PoK Protest 2025: Gen Z की आवाज़, शहबाज सरकार के खिलाफ विद्रोह तेज
PoK में Gen Z कश्मीरियों का विद्रोह, शहबाज सरकार और पाकिस्तानी सेना के खिलाफ सड़क पर उतरे युवा। फायरिंग में 2 मौतें, 22 घायल। जानें पूरी रिपोर्ट।

PoK में भड़का जनविद्रोह
pok
10:03 PM, Sep 29, 2025
O News हिंदी Desk
PoK में भड़का जनविद्रोह: शहबाज सरकार और पाकिस्तानी सेना के खिलाफ कश्मीरियों का गुस्सा, दो की मौत, 22 घायल
PoK Protest 2025: पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं। सोमवार (29 सितंबर 2025) को अवामी एक्शन कमेटी (AAC) की हड़ताल और प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया। पाकिस्तानी सेना ने प्रदर्शनकारियों पर अंधाधुंध फायरिंग की, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई और 22 से ज्यादा लोग घायल हुए। यह विद्रोह सिर्फ महंगाई या बेरोजगारी के खिलाफ नहीं, बल्कि उन मौलिक अधिकारों की लड़ाई है, जिनसे कश्मीरियों को पिछले 70 सालों से वंचित रखा गया है।
PoK में क्यों भड़का विरोध?
पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार के खिलाफ PoK में लगातार असंतोष पनप रहा है।
- मौलिक अधिकारों का हनन: लोगों का कहना है कि उन्हें आज तक बुनियादी अधिकार नहीं मिले।
- आर्थिक संकट और महंगाई: रोजमर्रा की चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं।
- बेरोजगारी: युवाओं के पास रोजगार का कोई अवसर नहीं।
- पाकिस्तानी सेना की ज्यादती: आम नागरिकों पर बिना वजह दमनकारी कार्रवाई की जाती है।
AAC की 38 मांगें
अवामी एक्शन कमेटी (AAC) ने पाकिस्तान सरकार के सामने कुल 38 मांगें रखी हैं। इनमें सबसे अहम है –
- पाकिस्तान में रह रहे कश्मीरी शरणार्थियों के लिए PoK विधानसभा की 12 आरक्षित सीटों को खत्म करना। स्थानीय लोगों का तर्क है कि यह व्यवस्था उनके प्रतिनिधि शासन को कमजोर करती है।
इंटरनेट बैन और सेना की तैनाती
विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए शहबाज सरकार ने 28 सितंबर 2025 की रात से इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी थीं। इसके अलावा –
- पाकिस्तान ने 1,000 अतिरिक्त सैनिक PoK भेजे।
- छोटे-छोटे कस्बों में भारी हथियारों से लैस सैनिकों का फ्लैग मार्च कराया गया।
- सुरक्षाबलों की मौजूदगी ने इलाके को छावनी में बदल दिया।
लेकिन इन कड़े कदमों से लोगों का गुस्सा और बढ़ गया और मुजफ्फराबाद सहित कई जगहों पर हिंसक झड़पें हो गईं।
गोलीबारी और मौत का सिलसिला
पाकिस्तानी मीडिया चैनलों ने भी उन वीडियो क्लिप्स को चलाया है, जिनमें सुरक्षाबल प्रदर्शनकारियों पर पिस्टल और राइफलों से अंधाधुंध फायरिंग करते दिख रहे हैं।
- इस गोलीबारी में दो कश्मीरी नागरिकों की मौत हो गई।
- 22 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हुए।
- घायलों में कई की हालत नाजुक बताई जा रही है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि सेना की कार्रवाई सिर्फ डराने के लिए नहीं थी, बल्कि यह आंदोलन को कुचलने की एक सोची-समझी रणनीति है।
AAC नेताओं की चेतावनी
AAC नेता शौकत नवाज मीर ने साफ शब्दों में कहा:
“हम 70 सालों से अपने मौलिक अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं। अब धैर्य खत्म हो चुका है। अगर पाकिस्तान सरकार ने हमारी मांगें नहीं मानीं, तो गुस्से का सामना करने के लिए तैयार रहे।”
उन्होंने यह भी दावा किया कि AAC के पास “बैकअप और सख्त प्लान” मौजूद है। यानी आने वाले दिनों में यह आंदोलन और तेज हो सकता है।
पाकिस्तान सरकार पर बढ़ता दबाव
शहबाज शरीफ सरकार पहले ही आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रही है।
- महंगाई चरम पर है।
- विदेशी कर्ज़ बढ़ता जा रहा है।
- सेना और सरकार के बीच अविश्वास लगातार बढ़ रहा है।
अब PoK का यह जनविद्रोह पाकिस्तान के लिए एक और बड़ा सिरदर्द बन गया है।
अंतरराष्ट्रीय नजर PoK पर
यह विरोध प्रदर्शन सिर्फ पाकिस्तान तक सीमित नहीं है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी गूंज सुनाई देने लगी है।
- कई मानवाधिकार संगठनों ने PoK में मानवाधिकार हनन पर चिंता जताई है।
- भारत लगातार कहता रहा है कि पाकिस्तान ने PoK पर गैर-कानूनी कब्जा किया हुआ है।
- अब जब स्थानीय लोग खुद सड़कों पर उतरकर पाकिस्तान के खिलाफ नारे लगा रहे हैं, तो यह भारत के दावों को और मजबूती देता है।
PoK की जनता की असली मांगें
अगर स्थानीय नागरिकों की मांगों को देखें, तो वे कोई बड़ी या अव्यवहारिक नहीं लगतीं।
- महंगाई पर काबू पाया जाए।
- युवाओं को रोजगार दिया जाए।
- सेना की ज्यादतियों को रोका जाए।
- प्रतिनिधि शासन को मजबूत किया जाए।
लेकिन पाकिस्तान सरकार इन बुनियादी मांगों को नजरअंदाज कर रही है और बल प्रयोग से हालात काबू करने की कोशिश कर रही है।
भविष्य का रास्ता क्या होगा?
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर पाकिस्तान ने जल्द ही PoK की जनता की आवाज नहीं सुनी, तो हालात और बिगड़ सकते हैं।
- आंदोलन और उग्र होगा।
- हिंसा और बढ़ेगी।
- अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की किरकिरी होगी।
यह साफ है कि PoK की जनता अब सिर्फ वादों से संतुष्ट नहीं होगी, बल्कि अपने अधिकार लेने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है।
निष्कर्ष
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) आज उस संकट मोड़ पर खड़ा है, जहां जनता और सरकार आमने-सामने हैं। शहबाज सरकार की कड़ी कार्रवाई और सेना की गोलीबारी ने इस विद्रोह को और भड़का दिया है। दो कश्मीरी नागरिकों की मौत और 22 के घायल होने के बाद हालात और गंभीर हो गए हैं।
PoK की जनता का संदेश साफ है – या तो अधिकार दो, या गुस्से का सामना करो। अब देखना यह होगा कि पाकिस्तान सरकार इस संकट से निकलने के लिए संवाद और सुधार का रास्ता अपनाती है या दमन और गोलीबारी से हालात और बिगाड़ती है।
Source: ABP