sliderimg
बड़ी खबर/न्यूज़/rjd showed strength to congress who is the elder brother of the grand alliance in bihar elections

RJD ने कांग्रेस को दिखाई ताकत: बिहार चुनाव में महागठबंधन का बड़ा भाई कौन?

बिहार चुनाव 2025 से पहले राजद (RJD) ने कांग्रेस को स्पष्ट संदेश दिया है कि महागठबंधन में सबसे बड़ी ताकत वही है। प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि गठबंधन का नेतृत्व तेजस्वी यादव करेंगे और राजद बड़े भाई की भूमिका निभाएगा। सीट शेयरिंग को लेकर आरजेडी ने अपनी स्थिति साफ कर दी है।

RJD ने कांग्रेस को दिखाई ताकत: बिहार चुनाव में महागठबंधन का बड़ा भाई कौन?

RJD vs Congress

delhi

2:06 PM, Sep 20, 2025

O News हिंदी Desk

बिहार चुनाव से पहले RJD ने कांग्रेस को दिखाई ताकत, बोला- महागठबंधन में बड़े भाई की भूमिका हमारी

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही राजनीति में सरगर्मी तेज हो गई है। इंडिया ब्लॉक और एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर खींचतान चरम पर है। इसी बीच राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने साफ कर दिया है कि बिहार की सबसे बड़ी ताकत वही है और आगामी चुनाव में गठबंधन का नेतृत्व तेजस्वी यादव करेंगे। राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने खुलकर कहा कि महागठबंधन में "बड़े भाई" की भूमिका हमेशा राजद ने निभाई है और इस बार भी वही निभाएगी।

*****

RJD ने कांग्रेस को दिखाई हकीकत

मृत्युंजय तिवारी ने न्यूज एजेंसी से बातचीत में कहा कि हर चुनाव में बिहार में राजद ही सबसे बड़ी राजनीतिक शक्ति रही है। संगठन की असली ताकत जमीनी स्तर पर है और यह बात जनता के साथ-साथ सहयोगी दल भी अच्छी तरह जानते हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि कांग्रेस सहित महागठबंधन की सभी पार्टियां इस हकीकत को समझती हैं।

उनका कहना था कि “गठबंधन तभी मजबूत होता है, जब हर सहयोगी दल अपने संगठन को मजबूत करे। लेकिन बिहार में सबसे बड़ा दल और सबसे मजबूत आधार राजद का है। यही कारण है कि सीट शेयरिंग पर चर्चा के दौरान भी हमने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है।"

*****

महागठबंधन में "बड़े भाई" की भूमिका क्यों चाहता है RJD?

राजद का मानना है कि पिछले कई चुनावों में उसने लगातार बड़ी संख्या में सीटें जीती हैं। चाहे 2015 का विधानसभा चुनाव हो या 2020 का, राजद ने गठबंधन में सबसे मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई। 2020 चुनाव में भी राजद अकेले 75 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। यही कारण है कि पार्टी खुद को "बड़ा भाई" मानती है।

तेजस्वी यादव की नेतृत्व क्षमता और युवाओं के बीच उनकी लोकप्रियता को भी पार्टी अपनी ताकत मानती है। बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर उनकी पकड़ ने उन्हें युवाओं का नेता बना दिया है। यही वजह है कि राजद अपने "नेतृत्व के हक" को लेकर किसी समझौते के मूड में नहीं है।

*****

कांग्रेस की भूमिका पर सवाल

इंडिया गठबंधन में कांग्रेस के योगदान पर अप्रत्यक्ष तौर पर सवाल उठाते हुए तिवारी ने कहा कि हर दल को संगठन मजबूत करने की आजादी है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि बिहार में कांग्रेस का वोटबैंक लगातार कमजोर हुआ है। राजद मानता है कि कांग्रेस "राष्ट्रीय स्तर पर" भले ही गठबंधन की धुरी हो, लेकिन बिहार की राजनीति में असली ताकत राजद ही है। यही कारण है कि सीट बंटवारे में भी राजद "बड़े हिस्से" की मांग करेगा।

*****

बीजेपी पर तीखा हमला – "कलम बनाम बंदूक"

