Ayodhya Mosque Plan Rejected: अयोध्या मस्जिद का लेआउट खारिज, राम मंदिर निर्माण तेजी से जारी
Ayodhya Mosque Plan Rejected News: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मिली 5 एकड़ जमीन पर मस्जिद निर्माण का प्लान अयोध्या विकास प्राधिकरण ने एनओसी की कमी के कारण खारिज कर दिया। वहीं राम मंदिर का काम तेजी से पूरा हो रहा है। जानें मस्जिद परियोजना क्यों अटकी और आगे क्या होगा।

Ayodhya Mosque Plan Rejected
delhi
10:59 AM, Sep 23, 2025
O News हिंदी Desk
अयोध्या में प्रस्तावित मस्जिद का प्लान खारिज, राम मंदिर तेजी से बन रहा – आखिर क्यों अटक गई परियोजना?
Ayodhya Mosque Plan Rejected News: अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद राम मंदिर का निर्माण जहां तेज़ी से आगे बढ़ रहा है, वहीं उसी फैसले के तहत मिली पांच एकड़ जमीन पर प्रस्तावित मस्जिद का प्लान खारिज कर दिया गया है। अयोध्या विकास प्राधिकरण (ADA) ने लेआउट प्लान को मंजूरी नहीं दी है क्योंकि मस्जिद ट्रस्ट को विभिन्न सरकारी विभागों से जरूरी No Objection Certificate (NOC) नहीं मिल पाए।
इस खुलासे के बाद एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है – आखिर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी मस्जिद परियोजना क्यों ठप पड़ी हुई है?
सुप्रीम कोर्ट का फैसला और जमीन का आवंटन
9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया। फैसले में राम जन्मभूमि न्यास को मंदिर निर्माण की अनुमति दी गई और साथ ही सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ वैकल्पिक जमीन मस्जिद और अन्य सुविधाओं के निर्माण के लिए देने का आदेश दिया गया।
इस आदेश के तहत 3 अगस्त 2020 को अयोध्या के तत्कालीन जिलाधिकारी अनुज कुमार झा ने धन्नीपुर गांव (अयोध्या के पास) में पांच एकड़ जमीन वक्फ बोर्ड को हस्तांतरित कर दी।
इसके बाद मस्जिद निर्माण के लिए बने इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (IICF) ट्रस्ट ने 23 जून 2021 को अयोध्या विकास प्राधिकरण के पास लेआउट प्लान की मंजूरी के लिए आवेदन किया। लेकिन चार साल गुजर जाने के बाद भी इस योजना पर कोई ठोस प्रगति नहीं हो सकी।
प्लान खारिज क्यों हुआ?
सूचना के अधिकार (RTI) से यह सामने आया है कि मस्जिद के लेआउट प्लान को मंजूरी नहीं मिली क्योंकि कई सरकारी विभागों ने आवश्यक एनओसी जारी नहीं की।
खासकर अग्निशमन विभाग ने आपत्ति जताई थी। विभाग ने साइट निरीक्षण के दौरान पाया कि मस्जिद और अस्पताल भवन की प्रस्तावित ऊंचाई के अनुसार मुख्य अप्रोच रोड की चौड़ाई कम से कम 12 मीटर होनी चाहिए। जबकि धन्नीपुर में प्रस्तावित साइट पर सड़कें 6 मीटर से ज्यादा चौड़ी नहीं हैं और मुख्य अप्रोच रोड महज़ 4 मीटर की है।
बिना इन तकनीकी आपत्तियों को दूर किए योजना को मंजूरी देना संभव नहीं है। यही वजह है कि ADA ने प्लान खारिज कर दिया।
मस्जिद ट्रस्ट की नाराजगी
मस्जिद ट्रस्ट के सचिव अतहर हुसैन ने मीडिया से बातचीत में नाराजगी जताते हुए कहा: “सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन देने का आदेश दिया था और सरकार ने वह जमीन हमें आवंटित भी की। लेकिन अब विभाग एनओसी नहीं दे रहे। यह समझ से बाहर है कि जब जमीन सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दी गई है तो योजना को मंजूरी क्यों नहीं मिल रही।”
