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राहुल गांधी पर CRPF का आरोप: 9 महीने में 6 बार तोड़ा Z+ सुरक्षा प्रोटोकॉल, खरगे को लिखा पत्र

कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर CRPF ने गंभीर आरोप लगाया है। पिछले 9 महीनों में राहुल गांधी ने 6 बार Z+ सिक्योरिटी प्रोटोकॉल तोड़ा और बिना सूचना विदेश यात्रा की। DG Security सुनील जून ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी को पत्र लिखकर चेतावनी दी है। जानें पूरी खबर।

राहुल गांधी पर CRPF का आरोप: 9 महीने में 6 बार तोड़ा Z+ सुरक्षा प्रोटोकॉल, खरगे को लिखा पत्र

राहुल गांधी पर CRPF का आरोप

delhi

4:40 PM, Sep 11, 2025

O News हिंदी Desk

राहुल गांधी पर CRPF की सख्ती: 9 महीने में 6 बार तोड़ा सिक्योरिटी प्रोटोकॉल, खरगे को लिखी शिकायत

नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी एक बार फिर अपनी सुरक्षा को लेकर सुर्खियों में हैं। इस बार मामला बेहद गंभीर है क्योंकि सीआरपीएफ (CRPF) के वीवीआईपी सुरक्षा प्रमुख ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी, दोनों को चिट्ठी लिखकर शिकायत की है। आरोप यह है कि राहुल गांधी ने पिछले 9 महीनों में 6 बार सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया है।

सीआरपीएफ का कहना है कि राहुल गांधी Z+ with ASL सिक्योरिटी कैटेगरी में आते हैं। इस श्रेणी में शामिल नेताओं को विदेश दौरे से कम से कम 15 दिन पहले सुरक्षा एजेंसी को सूचना देना जरूरी होता है। लेकिन राहुल गांधी बार-बार इस नियम को तोड़ते रहे और बिना बताए विदेश यात्राओं पर निकल गए।

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राहुल गांधी पर CRPF की शिकायत क्यों?

सीआरपीएफ के डीजी (सिक्योरिटी) सुनील जून ने 10 सितंबर को लिखे पत्र में साफ कहा है कि राहुल गांधी अपनी सुरक्षा को लेकर गंभीरता नहीं दिखा रहे। पत्र में यह भी उल्लेख है कि बार-बार प्रोटोकॉल तोड़े जाने की वजह से सुरक्षा एजेंसियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा है।

सीआरपीएफ ने विशेष तौर पर ‘येलो बुक प्रोटोकॉल’ का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि Z+ कैटेगरी के प्रोटेक्टीज़ को विदेश यात्रा की अग्रिम सूचना देना अनिवार्य है। लेकिन राहुल गांधी ने इस नियम का पालन नहीं किया।

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9 महीने में 6 बार प्रोटोकॉल तोड़ा

राहुल गांधी पर आरोप है कि उन्होंने पिछले 9 महीनों में 6 बार बिना सूचना विदेश दौरे किए। आइए जानते हैं कब-कब उन्होंने यह नियम तोड़ा:

  1. 30 दिसंबर 2024 से 9 जनवरी 2025 – इटली का दौरा (नए साल का जश्न मनाने गए थे)
  2. 12 मार्च से 17 मार्च 2025 – वियतनाम का दौरा
  3. 17 अप्रैल से 23 अप्रैल 2025 – दुबई का दौरा
  4. 11 जून से 18 जून 2025 – कतर (दोहा) का दौरा
  5. 25 जून से 6 जुलाई 2025 – लंदन का दौरा
  6. 4 सितंबर से 8 सितंबर 2025 – मलेशिया का दौरा

इन सभी दौरों पर सुरक्षा एजेंसी को पहले से कोई सूचना नहीं दी गई, जिससे CRPF की टीम को प्लानिंग और सुरक्षा व्यवस्था में दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

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राहुल गांधी की सुरक्षा क्यों है अहम?

राहुल गांधी को देश के चुनिंदा नेताओं में गिना जाता है जिन्हें Z+ with ASL सिक्योरिटी मिली हुई है। इसका मतलब है कि उनके चारों ओर हर समय सुरक्षा घेरा रहता है। इस कैटेगरी में उन्हें बुलेटप्रूफ गाड़ी, उच्च प्रशिक्षित कमांडो, इंटेलिजेंस सपोर्ट और विशेष एस्कॉर्ट्स मिलते हैं।

इतिहास गवाह है कि भारत में वीआईपी नेताओं की सुरक्षा चूक घातक साबित हो चुकी है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की हत्या इसके उदाहरण हैं। ऐसे में राहुल गांधी का लगातार सुरक्षा प्रोटोकॉल तोड़ना एजेंसियों के लिए चिंता का विषय है।

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कांग्रेस का रुख क्या होगा?

