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बड़ी खबर/न्यूज़/a 13 year old boy ran away from afghanistan hiding in the wheel of the plane

जान जोखिम में डालकर अफगानिस्तान से भागा 13 साल का लड़का, विमान के पहिये में छिपकर पहुंचा दिल्ली।

अफगानिस्तान से आई KAM एयर की फ्लाइट में एक 13 साल का लड़का पहिये के पास छिपकर दिल्ली पहुंच गया। यह घटना IGI एयरपोर्ट पर सभी के लिए चौंकाने वाली थी। एविएशन एक्सपर्ट्स का कहना है कि उड़ान के दौरान व्हील वेल में जिंदा रह पाना लगभग नामुमकिन है, क्योंकि वहां ऑक्सीजन की भारी कमी और बेहद ठंड होती है। फिर भी यह बच्चा 94 मिनट की यात्रा के बाद सुरक्षित बच गया। इस घटना ने काबुल एयरपोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था प

जान जोखिम में डालकर अफगानिस्तान से भागा 13 साल का लड़का, विमान के पहिये में छिपकर पहुंचा दिल्ली।

13 साल का लड़का, विमान के पहिये में छिपकर पहुंचा दिल्ली ( Image-AI )

delhi

7:08 PM, Sep 22, 2025

O News हिंदी Desk

13 साल के लड़के की हैरतअंगेज कहानी: अफगानिस्तान से विमान के पहिए में छिपकर दिल्ली पहुंचा।

नई दिल्ली: हवाई सफर के इतिहास में यह घटना किसी चमत्कार से कम नहीं है।

रविवार सुबह अफगानिस्तान से दिल्ली आई KAM एयर की फ्लाइट RQ4401 में एक 13 साल का बच्चा विमान के व्हील वेल (Wheel Well) में छिपकर भारत पहुंच गया। हैरानी की बात यह है कि वह लगभग 94 मिनट की खतरनाक यात्रा के बाद भी जिंदा बच गया। एयरपोर्ट स्टाफ और यात्रियों को जब इसकी जानकारी मिली तो हर कोई सन्न रह गया।

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कैसे हुई यह घटना?

The New Indian Express की रिपोर्ट के मुताबिक, एयरबस A340 विमान काबुल के हामिद करजई इंटरनेशनल एयरपोर्ट से सुबह 8:46 बजे (भारतीय समयानुसार) उड़ा और दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (IGI Airport) पर सुबह 10:20 बजे लैंड किया।

सूत्रों के अनुसार, कुर्ता-पायजामा पहने यह लड़का असल में ईरान जाने की फिराक में था, लेकिन गलती से गलत विमान में चढ़ गया। उसने कबूल किया कि वह यात्रियों के पीछे-पीछे काबुल एयरपोर्ट पर घुसा और विमान में चढ़ते समय व्हील वेल में जाकर छिप गया।

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व्हील वेल क्या होता है?

व्हील वेल विमान का वह हिस्सा है, जहां टेकऑफ के बाद लैंडिंग गियर (पहिए) अंदर खींच लिए जाते हैं। यह बेहद संकरा और खतरनाक स्थान होता है, जहां उड़ान के दौरान -50 डिग्री तक तापमान और बेहद कम ऑक्सीजन होती है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस जगह पर हाइपोक्सिया (ऑक्सीजन की कमी), हाइपोथर्मिया (अत्यधिक ठंड), फ्रॉस्टबाइट और लैंडिंग गियर से कुचले जाने का खतरा हमेशा बना रहता है।

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कैसे हुआ खुलासा?

