TCS Layoff Row: टीसीएस में जबरन इस्तीफे, कर्मचारी बोले – अब यकीन नहीं होता ये रतन टाटा की कंपनी है
TCS Layoff 2025: टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) में पहली बार बड़े पैमाने पर छंटनी। कर्मचारियों का आरोप – जबरन इस्तीफे लिए जा रहे, सोशल मीडिया पर फूटा गुस्सा।

TCS Layoff Row
delhi
3:41 PM, Sep 30, 2025
O News हिंदी Desk
यकीन नहीं होता! ये रतन टाटा की टीसीएस है – जबरन इस्तीफे, अंधकार में कर्मचारी, सोशल मीडिया पर फूटा गुस्सा
TCS Layoff Row News in Hindi | Tata Consultancy Services Job Cuts | Employees Forced Resignation
नई दिल्ली। भारत की सबसे भरोसेमंद कंपनियों में से एक टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) आज विवादों के घेरे में है। कभी सरकारी नौकरी जितनी सुरक्षित मानी जाने वाली टीसीएस की जॉब पर अब संकट मंडरा रहा है। कंपनी ने पिछले दो दशक में पहली बार बड़े पैमाने पर छंटनी (Layoff) का ऐलान किया है, और कर्मचारियों के मुताबिक यह छंटनी सामान्य नहीं बल्कि जबरन इस्तीफा दिलवाकर (Forced Resignation) की जा रही है।
12 हज़ार नौकरियां दांव पर – लेकिन संख्या और भी बड़ी?
कंपनी ने दो महीने पहले घोषणा की थी कि वह अपने कुल कर्मचारियों की संख्या में लगभग 2% की कटौती करेगी। इसका मतलब है कि करीब 12 हज़ार कर्मचारियों की नौकरी जाएगी। लेकिन आईटी कर्मचारियों के संगठनों का दावा है कि यह आंकड़ा कहीं अधिक हो सकता है और इसका असर 30 हज़ार तक कर्मचारियों पर पड़ेगा।
यही वजह है कि सोशल मीडिया पर कर्मचारियों का गुस्सा फूट पड़ा है। कई कर्मचारी अपनी पर्सनल स्टोरीज़ साझा कर रहे हैं, जिसमें वे बता रहे हैं कि किस तरह उन पर इस्तीफा देने का दबाव बनाया जा रहा है।
“मुझे धमकाया गया कि इस्तीफा दो, वरना टर्मिनेट कर देंगे”
एक पूर्व कर्मचारी ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा:
“तीन दिन पहले मुझे एक मीटिंग रूम में बुलाया गया और इस्तीफा देने के लिए कहा गया। मैंने मना किया तो डराने-धमकाने लगे। कहा गया कि अगर खुद से रिजाइन नहीं करोगे तो टर्मिनेट कर देंगे और खराब रिव्यू भी डाल देंगे। उस वक्त मैं रोने लगा लेकिन मजबूती से अपने फैसले पर अड़ा रहा। मैंने साफ कहा कि आपको जो करना है कीजिए, मैं रिजाइन नहीं करूंगा।”
यह कहानी अकेले एक कर्मचारी की नहीं है। सैकड़ों लोग सोशल मीडिया पर अपने साथ हुए अनुभव साझा कर रहे हैं, जिससे पता चलता है कि कंपनी के भीतर असुरक्षा और भय का माहौल बन गया है।
“नौकरी गई तो शादी टूट जाएगी” – कर्मचारियों की दर्दनाक कहानियां
एक अन्य कर्मचारी ने अपनी पोस्ट में लिखा:
“एक पैनल मेरे इस्तीफे का इंतजार कर रहा था। एचआर ने मुझसे पूछा कि 9 घंटे की जगह सिर्फ 7 घंटे क्यों काम कर रहे हो। मैंने कहा कि मैं एक स्पेशल ट्रेनिंग ले रहा हूं, जिसका प्रमाणपत्र भी है। लेकिन मेरी बात नहीं सुनी गई और इस्तीफा देने को कहा गया। अगर जॉब गई तो मेरी शादी भी कैंसिल हो जाएगी। मैं अपने परिवार में अकेला कमाने वाला हूं। अब मुझे जबरन बेरोजगार कर दिया गया है।”
ऐसे बयान पढ़कर साफ जाहिर है कि छंटनी का असर केवल एक कर्मचारी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उनके पूरे परिवार, उनके सामाजिक जीवन और मानसिक स्वास्थ्य पर भारी पड़ रहा है।
आईटी यूनियनों और ट्रेड यूनियनों ने उठाई आवाज़
