बहराइच में अवैध मदरसे से 40 नाबालिग बच्चियां बरामद, प्रशासन ने दिया बंद करने का आदेश
बहराइच (उत्तर प्रदेश) के एक अवैध मदरसे से 40 नाबालिग बच्चियां संदिग्ध हालात में मिलीं। जांच के बाद प्रशासन ने मदरसे को बंद करने और बच्चियों को सुरक्षित घर भेजने का आदेश दिया। पढ़ें पूरी खबर।

अवैध मदरसे से 40 नाबालिग बच्चियां बरामद ( Image AI )
उत्तर प्रदेश
2:26 PM, Sep 26, 2025
O News हिंदी Desk
बहराइच का चौंकाने वाला खुलासा: अवैध मदरसे के शौचालय में मिलीं 40 नाबालिग बच्चियां, प्रशासन ने दिया बंद करने का आदेश
बहराइच (उत्तर प्रदेश)। उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने हर किसी को हिलाकर रख दिया है। जिले की पयागपुर तहसील में स्थित एक कथित अवैध मदरसे के शौचालय से अचानक 40 नाबालिग बच्चियां संदिग्ध हालात में बाहर निकलीं। 9 से 14 साल की उम्र की ये बच्चियां डरी-सहमी थीं और प्रशासन के सवालों का जवाब तक नहीं दे पा रही थीं। मामला सामने आते ही अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने मदरसे को तत्काल बंद करने और बच्चियों को सुरक्षित उनके घर भेजने का आदेश जारी कर दिया।
छत पर बने शौचालय से निकलीं 40 बच्चियां
जांच टीम का नेतृत्व कर रहे उप जिलाधिकारी (एसडीएम) अश्विनी कुमार पांडे ने बताया कि उन्हें पहलवारा गांव में अवैध मदरसे के संचालन की शिकायत मिली थी। बुधवार को जब वे पुलिस बल और विभागीय अधिकारियों के साथ मौके पर पहुंचे तो मदरसे के संचालकों ने उन्हें अंदर जाने से रोकने की कोशिश की। जब पुलिस की मदद से टीम अंदर दाखिल हुई और छत तक पहुंची, तो वहां बने शौचालय का दरवाजा बंद मिला।
महिला पुलिसकर्मियों ने दरवाजा खुलवाया तो जो नजारा सामने आया उसने सभी को हैरान कर दिया। शौचालय के अंदर एक-एक कर 40 बच्चियां बाहर आईं। सभी मासूम बच्चियां सहमी हुई थीं और डर के कारण कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं थीं।
अफरा-तफरी का बहाना या हकीकत?
जांच अधिकारियों ने जब इस घटना पर मदरसे की शिक्षिका तकसीम फातिमा से सवाल किया तो उन्होंने दावा किया कि अचानक हुए निरीक्षण से बच्चियां घबरा गईं और डरकर खुद ही शौचालय में छिप गईं। हालांकि अधिकारियों को यह सफाई संदेहास्पद लगी।
जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी मोहम्मद खालिद ने कहा कि फिलहाल मदरसे के दस्तावेजों की जांच की जा रही है। साथ ही आदेश दिया गया है कि सभी बच्चियों को उनके घर सुरक्षित पहुंचाया जाए।
प्रशासन की कार्रवाई और पुलिस का बयान
अपर पुलिस अधीक्षक (नगर) रामानंद प्रसाद कुशवाहा ने बताया कि अब तक इस मामले में किसी भी बच्ची के परिजनों, एसडीएम या अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी की ओर से औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है। उन्होंने कहा कि यदि कोई शिकायत मिलती है तो कानून के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
एसडीएम ने साफ कहा कि बिना मान्यता के चल रहे मदरसे में इतनी बड़ी संख्या में नाबालिग बच्चियों का एक साथ बंद मिलना बेहद गंभीर विषय है। इसलिए मदरसे को तत्काल बंद करने के आदेश दिए गए हैं।
सवालों के घेरे में मदरसे का संचालन
यह घटना कई गंभीर सवाल खड़े करती है।
- क्या यह मदरसा बिना सरकारी अनुमति के लंबे समय से चल रहा था?
