DU से हैदराबाद तक ABVP का जलवा, छात्र राजनीति में बड़ी जीत
Hyderabad University Students Union Election 2025 Results: दिल्ली यूनिवर्सिटी के बाद अब हैदराबाद यूनिवर्सिटी में भी ABVP-SLVD ने क्लीन स्वीप किया। शिव पालेपु अध्यक्ष चुने गए, सभी पदों पर ABVP का कब्जा। 81% से अधिक मतदान, NSUI ने लगाए आरोप।

हैदराबाद यूनिवर्सिटी
delhi
12:28 PM, Sep 21, 2025
O News हिंदी Desk
छात्र राजनीति में ABVP की धूम: DU के बाद हैदराबाद यूनिवर्सिटी में भी क्लीन स्वीप
हैदराबाद: दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) के बाद अब हैदराबाद यूनिवर्सिटी (University of Hyderabad - UoH) में भी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) का जलवा देखने को मिला। छात्र संघ चुनाव 2025 के नतीजों में एबीवीपी-एसएलवीडी (सेवा लाल विद्यार्थी दल) गठबंधन ने केंद्रीय पैनल के सभी पदों पर कब्जा कर लिया।
यह जीत ABVP के लिए न सिर्फ हैदराबाद यूनिवर्सिटी बल्कि पूरे देश की छात्र राजनीति में एक बड़ा संदेश मानी जा रही है। खास बात यह रही कि अध्यक्ष पद पर जीत महज 9 वोटों के अंतर से दर्ज हुई।
ABVP-एसएलवीडी ने किया क्लीन स्वीप
हैदराबाद यूनिवर्सिटी ने शनिवार को छात्र संघ चुनाव 2025 के नतीजे घोषित किए। परिणामों में एबीवीपी-एसएलवीडी गठबंधन ने सभी पदों पर बाजी मार ली।
- अध्यक्ष (President): शिव पालेपु (ABVP-SLVD)
- उपाध्यक्ष (Vice President): देवेंद्र (ABVP-SLVD)
- महासचिव (General Secretary): श्रुति प्रिय (ABVP-SLVD)
- संयुक्त सचिव (Joint Secretary): सौरभ शुक्ला (ABVP-SLVD)
- सांस्कृतिक सचिव (Cultural Secretary): वीनस (ABVP-SLVD)
- खेल सचिव (Sports Secretary): ज्वाला (ABVP-SLVD)
इस चुनाव में बहुजन छात्र मोर्चा की उम्मीदवार अनन्या दाश ने अध्यक्ष पद के लिए कड़ा मुकाबला किया। लेकिन अंततः एबीवीपी के शिव पालेपु ने उन्हें महज 9 वोटों से हराकर अध्यक्ष पद अपने नाम कर लिया।

ABVP का जलवा
81% से ज्यादा हुआ मतदान
इस बार छात्र संघ चुनाव में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला।
- कुल 169 उम्मीदवार विभिन्न पदों के लिए मैदान में थे।
- अध्यक्ष पद पर 8 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे थे।
- उपाध्यक्ष के लिए 5 उम्मीदवार, महासचिव के लिए 6 उम्मीदवार, संयुक्त सचिव के लिए 5 उम्मीदवार, जबकि सांस्कृतिक और खेल सचिव पद के लिए 4-4 उम्मीदवार मैदान में थे।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, 19 सितंबर को सुबह 9 बजे से शाम तक 29 मतदान केंद्रों पर मतदान हुआ। इस दौरान 81% से अधिक छात्रों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। परिसर के कई केंद्रों पर लंबी कतारें लगीं और छात्र धैर्यपूर्वक वोट डालते नजर आए।
क्यों खास है यह जीत?