आईटी कर्मचारियों के संगठन ने टीसीएस के इस कदम की निंदा की है। संगठनों का कहना है कि इस छंटनी का असर व्यापक होगा और आने वाले समय में अन्य आईटी कंपनियां भी इसी तरह का रास्ता अपना सकती हैं।
- केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने भी इस मसले पर चिंता जताई है।
- यूनियनों ने केंद्र सरकार से तुरंत दखल देने की मांग की है।
- उनका कहना है कि यह सिर्फ नौकरी खोने का मामला नहीं है, बल्कि यह लाखों परिवारों की आजीविका और देश की अर्थव्यवस्था से जुड़ा हुआ मुद्दा है।
रतन टाटा को याद कर रहे कर्मचारी
दिलचस्प बात यह है कि कर्मचारियों की पोस्ट पर हजारों लोग रतन टाटा को याद कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर रतन टाटा सक्रिय भूमिका में होते तो शायद यह स्थिति नहीं आती। कई लोग लिख रहे हैं कि टाटा ग्रुप की पहचान सुरक्षित नौकरी और कर्मचारी-हितैषी नीतियों के लिए रही है, लेकिन आज वही कंपनी कर्मचारियों को अंधकार में धकेल रही है।
सोशल मीडिया पर उबाल – ‘Dark Side of TCS’ ट्रेंड
ट्विटर (X), लिंक्डइन और फेसबुक पर #DarkSideOfTCS और #StopForcedResignations जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
- कई यूजर्स ने लिखा कि टीसीएस जैसी प्रतिष्ठित कंपनी से ऐसी उम्मीद नहीं थी।
- कुछ लोगों का मानना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और ऑटोमेशन की वजह से आईटी सेक्टर में जॉब्स का संकट और गहराएगा।
- वहीं कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि कंपनी का यह कदम कॉस्ट कटिंग (Cost Cutting) और मुनाफा बढ़ाने की रणनीति का हिस्सा है।
सरकार की भूमिका और कर्मचारियों की उम्मीदें
कर्मचारी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि केंद्र सरकार इस मामले में दखल देगी। आईटी सेक्टर को भारतीय अर्थव्यवस्था का मेरुदंड माना जाता है। ऐसे में अगर देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनियों में से एक छंटनी करती है, तो इसका असर पूरे उद्योग पर पड़ेगा।
आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि अगर छंटनी का यह सिलसिला बढ़ा, तो भारत की स्टार्टअप इकॉनमी, बैंकिंग सेक्टर और कंज्यूमर मार्केट पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
क्या वाकई 30 हज़ार से अधिक नौकरी जाएंगी?
टीसीएस ने आधिकारिक तौर पर सिर्फ 12 हज़ार कर्मचारियों की छंटनी की बात कही है। लेकिन कर्मचारियों और यूनियनों का दावा है कि वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक है।
- कई जगहों पर कर्मचारियों को इस्तीफा लिखवाकर बाहर किया जा रहा है।
- कई मामलों में परफॉर्मेंस रिव्यू को हथियार बनाकर कर्मचारियों को टारगेट किया जा रहा है।
- यह सब मिलाकर वास्तविक संख्या 25–30 हज़ार तक पहुंच सकती है।
निष्कर्ष – भरोसा टूटा, भविष्य धुंधला
टीसीएस की यह छंटनी केवल एक कॉर्पोरेट निर्णय नहीं है, बल्कि यह लाखों युवाओं के सपनों और सुरक्षा की भावना पर सीधा हमला है। कभी जिस कंपनी को ‘सबसे सुरक्षित नियोक्ता’ माना जाता था, आज वही कंपनी कर्मचारियों को धमकाकर इस्तीफा दिलवाने के आरोप झेल रही है।
कर्मचारी सवाल पूछ रहे हैं –
- क्या अब टाटा ग्रुप की कंपनियों में भी नौकरी सुरक्षित नहीं रही?
- क्या सरकार इस मुद्दे पर आवाज उठाएगी?
- और सबसे बड़ा सवाल – भारत का आईटी सेक्टर किस दिशा में जा रहा है?
Source: News 18