है।

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दुकानदारों की चुनौती – पेमेंट कैसे लें?

छोटे दुकानदारों के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि ग्राहक 88 पैसे, ₹1.77 या ₹4.45 जैसी रकम कैसे देंगे?

  1. ₹1 से छोटे सिक्के बाजार से पहले ही बाहर हो चुके हैं।
  2. दुकानदार या तो बची हुई राशि कैंडी/टॉफी देकर एडजस्ट करेंगे या फिर ग्राहक को UPI पेमेंट करना होगा।

गांव और छोटे शहरों में जहां डिजिटल पेमेंट अभी पूरी तरह से लोकप्रिय नहीं है, वहां यह और भी बड़ी चुनौती बन सकती है।

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ग्राहक की दुविधा – "₹5 दो या ₹4.45?"

आम ग्राहकों के लिए यह समझना मुश्किल है कि दुकानदार उनसे पूरी ₹5 क्यों ले रहा है, जबकि पैक पर ₹4.45 लिखा है। दूसरी ओर, दुकानदार भी बार-बार बची हुई राशि समझाने में परेशान हो रहा है।

विशेषज्ञ मानते हैं कि यह स्थिति अस्थायी है। कुछ महीनों में कंपनियां पैक का वजन बढ़ाकर या कीमतों को राउंड-ऑफ कर फिर से ₹5, ₹10 और ₹20 जैसे "आसान भाव" वाली श्रेणी में लौट आएंगी।

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आंकड़े बताते हैं – छोटे पैक की डिमांड सबसे ज्यादा

  1. शैम्पू की बिक्री में छोटे पाउच की हिस्सेदारी 79% है।
  2. बिस्किट की बिक्री में छोटे पैक का हिस्सा 64% है।
  3. चॉकलेट में यह हिस्सा 58% है।
  4. नमकीन और टूथपेस्ट में छोटे पैक की हिस्सेदारी क्रमशः 44% और 29% है।

यानी FMCG इंडस्ट्री के लिए यह छोटे पैकेट ही असली "बिग मार्केट" हैं। अगर कंपनियां इन्हें अनदेखा करती हैं तो उनकी बिक्री पर सीधा असर पड़ेगा।

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क्या फिर से आएंगे पुराने दाम?

कई कंपनियों का मानना है कि फिलहाल ग्राहकों को "अजीब कीमतों" से गुजरना पड़ेगा। लेकिन लंबे समय में कंपनियां दो तरीके अपनाएंगी:

  1. वजन बढ़ाकर वही पुरानी कीमतें रखेंगी।
  2. कीमतों को राउंड-ऑफ कर ₹5, ₹10 और ₹20 पर वापस लाएंगी।

आरएसपीएल ग्रुप के प्रेसिडेंट सुशील कुमार बाजपेयी ने कहा है कि फिलहाल उन्होंने अपने सभी प्रोडक्ट्स पर 13% तक की कीमतें घटाई हैं ताकि यह साफ हो सके कि फायदा ग्राहकों तक पहुंच रहा है। लेकिन आगे का रास्ता तय करना अभी चुनौतीपूर्ण है।

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सरकार की सख्ती और NAA की निगरानी

यह पहली बार नहीं है जब ऐसी स्थिति सामने आई है। 2017 में भी जीएसटी लागू होने के बाद कई कंपनियों पर NAA (नेशनल एंटी-प्रॉफिटियरिंग अथॉरिटी) ने जुर्माना लगाया था। उन पर आरोप था कि उन्होंने टैक्स कटौती का फायदा ग्राहकों तक नहीं पहुंचाया। इस बार सरकार साफ है कि कंपनियों को हर हाल में लाभ ग्राहकों तक पहुंचाना होगा।

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निष्कर्ष – अभी इंतजार करना होगा

फिलहाल ग्राहक और दुकानदार दोनों ही असमंजस में हैं।

  1. ग्राहक को समझ नहीं आ रहा कि पेमेंट कैसे करें।
  2. दुकानदार को बची हुई राशि एडजस्ट करने का आसान तरीका नहीं मिल रहा।
  3. कंपनियां भी सरकार से दिशा-निर्देश का इंतजार कर रही हैं।

संभावना है कि आने वाले कुछ महीनों में यह समस्या खत्म हो जाएगी और फिर से ₹5, ₹10 और ₹20 जैसे "सरल भाव" बाजार में लौट आएंगे। लेकिन तब तक उपभोक्ताओं को या तो डिजिटल पेमेंट करना होगा या फिर कुछ अतिरिक्त सामान खरीदना होगा ताकि हिसाब बराबर हो सके।

Source: Nbt

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