कनाडा चुनाव 2025: भारत विरोधी जगमीत सिंह की करारी हार, खालिस्तान समर्थकों को झटका
कनाडा चुनाव 2025: भारत विरोधी जगमीत सिंह की करारी हार, खालिस्तान समर्थकों को झटका

कनाडा चुनाव 2025: भारत विरोधी जगमीत सिंह की करारी हार, खालिस्तान समर्थकों को झटका
12:00 AM, Apr 29, 2025
O News हिंदी Desk
भारत विरोधी और खालिस्तान समर्थक जगमीत सिंह को करारी शिकस्त, कनाडा चुनाव में खोई राजनीतिक ज़मीन
ओटावा (कनाडा), अप्रैल 2025:कनाडा में हुए हालिया आम चुनावों में भारत विरोधी और खालिस्तान समर्थक छवि वाले एनडीपी नेताजगमीत सिंहको ज़बरदस्त झटका लगा है।
लंबे समय से कनाडा की राजनीति में प्रभाव रखने वाले जगमीत अपनीसीट तक नहीं बचा सके। इसके साथ ही उनकी पार्टीन्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP)को भी जबरदस्त हार का सामना करना पड़ा, जिससे पार्टी काराष्ट्रीय दल का दर्जा खतरे में पड़ गया है।
News Highlights:
- कनाडा चुनाव में भारत विरोधी नेता जगमीत सिंह की करारी हार
- खालिस्तान समर्थक गतिविधियों का समर्थन करने वाले जगमीत ने गंवाई अपनी सीट
- एनडीपी को नहीं मिलीं 12 सीटें, छिन सकता है राष्ट्रीय दल का दर्जा
- हार के बाद जगमीत सिंह ने पार्टी लीडर पद से दिया इस्तीफा
- खालिस्तान समर्थकों को कनाडा में लगा बड़ा राजनीतिक झटका
हार के बाद इस्तीफा
एनडीपी को इस बार12 सीटें भी नहीं मिलीं, जो राष्ट्रीय दर्जा बनाए रखने के लिए जरूरी थीं। जगमीत सिंह ने इस शर्मनाक हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पार्टी केलीडर पद से इस्तीफा दे दिया।
खालिस्तान समर्थक गतिविधियों का था खुला समर्थन
जगमीत सिंह लंबे समय सेभारत विरोधी बयानबाज़ीके लिए जाने जाते रहे हैं। वे कई बारखालिस्तान समर्थक विचारोंका खुलेआम समर्थन कर चुके हैं।
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कनाडा में खालिस्तान समर्थकों द्वारा की जा रही गतिविधियों पर भी जगमीत ने न सिर्फ चुप्पी साधी, बल्कि कई बार परोक्ष या अपरोक्ष रूप से समर्थन भी जताया।
उनकी इस राजनीतिक सोच के चलते भारतीय मूल के कई कनाडाई नागरिक भी उनसे दूरी बनाने लगे थे।
लिबरल पार्टी को मिली बढ़त, कार्नी फिर बन सकते हैं पीएम
दूसरी ओर चुनावी नतीजों मेंलिबरल पार्टीको अच्छी बढ़त मिलती दिख रही है।मार्क कार्नीकी पार्टी एक बार फिर सत्ता में लौटती नजर आ रही है।
वहींकंज़र्वेटिव पार्टीके पियरे पोलीवरे के साथ कांटे की टक्कर के बावजूद, लिबरल पार्टी का पलड़ा भारी दिखाई दे रहा है।
खालिस्तान समर्थकों को बड़ा झटका
जगमीत सिंह की हार केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्किकनाडा में सक्रिय खालिस्तान समर्थकों के लिए भी बड़ा झटकाहै।
उनके सबसे बड़े राजनीतिक चेहरे की हार के बाद अब कनाडा की मुख्यधारा की राजनीति में खालिस्तान समर्थक एजेंडा कमजोर पड़ता दिख रहा है।