"UNESCO ने भगवद गीता को दी मान्यता, फिर भी भारत में पढ़ाई नहीं जाती – क्यों?"
"UNESCO ने भगवद गीता को दी मान्यता, फिर भी भारत में पढ़ाई नहीं जाती – क्यों?"

भगवद गीता व नाट्यशास्त्र UNESCO सूची में शामिल.!
12:00 AM, Apr 19, 2025
O News हिंदी Desk
भगवद गीता और नाट्यशास्त्र को मिला वैश्विक सम्मान, UNESCO की 'Memory of the World' सूची में शामिल
19 अप्रैल 2025 | नई दिल्ली
भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा को आज वैश्विक स्तर पर ऐतिहासिक मान्यता मिली है।भगवद गीताऔरनाट्यशास्त्रकोUNESCO की 'Memory of the World' (MoW)रजिस्टर में शामिल कर लिया गया है। यह उपलब्धि भारत की सांस्कृतिक विरासत के लिए गर्व की बात है और वैश्विक मंच पर हमारी प्राचीन ग्रंथों की महत्ता को दर्शाती है।
क्या है UNESCO की 'Memory of the World' सूची?
UNESCO की यह सूची विश्वभर के उन दस्तावेज़ों, पांडुलिपियों और ग्रंथों को शामिल करती है जो मानव सभ्यता के लिए सांस्कृतिक, ऐतिहासिक या बौद्धिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इसका उद्देश्य इन अमूल्य दस्तावेजों को संरक्षित करना और आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना है।
भगवद गीता:आध्यात्मिकता का शाश्वत संदेश
भगवद गीताकेवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में मार्गदर्शन देने वाला दर्शन है। श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया ज्ञान आज भी प्रबंधन, आत्मविकास और नैतिक निर्णयों में मार्गदर्शक माना जाता है।
नाट्यशास्त्र:भारतीय कला-संस्कृति का वैज्ञानिक आधार
भरतमुनि द्वारा रचित नाट्यशास्त्रविश्व का सबसे प्राचीन रंगमंचीय ग्रंथ है। इसमें नृत्य, संगीत, नाटक और अभिनय के सिद्धांतों का वैज्ञानिक विवरण दिया गया है। यह आज भी भारतीय नाट्य और नृत्य शैलियों की रीढ़ माना जाता है।
वैश्विक स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा में वृद्धि
इस घोषणा के साथ ही भारत ने एक बार फिर विश्व को यह दिखा दिया है कि उसकी सांस्कृतिक विरासत कितनी समृद्ध, गूढ़ और सार्वकालिक है। यह कदम न केवल भारतीय परंपराओं को वैश्विक मान्यता देता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को अपनी जड़ों से जुड़ने के लिए प्रेरित करता है।