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SIR विवाद: ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग को लिखा कड़ा पत्र

पश्चिम बंगाल की CM ममता बनर्जी ने SIR प्रक्रिया को तुरंत रोकने की मांग की। बीएलओ पर दबाव, गलत डेटा और बिना ट्रेनिंग के काम पर गंभीर सवाल उठाए।

SIR विवाद: ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग को लिखा कड़ा पत्र

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5:49 PM, Nov 21, 2025

O News हिंदी Desk

जबरदस्ती बंद करें और इसे तुरंत रोकें…’ SIR पर सीएम ममता बनर्जी का चुनाव आयोग को लेटर, क्यों बढ़ी चिंता?

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर केंद्र और चुनाव आयोग के बीच चल रहे विवाद को हवा दे दी है। उन्होंने वोटर लिस्ट के Special Intensive Revision (SIR) को लेकर सीधा चुनाव आयोग को पत्र लिखा है और इस प्रक्रिया को “जबरदस्ती, अव्यवस्थित और खतरनाक” बताया है। ममता बनर्जी ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि SIR को तुरंत रोका जाए, बीएलओ को सही प्रशिक्षण दिया जाए और चल रही दबाव वाली कार्रवाई को बंद किया जाए।

क्यों ममता अचानक इतना नाराज़ हैं? क्या SIR प्रक्रिया वाकई वोटरों के अधिकार पर खतरा बन सकती है? क्या बंगाल में बीएलओ और फील्ड स्टाफ पर बोझ उनकी जान तक ले रहा है? इस पूरे विवाद को समझते हैं विस्तार से—

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SIR प्रक्रिया क्यों बनी विवाद की जड़?

चुनाव आयोग देशभर में वोटर लिस्ट अपडेट के लिए स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) करवा रहा है। लेकिन पश्चिम बंगाल में यह प्रक्रिया बड़े विवाद का कारण बन गई है क्योंकि—

  1. बीएलओ को बिना प्लानिंग के ज्यादा काम दिया जा रहा है
  2. सर्वे को 3 साल की बजाय सिर्फ 3 महीने में निपटाने का आदेश
  3. लगातार सर्वर फेलियर और तकनीकी दिक्कतें
  4. डेटा मिसमैच और गलतियां बढ़ रही हैं
  5. कई बीएलओ पर “दबाव” और “डिसिप्लिनरी एक्शन” का डर

ममता बनर्जी का आरोप है कि इतनी जल्दबाज़ी में किया गया यह सर्वे वोटर रोल की विश्वसनीयता को ही संकट में डाल देगा।

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ममता बनर्जी का चुनाव आयोग को सीधा संदेश: “SIR तुरंत बंद करें”

अपने पत्र में ममता बनर्जी ने बेहद सख़्त लहज़ा अपनाया। उन्होंने लिखा—

  1. चल रही SIR प्रक्रिया तुरंत रोकी जाए
  2. बीएलओ पर दबाव डालना बंद किया जाए
  3. धमकी, कारण बताओ नोटिस और सस्पेंशन की चेतावनियाँ रोकी जाएँ
  4. बीएलओ को उचित प्रशिक्षण, सपोर्ट और समय दिया जाए
  5. सही प्रक्रिया को लागू किया जाए वरना “डेमोक्रेसी कमजोर हो जाएगी”

ममता का कहना है कि यह पूरा रिवीजन अभियान “बिना योजना, अव्यवस्थित और खतरनाक” है।

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डेटा एंट्री में हो रही गलतियों ने बढ़ाई सरकार की चिंता

ममता बनर्जी ने बताया कि—

  1. बीएलओ को ऑनलाइन सर्वर वेरिफिकेशन में लगातार दिक्कतें आ रही हैं
  2. डेटा मिसमैच इतनी तेजी से बढ़ रहा है कि असली वोटर तक लिस्ट से गायब हो सकते हैं
  3. कई जगह सर्वर घंटों डाउन रहता है
  4. डेडलाइन पूरी न होने पर अधिकारियों द्वारा बीएलओ को धमकियाँ दी जा रही हैं

उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यही स्थिति रही तो लाखों असली वोटर वोट देने के अधिकार से वंचित हो सकते हैं, जो लोकतंत्र के लिए सीधा खतरा है।

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“डर के माहौल में गलत डेटा भर रहे हैं बीएलओ” — ममता बनर्जी

सीएम ने अपने पत्र में सबसे दर्दनाक बात का उल्लेख किया कि—

  1. माल, जलपाईगुड़ी में SIR के दबाव के कारण एक आंगनवाड़ी वर्कर ने आत्महत्या कर ली
  2. इस प्रक्रिया के दौरान कई और बीएलओ की मौत की खबरें आईं
  3. 3 साल का काम 90 दिनों में करवाने से कर्मचारियों की मानसिक स्थिति प्रभावित हो रही है

ममता ने आयोग से सवाल किया— “क्या लोकतंत्र इतनी जल्दी में चलाया जा सकता है कि लोगों की जान की कीमत चुकानी पड़े?”