हैदराबाद यूनिवर्सिटी की छात्र राजनीति हमेशा से राष्ट्रीय राजनीति का आईना मानी जाती है। यहां वामपंथी और दलित छात्र संगठनों का प्रभाव लंबे समय तक रहा है। लेकिन हाल के वर्षों में ABVP ने धीरे-धीरे अपनी जड़ें मजबूत की हैं।
- दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) में मिली ऐतिहासिक जीत के बाद अब हैदराबाद यूनिवर्सिटी में क्लीन स्वीप ने यह साबित कर दिया कि ABVP की पकड़ राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ रही है।
- शिव पालेपु का अध्यक्ष चुना जाना इस बात का संकेत है कि अब हैदराबाद यूनिवर्सिटी में दक्षिणपंथी छात्र राजनीति का वर्चस्व और मजबूत हुआ है।
चुनाव से पहले का विवाद
गौर करने वाली बात यह भी है कि इस चुनाव से पहले हैदराबाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने मौजूदा छात्र संघ को भंग कर दिया था। यह कदम सुप्रीम कोर्ट की लिंगदोह समिति (Lyngdoh Committee) के दिशा-निर्देशों के अनुपालन में उठाया गया।
- इस फैसले की NSUI (भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ) ने कड़ी आलोचना की।
- NSUI ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने मनमाने तरीके से छात्र संघ को भंग कर दिया।
- एनएसयूआई का कहना था कि पहले एक सर्वदलीय बैठक में यह तय हुआ था कि वर्तमान छात्र संघ का कार्यकाल पूरा होने के बाद चुनाव होंगे।
इसके बावजूद अचानक चुनाव कराने के फैसले ने पूरे कैंपस की राजनीति को गर्मा दिया। इस विवाद के बीच ABVP-एसएलवीडी ने चुनावी रणनीति में बढ़त बनाई और सभी पदों पर जीत हासिल की।
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छात्र संगठनों की प्रतिक्रिया
चुनाव नतीजे आने के बाद विभिन्न छात्र संगठनों की ओर से अलग-अलग प्रतिक्रियाएँ सामने आईं।
- ABVP: जीत को "कैंपस में राष्ट्रवादी विचारधारा की स्वीकृति" बताया।
- NSUI: प्रशासन पर पक्षपात और लोकतांत्रिक मूल्यों को ठेस पहुँचाने का आरोप लगाया।
- बहुजन छात्र मोर्चा: अध्यक्ष पद पर मिली करीबी हार को "संघर्ष की शुरुआत" कहा और भविष्य में और मजबूती से लौटने की बात कही।
हैदराबाद केंद्रीय विवि (UoH) छात्रसंघ चुनाव में ABVP का पूरा पैनल विजयी।
— Ashish Chauhan (@AshishSainram) September 20, 2025
पहले पंजाब विवि, पिछले कल दिल्ली विवि और आज हैदराबाद विवि - Gen Z ने अपना मत दे दिया है।
एक साल में गढ़वाल विवि, गुवाहाटी विवि, असम विवि, पटना विवि में अध्यक्ष पद पर अभाविप रही। #HCU #ABVPWinsHCU #HCUSU pic.twitter.com/7eduBJnOXQ
DU से HCU तक ABVP का विस्तार
हाल के दिनों में ABVP ने लगातार कई बड़ी यूनिवर्सिटीज़ में जीत दर्ज की है।
- दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) में जीत
- हैदराबाद यूनिवर्सिटी (HCU) में क्लीन स्वीप
- कई राज्य स्तरीय विश्वविद्यालयों में भी ABVP का प्रभाव
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ABVP की यह जीत सिर्फ छात्र संघ चुनावों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय राजनीति के बदलते समीकरणों की झलक भी है।
छात्र राजनीति पर राष्ट्रीय असर
भारतीय राजनीति में छात्र संगठन हमेशा से नई विचारधाराओं और आंदोलनों की प्रयोगशाला रहे हैं। जेएनयू (JNU), डीयू (DU), एचसीयू (HCU) और इलाहाबाद विश्वविद्यालय जैसी जगहों से ही देश को बड़े नेता और आंदोलनों की नींव मिली है।
हैदराबाद यूनिवर्सिटी में एबीवीपी की जीत का असर आगे चलकर राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में भी देखने को मिल सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक—
- यह जीत दक्षिण भारत में ABVP की पकड़ मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम है।
- इससे आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में भी छात्र राजनीति का प्रभाव झलक सकता है।
नतीजों से निकला निष्कर्ष
हैदराबाद यूनिवर्सिटी छात्र संघ चुनाव 2025 में एबीवीपी-एसएलवीडी की ऐतिहासिक जीत कई मायनों में अहम है।
- यह जीत दक्षिण भारत में ABVP के बढ़ते प्रभाव को दिखाती है।
- वाम और बहुजन छात्र संगठनों की चुनौती के बावजूद ABVP ने सभी पदों पर कब्जा किया।
- छात्र राजनीति में यह एक नए समीकरण की शुरुआत है, जिसके दूरगामी परिणाम होंगे।
निष्कर्ष
दिल्ली यूनिवर्सिटी के बाद हैदराबाद यूनिवर्सिटी में ABVP की क्लीन स्वीप ने एक बात साफ कर दी है कि छात्र राजनीति में अब राष्ट्रवादी संगठनों की पकड़ मजबूत हो रही है। 9 वोटों से दर्ज हुई अध्यक्ष पद की जीत भले ही मामूली लगे, लेकिन इसके राजनीतिक मायने बहुत बड़े हैं।
आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि हैदराबाद यूनिवर्सिटी का यह जनादेश राष्ट्रीय राजनीति में किस तरह का संदेश देता है।
Source: इंडिया टीवी