प्रधानमंत्री आवास योजना से बदली गांव की तस्वीर | PMAY News
प्रधानमंत्री आवास योजना से छत्तीसगढ़ के सरकड़ा गांव में कच्चे घरों की जगह पक्के मकान बने। जानिए कैसे PMAY ने ग्रामीणों की जिंदगी बदली।

प्रधानमंत्री आवास योजना
छत्तीसगढ़
2:22 PM, Dec 9, 2025
O News हिंदी Desk
प्रधानमंत्री आवास योजना से सरकड़ा गांव में आई नई रोशनी, कच्ची झोपड़ियों से पक्के सपनों तक का सफर
छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले का एक छोटा-सा गांव सरकड़ा आज ग्रामीण विकास की एक मिसाल बनकर उभर रहा है। वह सरकड़ा, जहां कभी कच्चे मिट्टी के घर, टपकती छतें और हर पल जान का खतरा बना रहता था, आज वहीं पक्के, मजबूत और सुरक्षित मकान खड़े हैं। यह बदलाव किसी चमत्कार से कम नहीं, बल्कि केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) की जमीनी सफलता का जीता-जागता उदाहरण है।
जब बरसात डर बन जाती थी
सरकड़ा गांव के कई परिवारों के लिए बरसात खुशियां नहीं, बल्कि चिंता लेकर आती थी। कच्ची दीवारें, फूस या टीन की छतें और मिट्टी के फर्श—बरसात शुरू होते ही घरों में पानी भर जाता था। सांप-बिच्छू और अन्य जहरीले जीवों का डर अलग से बना रहता था। महिलाएं बच्चों को सीने से लगाकर रातें काटती थीं, तो पुरुषों के मन में हमेशा यह डर रहता था कि कहीं अगली तेज बारिश में घर ही न ढह जाए।
ग्रामीण बताते हैं कि कच्चे घरों में रहना केवल असुविधा नहीं, बल्कि सम्मान और सुरक्षा से जुड़ा सवाल भी था। समाज में पक्के घर को आज भी स्थिरता और सुरक्षित भविष्य का प्रतीक माना जाता है, जो इन परिवारों के लिए कभी एक दूर का सपना हुआ करता था।
प्रधानमंत्री आवास योजना बनी सहारा
इसी अंधेरे में प्रधानमंत्री आवास योजना गरीब ग्रामीण परिवारों के लिए उम्मीद की किरण बनकर आई। सरकड़ा गांव के पात्र लाभार्थियों को इस योजना के तहत 1 लाख 20 हजार रुपए आवास निर्माण के लिए और 21 हजार रुपए मजदूरी मद में मिले। यह राशि सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते में तीन किस्तों में ट्रांसफर की गई, जिससे पारदर्शिता बनी रही और पैसे के दुरुपयोग की कोई गुंजाइश नहीं रही।
इस आर्थिक सहायता ने ग्रामीणों को अपने सपनों का घर बनाने का अवसर दिया। पहली बार उन्हें लगा कि सरकार केवल कागजों में ही नहीं, बल्कि वास्तविक जीवन में भी उनके साथ खड़ी है।
कच्चे घरों से स्थायी आशियानों तक
आज सरकड़ा गांव की गलियों में चलते हुए जो दृश्य दिखाई देता है, वह कुछ साल पहले अकल्पनीय था। ईंटों से बने घर, सीमेंट की मजबूत छतें, दरवाजों पर ताले और खिड़कियों पर रोशनी—ये सभी बदलाव ग्रामीणों के जीवन में स्थायित्व लेकर आए हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि पक्का घर बनने के बाद उनके जीवन में सबसे बड़ा बदलाव मानसिक शांति है। अब बारिश में रात भर जागने की जरूरत नहीं, न ही बच्चों को जहरीले जीवों से बचाने के लिए हर पल सतर्क रहना पड़ता है।
महिलाओं और बच्चों के जीवन में बड़ा बदलाव
प्रधानमंत्री आवास योजना का असर सिर्फ दीवारों और छतों तक सीमित नहीं है। इसका सबसे गहरा प्रभाव महिलाओं और बच्चों के जीवन पर पड़ा है। गांव की महिलाएं बताती हैं कि पहले उन्हें खाना बनाते समय बारिश और हवा से जूझना पड़ता था। चूल्हा बुझ जाना आम बात थी। अब पक्के घर में रसोई सुरक्षित है, साफ है और खाना बनाना भी आसान हो गया है।