अब सवाल यह है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे इस पत्र पर क्या रुख अपनाएंगे। कांग्रेस पार्टी अक्सर राहुल गांधी की सुरक्षा को लेकर केंद्र सरकार पर सवाल उठाती रही है। लेकिन इस बार मामला उल्टा है – क्योंकि शिकायत सीधे सुरक्षा एजेंसी ने की है।

राजनीतिक जानकार मानते हैं कि यह पत्र कांग्रेस नेतृत्व को असहज कर सकता है। पार्टी को यह तय करना होगा कि वह राहुल गांधी के विदेशी दौरों को लेकर पारदर्शिता और सुरक्षा अनुपालन सुनिश्चित करे या फिर इसे महज औपचारिकता मानकर नजरअंदाज करे।

राहुल गांधी की विदेश यात्राएं: राजनीति और सवाल

राहुल गांधी की विदेश यात्राएं हमेशा विवादों में रही हैं। कभी अचानक विदेश निकल जाना, कभी निजी कारणों से महीनों तक विदेश में रहना – यह सब विपक्ष के लिए सवाल उठाने का मौका बनता रहा है।

बीजेपी पहले भी आरोप लगाती रही है कि राहुल गांधी “गंभीर राजनीति से भागते हैं” और “विदेश जाकर छुट्टियां मनाते हैं”। अब CRPF की यह शिकायत बीजेपी को और मजबूत मुद्दा दे सकती है।

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क्या सुरक्षा एजेंसी की चिंता वाजिब है?

विशेषज्ञों का कहना है कि राहुल गांधी जैसे नेता के लिए सुरक्षा केवल व्यक्तिगत मामला नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा है। क्योंकि उनकी सुरक्षा में सेंध लगना देश की सुरक्षा एजेंसियों के लिए भी बड़ी चुनौती बन सकता है।

अगर कोई भी वीआईपी प्रोटोकॉल तोड़ता है तो सुरक्षा एजेंसी के लिए अचानक प्लान बनाना बेहद मुश्किल हो जाता है। खासकर विदेश यात्राओं में स्थानीय सरकारों और वहां की सुरक्षा एजेंसियों को भी भरोसे में लेना पड़ता है। बिना सूचना यात्रा करने से भारत की सुरक्षा एजेंसियां एक कमजोर स्थिति में आ जाती हैं।

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विपक्ष और सत्ता पक्ष में टकराव तय

यह मामला आने वाले दिनों में संसद और मीडिया दोनों में गूंज सकता है। बीजेपी जरूर यह मुद्दा उठाएगी कि राहुल गांधी जैसे बड़े नेता को सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए। वहीं कांग्रेस यह कह सकती है कि यह पत्र राजनीतिक दबाव में लिखा गया है।

सियासी विश्लेषक मानते हैं कि राहुल गांधी की छवि को लेकर जनता में पहले से ही सवाल हैं। ऐसे में यह खबर उनके राजनीतिक विरोधियों को हथियार देती है।

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नतीजा: क्या बदलेंगे राहुल गांधी?

अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या राहुल गांधी इस बार अपनी सुरक्षा को लेकर गंभीर होंगे या फिर पहले की तरह नियम तोड़ते रहेंगे।

सीआरपीएफ ने अपने पत्र में साफ शब्दों में कहा है कि आगे से प्रोटोकॉल का पालन जरूरी है। अगर राहुल गांधी इस पर ध्यान नहीं देते तो यह मामला और भी गंभीर हो सकता है।

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निष्कर्ष

राहुल गांधी की सुरक्षा सिर्फ उनकी निजी सुरक्षा नहीं, बल्कि यह भारत की लोकतांत्रिक राजनीति और वीआईपी सुरक्षा व्यवस्था से जुड़ा मामला है। बार-बार प्रोटोकॉल तोड़ना केवल एजेंसियों के लिए नहीं, बल्कि खुद राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी के लिए भी जोखिम भरा है।

अब देखना होगा कि मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी इस पत्र को किस गंभीरता से लेते हैं। क्या राहुल गांधी आगे से सुरक्षा नियमों का पालन करेंगे या यह विवाद और गहराएगा?

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