जब विमान दिल्ली एयरपोर्ट के T3 टर्मिनल पर उतरा और यात्री बाहर निकले, तो एक ग्राउंड हैंडलर ने प्रतिबंधित क्षेत्र में एक किशोर को घूमते देखा। उसने तुरंत अधिकारियों को सूचना दी। इसके बाद CISF (केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल) ने उसे हिरासत में लिया और एयरपोर्ट पुलिस के हवाले कर दिया।

सूत्रों ने बताया कि नाबालिग होने की वजह से उस पर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई है। फिलहाल लड़के की हालत स्थिर है और वह सुरक्षित है।

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सुरक्षा पर उठे सवाल

इस घटना ने काबुल एयरपोर्ट की सुरक्षा व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक सुरक्षा अधिकारी ने कहा: "अगर कोई किशोर इतनी आसानी से यात्रियों के साथ एयरपोर्ट में घुस सकता है और विमान में चढ़ सकता है, तो यह इंटरनेशनल एविएशन सिक्योरिटी के लिए बहुत बड़ा खतरा है।"

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एक एविएशन एक्सपर्ट ने इस घटना को "चमत्कार" करार दिया। उन्होंने कहा: "इतनी ऊंचाई और इतनी ठंड में जिंदा रह पाना लगभग नामुमकिन होता है। यह लड़का वाकई बहुत भाग्यशाली है कि वह मौत के मुंह से बच निकला।"

वहीं एक डॉक्टर का कहना था कि ऐसी परिस्थितियों में शरीर कुछ ही मिनटों में ठंड और ऑक्सीजन की कमी से बेहोश हो जाता है। दुनिया भर में किए गए रिसर्च बताते हैं कि हर 5 में से सिर्फ 1 व्यक्ति ही ऐसी कोशिश में जिंदा बच पाता है।

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पहले भी हो चुकी है ऐसी घटना

यह पहली बार नहीं है जब भारत में किसी ने विमान के व्हील वेल में छिपने की कोशिश की हो। 14 अक्टूबर 1996 को दिल्ली से लंदन जा रही ब्रिटिश एयरवेज की फ्लाइट में 22 साल के प्रदीप सैनी और 19 साल के विजय सैनी नाम के दो भाई छिपकर गए थे। लंदन पहुंचने पर प्रदीप तो जिंदा बच गया, लेकिन विजय की मौत हो गई थी।

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क्यों खतरनाक है व्हील वेल में सफर करना?

  1. ऑक्सीजन की कमी (Hypoxia): 30,000 फीट की ऊंचाई पर हवा इतनी पतली हो जाती है कि सांस लेना नामुमकिन हो जाता है।
  2. बेहद ठंड (Hypothermia): तापमान -40 से -55 डिग्री तक चला जाता है।
  3. फ्रॉस्टबाइट: शरीर के अंग जमने लगते हैं और स्थायी नुकसान हो सकता है।
  4. मेकैनिकल खतरे: लैंडिंग गियर मूवमेंट में दबकर मौत हो सकती है।
  5. गिरने का खतरा: लैंडिंग या टेकऑफ के दौरान गिरने की संभावना रहती है।
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मानवीय पहलू

रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस 13 वर्षीय लड़के ने गरीबी और असुरक्षा से बचने के लिए यह कदम उठाया। उसका सपना था कि वह किसी सुरक्षित देश में जाकर नई जिंदगी शुरू कर सके। लेकिन उसकी यह कोशिश किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं लगती।

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अंतरराष्ट्रीय चिंता

इस घटना ने एक बार फिर यह साबित किया है कि एविएशन सिक्योरिटी और ह्यूमन ट्रैफिकिंग दोनों ही मुद्दे कितने गंभीर हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि ऐसे मामलों को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कड़ी निगरानी और सुरक्षा चेकिंग ज़रूरी है।

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निष्कर्ष

दिल्ली एयरपोर्ट पर घटी यह घटना मानवीय हिम्मत और किस्मत दोनों की मिसाल है। 13 साल का यह बच्चा मौत के इतने बड़े खतरे से बच निकला, लेकिन इसके साथ ही इसने पूरी दुनिया के एयरपोर्ट सिक्योरिटी सिस्टम पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं।

Source: Moneycontrol

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