तेजस्वी यादव की बिहार अधिकार यात्रा को लेकर बीजेपी ने हाल ही में हमला बोला था। जवाब देते हुए राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि बीजेपी को विकास और शिक्षा की बात समझ नहीं आती। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि “जो लोग तलवार और बंदूकें बांटते हैं, वे कलम की कीमत कभी नहीं समझ सकते। तेजस्वी यादव ने उन जगहों पर पेन बांटे, जहां पहले हथियार बांटे जाते थे। यही सोच का फर्क है – एक तरफ शिक्षा और रोजगार की राजनीति, दूसरी तरफ डर और हथियारों की राजनीति।”

सीट शेयरिंग पर माथापच्ची

बिहार विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर इंडिया गठबंधन में लगातार बैठकों का दौर चल रहा है। राजद का कहना है कि वह सहयोगी दलों की भावनाओं का सम्मान करता है, लेकिन सीटों का बंटवारा "जमीनी ताकत" के आधार पर होना चाहिए। पार्टी सूत्रों का दावा है कि राजद 243 में से 150 से ज्यादा सीटों पर दावा कर सकता है। वहीं कांग्रेस और वाम दल भी अपने-अपने हिस्से की सीटों को लेकर दबाव बना रहे हैं। लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अंततः राजद की मांग भारी पड़ेगी, क्योंकि बिना राजद के गठबंधन का गणित पूरा नहीं होता।

*****

तेजस्वी यादव का "युवा एजेंडा"

तेजस्वी यादव की "बेरोजगारी हटाओ यात्रा" और अब "बिहार अधिकार यात्रा" ने युवा वर्ग में गहरी पैठ बनाई है। उनका फोकस रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर है। हाल ही में एक जनसभा में उन्होंने कहा था कि “बिहार के युवाओं को नौकरी चाहिए, न कि जुमले। उन्हें रोजगार और सम्मान चाहिए, न कि झूठे वादे।”

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बीजेपी के "धार्मिक ध्रुवीकरण" एजेंडा का जवाब तेजस्वी यादव विकास और रोजगार के मुद्दों से दे रहे हैं। यही वजह है कि राजद की रणनीति में युवाओं को केंद्र में रखा गया है।

Img

Tejasvi-Lalu

*****

कांग्रेस के लिए चुनौती

बिहार में कांग्रेस के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है। उसका वोटबैंक भी सीमित इलाकों में सिमट गया है। ऐसे में सीट शेयरिंग के समय उसके सामने चुनौती है कि वह गठबंधन में अपनी प्रासंगिकता कैसे बनाए रखे। कांग्रेस चाहती है कि उसे कम से कम 50 से ज्यादा सीटें मिलें, लेकिन राजद का रुख साफ है कि सीटों का बंटवारा "जमीनी ताकत" देखकर ही होगा।

*****

एनडीए बनाम इंडिया: असली जंग

बिहार चुनाव में मुख्य मुकाबला एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच होगा। एक ओर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, बीजेपी और सहयोगी दल हैं, तो दूसरी ओर तेजस्वी यादव के नेतृत्व में राजद, कांग्रेस और वामदल। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर इंडिया गठबंधन सीट बंटवारे में सामंजस्य बैठा लेता है तो वह एक मजबूत चुनौती पेश कर सकता है। लेकिन अगर अंदरूनी खींचतान बढ़ी तो इसका सीधा फायदा बीजेपी और एनडीए को मिलेगा।

*****

निष्कर्ष

राजद ने कांग्रेस और बाकी सहयोगियों को यह स्पष्ट संदेश दे दिया है कि बिहार की राजनीति की धुरी वही है। महागठबंधन में "बड़े भाई" की भूमिका राजद ही निभाएगा और नेतृत्व तेजस्वी यादव करेंगे। कांग्रेस को यह मानना होगा कि बिहार में उसका प्रभाव सीमित है और सीट बंटवारे में उसे यथार्थ स्वीकार करना होगा। तेजस्वी यादव की राजनीति अब पूरी तरह "युवा, रोजगार और शिक्षा" पर केंद्रित है। यही एजेंडा उन्हें एनडीए के खिलाफ खड़ा करता है। आने वाले चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या महागठबंधन एकजुट होकर बीजेपी को चुनौती दे पाता है या फिर अंदरूनी खींचतान से कमजोर पड़ जाएगा।

Source: Patrika

headingicon

सम्बंधित खबर

Landline Number: +91-11-47517355

Follow Us:

InstagramYouTube

© Copyright O News Hindi 2025. All rights reserved.