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एक ही समय में दो-दो काम: शिक्षक, कर्मचारी और बीएलओ सब परेशान

चुनाव आयोग का नियम है कि बीएलओ अपनी नियमित नौकरी के साथ घर-घर सर्वे भी करते हैं। लेकिन बंगाल की स्थिति कुछ ऐसी है—

  1. स्कूल के शिक्षक क्लास भी ले रहे हैं और सर्वे भी
  2. फ्रंटलाइन वर्कर अस्पतालों में भी हैं और साथ में घर-घर जाकर डाटा अपडेट भी कर रहे हैं
  3. कई बीएलओ रोज 10–12 घंटे तक फील्ड में काम कर रहे हैं
  4. समय सीमा कम होने के कारण लगातार डाटा एंट्री का दबाव

ममता बनर्जी ने कहा कि यह बोझ “इंसानी क्षमता से ज्यादा” है और इसे तुरंत ठीक किया जाना चाहिए।

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किसान सीज़न का असर: घर-घर सर्वे कर पाना व्यावहारिक रूप से असंभव

नवंबर–दिसंबर में बंगाल में धान कटाई का सीज़न होता है। इसी समय—

  1. रबी फसल की बुवाई
  2. आलू की खेती
  3. हजारों मज़दूर खेतों में व्यस्त
  4. किसान पूरे दिन खेत से बाहर निकल ही नहीं पाते

ममता ने लिखा—

“जब लाखों किसान खेतों में व्यस्त हैं तो घर-घर सर्वे कैसे संभव है? क्या आयोग को गांवों की वास्तविकता का अंदाजा नहीं?”

उन्होंने चेताया कि इस स्थिति में जो डेटा मिलेगा, वह अधूरा और गलत होगा।

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ममता की मुख्य मांगें — SIR रोको, ट्रेनिंग दो, सिस्टम ठीक करो

सीएम ममता बनर्जी ने आयोग के सामने 4 प्रमुख मांगें रखी हैं—

1. SIR प्रक्रिया को तुरंत रोका जाए

बिना सही प्लानिंग के चल रही इस प्रक्रिया को “अवैज्ञानिक और खतरनाक” बताया।

2. सही ट्रेनिंग के बिना फील्ड वर्क बंद किया जाए

बीएलओ को टैब, ऐप, फॉर्म और सिस्टम की पूरी ट्रेनिंग दी जाए।

3. टाइमलाइन को बढ़ाया जाए

3 साल का काम 3 महीने में न किया जाए।

4. धमकी और दबाव की कार्रवाई बंद हो

कारण बताओ नोटिस और सस्पेंशन की धमकियाँ रोकने की मांग।

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क्या SIR से बंगाल में बड़ा राजनीतिक संकट खड़ा हो रहा है?

राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो—

  1. बंगाल में वोटर लिस्ट हमेशा से राजनीतिक विवाद का विषय रही है
  2. TMC का आरोप है कि “घुसपैठियों की पहचान” के नाम पर असली वोटरों को हटाया जा सकता है
  3. भाजपा आरोप लगाती है कि बंगाल सरकार SIR को रोककर वोट बैंक बचाना चाहती है
  4. दोनों पक्षों की बयानबाजी ने माहौल और गर्म कर दिया है

यह साफ है कि SIR सिर्फ तकनीकी प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह सीधे बंगाल की राजनीति के केंद्र में आ चुका है।

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लोकतंत्र कमजोर होने की चेतावनी — क्यों?

ममता बनर्जी ने अपने पत्र का अंत बेहद गंभीर चेतावनी के साथ किया—

“अगर अभी कार्रवाई नहीं की गई तो लोकतंत्र कमजोर हो जाएगा।”

उनका संकेत था:

  1. गलत वोटर लिस्ट
  2. असली वोटरों की कटौती
  3. कर्मचारियों पर बोझ
  4. फर्जी डाटा
  5. चुनाव प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर असर

यानी यह विवाद आने वाले चुनावों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हो सकता है।

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निष्कर्ष: क्या चुनाव आयोग बंगाल की मांगों पर विचार करेगा?

अब सवाल यह है कि क्या चुनाव आयोग—

  1. SIR को रोक देगा?
  2. टाइमलाइन बदल देगा?
  3. बीएलओ को राहत देगा?
  4. या प्रक्रिया पहले की तरह जारी रहेगी?

अभी तक आयोग की ओर से इस पत्र पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन राजनीतिक हलकों में इस पत्र ने बड़ा तूफान खड़ा कर दिया है।

Source: Tv9

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