- इन बच्चियों को किस उद्देश्य से यहां रखा गया था?
- क्यों बच्चियों को एक साथ शौचालय में बंद पाया गया?
- क्या अभिभावकों को इस बारे में जानकारी थी?
इन सवालों का जवाब अभी जांच पूरी होने के बाद ही मिल पाएगा, लेकिन फिलहाल प्रशासन ने मदरसे के संचालकों पर नजर रखनी शुरू कर दी है।
बच्चियों की सुरक्षा पर चिंता
घटना के बाद स्थानीय लोग भी सकते में हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इस तरह के अवैध संस्थान बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि जिले में चल रहे सभी मदरसों की गहन जांच कराई जाए ताकि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
सामाजिक संगठनों ने भी घटना पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि बच्चियों को डर और तनाव से बाहर लाने के लिए काउंसलिंग और सुरक्षित माहौल देना जरूरी है।
सरकार और अल्पसंख्यक विभाग की भूमिका
उत्तर प्रदेश सरकार हाल के वर्षों में मदरसों को आधुनिक शिक्षा और पारदर्शिता के दायरे में लाने के लिए कई कदम उठा रही है। लेकिन बहराइच का यह मामला बताता है कि जमीनी स्तर पर अब भी निगरानी की कमी है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समय-समय पर सख्त निरीक्षण न किए जाएं, तो इस तरह की घटनाएं दोबारा सामने आ सकती हैं। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने भी माना है कि उन्हें लगातार निगरानी बढ़ाने की आवश्यकता है।
देशभर में चर्चा का विषय
बहराइच का यह मामला सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है। सोशल मीडिया पर लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर नाबालिग बच्चियों को एक साथ शौचालय में क्यों रखा गया था। कई लोग इसे मानवाधिकार उल्लंघन और बाल संरक्षण कानून की धज्जियां उड़ाने जैसा बता रहे हैं।
कानूनी पहलू और बाल अधिकार
भारतीय कानून के मुताबिक 14 साल से कम उम्र के बच्चों को शिक्षा और सुरक्षित वातावरण देना प्रत्येक संस्था और परिवार की जिम्मेदारी है। बाल संरक्षण अधिनियम (POCSO Act) और किशोर न्याय कानून के तहत बच्चों के साथ किसी भी तरह का दुर्व्यवहार या उनकी स्वतंत्रता का हनन अपराध की श्रेणी में आता है।
कानूनी जानकारों का कहना है कि यदि जांच में बच्चियों को अवैध रूप से रोककर रखने या उनके साथ किसी प्रकार का मानसिक या शारीरिक उत्पीड़न सामने आता है, तो मदरसे के संचालकों पर कड़ी धाराओं में मामला दर्ज किया जा सकता है।
लोगों की प्रतिक्रिया
स्थानीय नागरिकों ने प्रशासन की कार्रवाई का स्वागत किया है। उनका कहना है कि ऐसे मदरसों पर तुरंत रोक लगानी चाहिए जो नाबालिग बच्चों को असुरक्षित माहौल में रखते हैं। वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए ताकि सच्चाई सामने आ सके।
निष्कर्ष
बहराइच का यह मामला सिर्फ एक अवैध मदरसे तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सवाल भी उठाता है कि बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा को लेकर समाज कितना सतर्क है। एक ओर सरकार शिक्षा के अधिकार और बेटियों की सुरक्षा की बात करती है, वहीं दूसरी ओर इस तरह की घटनाएं पूरे सिस्टम की पोल खोल देती हैं।
अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले की जांच को कितनी गंभीरता से आगे बढ़ाता है और बच्चियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए क्या ठोस कदम उठाता है।
Source: India Tv