बिहार SIR विवाद: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, आपत्तियां दर्ज करने की समयसीमा बढ़ाने से इनकार
बिहार SIR विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने विपक्ष को बड़ा झटका दिया। कोर्ट ने आपत्तियां और दावे दर्ज करने की समयसीमा बढ़ाने से इनकार कर दिया। जानें चुनाव आयोग ने क्या दलील दी और आगे की प्रक्रिया क्या होगी।

बिहार SIR विवाद
delhi
8:11 PM, Sep 3, 2025
O News हिंदी Desk
बिहार SIR विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने समयसीमा बढ़ाने से किया इनकार, विपक्ष को बड़ा झटका
बिहार में Special Summary Revision (SIR) को लेकर जारी विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। विपक्षी दलों की मांग थी कि दावे और आपत्तियां दर्ज करने की अंतिम तिथि बढ़ाई जाए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाते हुए साफ कर दिया कि चुनाव आयोग द्वारा तय की गई 1 सितंबर की डेडलाइन में कोई बदलाव नहीं होगा। यह फैसला विपक्ष के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट का रुख
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि अगर तारीख बढ़ाई गई तो यह प्रक्रिया अंतहीन हो जाएगी और इससे वोटर लिस्ट फाइनल करने में देरी होगी। कोर्ट ने राजनीतिक दलों को निर्देश दिया कि वे अपने प्रतिनिधियों को सक्रिय रूप से इस प्रक्रिया में शामिल करें और सहयोग सुनिश्चित करें।
चुनाव आयोग की दलील
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी कि —
- बिहार की मसौदा मतदाता सूची में शामिल 2.74 करोड़ मतदाताओं में से 99.5% लोगों ने पात्रता दस्तावेज जमा कर दिए हैं।
- जिनके दस्तावेज अधूरे हैं, उन्हें नोटिस जारी किया जा रहा है और 7 दिनों के भीतर दस्तावेज पूरे करने का समय दिया गया है।
- आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि 1 सितंबर की समयसीमा के बाद भी आवेदन किए जा सकते हैं और नामांकन की अंतिम तिथि तक उन पर विचार होगा।
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विपक्ष की चिंता
विपक्षी दलों का आरोप है कि SIR प्रक्रिया में कई खामियां हैं और बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम सूची से हटाए जा रहे हैं। विपक्ष का कहना है कि पर्याप्त समय न मिलने से कई योग्य मतदाता मताधिकार से वंचित हो सकते हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विपक्ष की मांग को झटका लगा है।
आगे की प्रक्रिया
चुनाव आयोग ने साफ कर दिया है कि दावे-आपत्तियां दाखिल करने की प्रक्रिया जारी रहेगी, लेकिन समयसीमा में कोई विस्तार नहीं होगा। आयोग का मानना है कि समय पर प्रक्रिया पूरी होने से चुनावों की तैयारी में पारदर्शिता और गति बनी रहेगी।
यह फैसला बिहार की राजनीति में अहम मोड़ माना जा रहा है क्योंकि विपक्ष लगातार SIR विवाद को मुद्दा बनाकर चुनावी रणनीति तैयार कर रहा था, लेकिन अब कोर्ट का रुख चुनाव आयोग के पक्ष में दिखा है।