RJD में घमासान: तेजप्रताप के बाद रोहिणी आचार्य का संजय यादव पर वार, जानें लालू परिवार की अंदरूनी कलह
RJD परिवार में कलह गहराई! तेजप्रताप यादव के बाद अब रोहिणी आचार्य ने संजय यादव पर निशाना साधा। लालू यादव कुनबे की इस अंदरूनी लड़ाई से बिहार की राजनीति में नए समीकरण बन सकते हैं। पढ़ें पूरी खबर।

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bihar
4:52 PM, Sep 18, 2025
O News हिंदी Desk
RJD कुनबे में बढ़ा घमासान: तेजप्रताप के बाद अब रोहिणी आचार्य ने साधा संजय यादव पर निशाना
पटना। बिहार की राजनीति में इन दिनों सबसे ज्यादा चर्चा राष्ट्रीय जनता दल (RJD) परिवार की अंदरूनी खींचतान को लेकर हो रही है। लालू प्रसाद यादव का कुनबा, जो हमेशा से बिहार की राजनीति में मजबूत और संगठित शक्ति के तौर पर देखा जाता रहा है, अब लगातार विवादों और बयानों के कारण सुर्खियों में है। पहले तेजप्रताप यादव और अब लालू यादव की बेटी व तेजस्वी यादव की बड़ी बहन रोहिणी आचार्य ने पार्टी के राज्यसभा सांसद और तेजस्वी के बेहद करीबी माने जाने वाले संजय यादव पर हमला बोला है। इससे साफ संकेत मिल रहे हैं कि राजद कुनबे में मतभेद गहराते जा रहे हैं।
तेजप्रताप की नाराज़गी से शुरू हुआ विवाद
कुछ दिन पहले ही तेजप्रताप यादव ने बयान दिया था कि उन्हें पार्टी में "बेघर" कर दिया गया है। यह बयान केवल भावनाओं का इज़हार नहीं था, बल्कि उसने लालू परिवार और राजद संगठन की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए। तेजप्रताप ने खुले मंच से अपने असंतोष को जाहिर करते हुए संजय यादव को “जयचंद” तक कह डाला।
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि तेजप्रताप का यह गुस्सा केवल निजी नहीं था, बल्कि यह संकेत था कि पार्टी के भीतर तेजस्वी यादव के बढ़ते प्रभाव और उनके साथियों की भूमिका को लेकर परिवार में मतभेद है।
रोहिणी आचार्य का तीखा हमला
तेजप्रताप के बयान के बाद अब रोहिणी आचार्य भी सामने आ गई हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर कर संजय यादव पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधा। यह पोस्ट उन्होंने आलोक कुमार की लिखी बातों को रीट्वीट/शेयर करते हुए डाली, जिसमें लिखा था:
“फ्रंट सीट सदैव शीर्ष के नेता के लिए चिह्नित होती है। उनकी अनुपस्थिति में भी उस पर किसी और को बैठने का हक नहीं है। अगर कोई खुद को शीर्ष नेतृत्व से ऊपर समझ रहा है तो बात अलग है।”
“हम तमाम लोग इस सीट पर लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव को बैठे देखने के आदी हैं। उनकी जगह कोई और बैठे, यह कतई स्वीकार्य नहीं।”
यह पोस्ट सीधे तौर पर संजय यादव की ओर इशारा करती मानी जा रही है। भले ही नाम नहीं लिया गया, लेकिन संदेश साफ है कि लालू परिवार के भीतर तेजस्वी के सहयोगियों को लेकर नाराज़गी चरम पर है।

Rohini acharya X post
संजय यादव क्यों बने विवाद का केंद्र?