बच्चों के लिए भी यह घर पढ़ाई का एक सुरक्षित माहौल लेकर आए हैं। पहले बारिश या ठंड में पढ़ना मुश्किल होता था, लेकिन अब वे बिना भय और परेशानी के अपने भविष्य की तैयारी कर पा रहे हैं।
ग्राम पंचायत की सक्रिय भूमिका
ग्राम सरकड़ा की सरपंच कीर्ति लता दीवान का कहना है कि प्रधानमंत्री आवास योजना ने गांव की संपूर्ण तस्वीर बदल दी है। उन्होंने बताया कि पंचायत स्तर पर यह सुनिश्चित किया गया कि योजना का लाभ सही और पात्र परिवारों तक पहुंचे। उनका कहना है कि जिन लोगों ने कभी पक्का घर होने की कल्पना तक नहीं की थी, आज वे आत्मविश्वास के साथ अपने नए घरों में रह रहे हैं।
पंचायत की सक्रिय भूमिका, समय पर सर्वे और नियमित निगरानी ने इस योजना को सफल बनाने में अहम योगदान दिया है।
आंकड़े जो कहानी कहते हैं
ग्राम पंचायत के आवास मित्र के अनुसार, सरकड़ा में कुल 120 आवासों की स्वीकृति दी गई थी। इनमें से 104 आवास पूरी तरह बनकर तैयार हो चुके हैं, जबकि शेष पर निर्माण कार्य जारी है। यह आंकड़ा बताता है कि योजना केवल घोषणा तक सीमित नहीं रही, बल्कि तेजी से जमीन पर उतरकर परिणाम दे रही है।
सरकार द्वारा दी जाने वाली राशि किस्तों में मिलने से लाभार्थी समय पर निर्माण कार्य पूरा कर पा रहे हैं। इसके साथ ही कई परिवारों ने अपने स्तर पर कुछ अतिरिक्त राशि भी जोड़कर अपने घर को और बेहतर बनाया है।
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आत्मसम्मान और सुरक्षा की भावना
लाभार्थियों का कहना है कि पक्का घर मिलने से उन्हें केवल छत नहीं, बल्कि आत्मसम्मान भी मिला है। पहले लोग उनके कच्चे घर देखकर दया की नजर से देखते थे, लेकिन अब वही लोग उन्हें सम्मान से देखते हैं। गांव में सामाजिक स्थिति भी बेहतर हुई है।
एक हितग्राही ने भावुक होकर कहा कि उन्हें कभी विश्वास नहीं था कि वे अपने जीवन में पक्का घर देख पाएंगे। यह सब प्रधानमंत्री आवास योजना की वजह से संभव हुआ है, जिसके लिए वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दिल से धन्यवाद करते हैं।
ग्रामीण विकास की मजबूत नींव
विशेषज्ञों का मानना है कि प्रधानमंत्री आवास योजना जैसे कार्यक्रम ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देते हैं। घर निर्माण के दौरान स्थानीय मजदूरों को रोजगार मिलता है, निर्माण सामग्री की मांग बढ़ती है और गांव में आर्थिक गतिविधियां तेज होती हैं। मजदूरी मद में दी गई राशि से ग्रामीणों को तात्कालिक रोजगार भी मिला, जिससे उनकी आय में इजाफा हुआ।
सरकड़ा बना प्रेरणा
आज सरकड़ा गांव आसपास के गांवों के लिए प्रेरणा बन चुका है। लोग दूर-दूर से आकर यहां बने पक्के मकानों को देखते हैं और योजना की जानकारी लेते हैं। यह गांव बताता है कि अगर योजना सही तरीके से लागू हो, तो उसका असर पीढ़ियों तक रहता है।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री आवास योजना ने सरकड़ा गांव के लोगों के जीवन में स्थायित्व, सुरक्षा और सम्मान की भावना भर दी है। कच्ची झोपड़ियों से निकलकर पक्के आशियानों तक का यह सफर केवल मकानों का नहीं, बल्कि बेहतर भविष्य की ओर बढ़ते विश्वास का है। सरकड़ा की कहानी इस बात का प्रमाण है कि सही नीति और ईमानदार क्रियान्वयन से ग्रामीण भारत की तस्वीर बदली जा सकती है।
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