उन्होंने यह भी कहा कि अग्निशमन विभाग की आपत्ति के अलावा उन्हें किसी अन्य विभाग की ओर से कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है। ट्रस्ट की ओर से जल्द ही इस पर आगे की रणनीति तय की जाएगी।
राम मंदिर बनाम मस्जिद: दो परियोजनाओं की रफ्तार
सबसे बड़ी चर्चा का विषय यह है कि सुप्रीम कोर्ट के उसी फैसले के तहत राम मंदिर और मस्जिद – दोनों का रास्ता साफ हुआ था।
- राम मंदिर निर्माण: तेजी से चल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनवरी 2024 में मंदिर के प्रथम चरण का उद्घाटन भी कर दिया।
- मस्जिद निर्माण: चार साल बाद भी जमीन पर कोई काम शुरू नहीं हो सका। सिर्फ ट्रस्ट गठन और प्लानिंग तक ही परियोजना सीमित रही।
इससे दोनों परियोजनाओं की तुलना में असमानता साफ दिखाई दे रही है।
राजनीतिक और सामाजिक असर
अयोध्या विवाद पहले से ही भारत के सबसे संवेदनशील और चर्चित मुद्दों में से एक रहा है। अब जब मस्जिद का लेआउट प्लान खारिज हो गया है, तो राजनीतिक हलकों में इस पर नई बहस शुरू हो सकती है।
- भाजपा और हिंदू संगठनों के लिए यह खबर मंदिर निर्माण की प्रगति को और मजबूत करेगी।
- वहीं मुस्लिम संगठनों और विपक्षी पार्टियों के लिए यह सवाल खड़ा करने का मौका होगा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद मस्जिद परियोजना में रुकावट क्यों डाली जा रही है।
कानूनी और प्रशासनिक पेच
विशेषज्ञ मानते हैं कि मामला केवल प्रशासनिक तकनीकीताओं तक सीमित नहीं है। मस्जिद जैसी बड़ी परियोजना के लिए ज़रूरी एनओसी हासिल करना और प्लान पास कराना एक लंबी प्रक्रिया है।
- भूमि उपयोग (Land Use) का बदलाव
- सड़क और पहुंच मार्ग (Approach Road) की चौड़ाई
- पर्यावरण और अग्निशमन विभाग की मंजूरी
- स्वास्थ्य और नागरिक सुविधाओं से जुड़ी रिपोर्ट्स
इन सभी चरणों को पूरा किए बिना योजना को हरी झंडी नहीं मिल सकती।
आगे का रास्ता क्या?
मस्जिद ट्रस्ट को अब दो चुनौतियों का सामना करना होगा –
- तकनीकी खामियों को दूर करना, जैसे अप्रोच रोड चौड़ा करना और सुरक्षा मानकों को पूरा करना।
- सरकारी विभागों से एनओसी हासिल करना।
इसके बाद ही वे नया प्लान अयोध्या विकास प्राधिकरण के पास जमा कर सकते हैं। अगर विभाग फिर से आपत्ति जताता है, तो ट्रस्ट के पास कानूनी रास्ता अपनाने का विकल्प रहेगा।
विशेषज्ञों की राय
कानूनी जानकारों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश स्पष्ट है – पांच एकड़ जमीन मस्जिद निर्माण के लिए दी जानी चाहिए। ऐसे में राज्य सरकार या प्रशासन इसे पूरी तरह रोक नहीं सकते। लेकिन यह भी सच है कि किसी भी भवन निर्माण को तकनीकी और सुरक्षा मानकों से समझौता करके मंजूरी नहीं दी जा सकती।
यानी मस्जिद निर्माण का रास्ता अभी भी खुला है, लेकिन उसे सख्त प्रशासनिक प्रक्रियाओं से गुजरना होगा।
निष्कर्ष
अयोध्या विवाद का फैसला भारत के इतिहास का सबसे बड़ा न्यायिक निर्णय माना गया। इस फैसले ने राम मंदिर निर्माण का रास्ता खोला, लेकिन साथ ही मस्जिद निर्माण की भी गारंटी दी थी।
आज मंदिर की भव्य संरचना खड़ी हो चुकी है, जबकि मस्जिद का प्लान कागज़ों में अटका हुआ है। यह स्थिति न केवल प्रशासनिक विफलता दिखाती है, बल्कि एक सवाल भी छोड़ती है – क्या दोनों पक्षों को बराबरी का न्याय मिला?
आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड और मस्जिद ट्रस्ट इस बाधा को कैसे पार करते हैं और क्या सरकार उन्हें सहयोग करती है।
Source: News 18