संजय यादव लंबे समय से तेजस्वी यादव के सबसे विश्वसनीय रणनीतिकार और सलाहकार माने जाते हैं। उन्होंने बिहार विधानसभा चुनावों में भी तेजस्वी को ‘युवा नेता’ और ‘सोशल जस्टिस’ की नई पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी।
हालांकि, परिवार के भीतर कई लोगों को लगता है कि संजय यादव धीरे-धीरे पार्टी में उस जगह को हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं, जो हमेशा से लालू प्रसाद यादव और अब तेजस्वी यादव के लिए आरक्षित रही है। यही वजह है कि तेजप्रताप और अब रोहिणी आचार्य खुलकर उनके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।
RJD कुनबे में गहराती खाई
तेजप्रताप और रोहिणी के तेवर यह बताने के लिए काफी हैं कि लालू परिवार के भीतर मतभेद अब केवल ‘असहमति’ तक सीमित नहीं रहे, बल्कि खुली जंग का रूप लेते जा रहे हैं।
- तेजप्रताप ने जहां संजय यादव को “जयचंद” बताया,
- वहीं रोहिणी ने साफ कहा कि कोई भी लालू और तेजस्वी की जगह नहीं ले सकता।
इसका सीधा मतलब यह है कि लालू परिवार के भीतर विश्वास और नेतृत्व को लेकर गहरी खाई बन चुकी है।
पार्टी पर पड़ सकता है असर
बिहार की राजनीति में अभी से विधानसभा चुनावों की आहट सुनाई देने लगी है। ऐसे समय में राजद के भीतर कलह विपक्षी दलों के लिए अवसर साबित हो सकती है।
- यदि पार्टी परिवारवाद की खींचतान में उलझती है तो इसका सीधा फायदा बीजेपी और जेडीयू जैसी पार्टियों को मिल सकता है।
- राजद की सबसे बड़ी ताकत हमेशा उसकी ‘एकजुटता’ और ‘संगठित नेतृत्व’ रही है। अगर यही कमजोर पड़ता है, तो चुनावी जमीन पर पार्टी की पकड़ ढीली हो सकती है।
क्या तेजस्वी यादव कर पाएंगे नियंत्रण?
तेजस्वी यादव ने हमेशा पार्टी को युवा नेतृत्व और सामाजिक न्याय के एजेंडे के साथ आगे बढ़ाने की कोशिश की है। उनकी छवि बिहार की राजनीति में ‘क्लीन’ और ‘प्रगतिशील’ नेता की रही है। लेकिन अब परिवार के भीतर लगातार उठ रहे सवाल और असंतोष ने उनकी चुनौती बढ़ा दी है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि तेजस्वी को अब सिर्फ विपक्ष से नहीं, बल्कि अपने ही कुनबे के भीतर से उठ रही आवाजों का सामना करना होगा। सवाल यह है कि क्या वे इस कलह को थाम पाएंगे या फिर पार्टी की गुटबाज़ी और बढ़ेगी?
विरोधी दलों की नजर
राजद कुनबे की इस कलह पर विपक्षी दल भी बारीकी से नजर रख रहे हैं।
- बीजेपी नेताओं का मानना है कि राजद की आंतरिक लड़ाई जनता के सामने पार्टी की असली तस्वीर पेश करती है।
- जेडीयू का दावा है कि लालू परिवार केवल सत्ता की कुर्सी के लिए लड़ रहा है, जनता के मुद्दों से उसका कोई लेना-देना नहीं है।
इस तरह राजद की छवि पर यह विवाद निश्चित रूप से चोट करता है।
जनता की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे पर जोरदार बहस छिड़ी हुई है।
- कुछ लोग रोहिणी आचार्य और तेजप्रताप यादव के बयानों को परिवार के भीतर की ‘नाराजगी की गूंज’ मान रहे हैं।
- वहीं, कुछ का कहना है कि राजद की राजनीति अब परिवार बनाम संगठन के बीच फंसकर रह गई है।
जनता की नज़र अब इस पर टिकी है कि आने वाले समय में लालू परिवार किस दिशा में जाएगा।
आगे क्या?
राजद कुनबे की यह कलह आने वाले दिनों में और भी गहराने के आसार हैं।
- अगर तेजस्वी यादव परिवार को एकजुट करने में सफल होते हैं, तो यह उनके नेतृत्व की असली जीत होगी।
- लेकिन अगर मतभेद और बढ़े, तो पार्टी को चुनावी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
लालू यादव के राजनीतिक उत्तराधिकार की लड़ाई अब केवल तेजस्वी की साख नहीं, बल्कि पूरे राजद कुनबे की एकता और भविष्य की राजनीति को तय करेगी।
निष्कर्ष
राजद परिवार की खींचतान का यह नया अध्याय बताता है कि सत्ता और नेतृत्व की लड़ाई ने पार्टी के भीतर गहरी दरार पैदा कर दी है। तेजप्रताप यादव के बाद अब रोहिणी आचार्य का हमला यह संकेत है कि संजय यादव को लेकर परिवार के भीतर असंतोष गंभीर हो चुका है।
बिहार की राजनीति में यह विवाद किस करवट बैठेगा, यह आने वाला समय बताएगा। लेकिन इतना तय है कि इस घमासान ने राजद की सियासत को और मुश्किल बना दिया है।