Gorakhpur News: 19 साल के नीट छात्र दीपक गुप्ता की गौ तस्करों ने गोली मारकर हत्या – गांव में आक्रोश
गोरखपुर के पिपराइच गांव में 19 वर्षीय नीट छात्र दीपक गुप्ता को गौ तस्करों ने गोली मारकर हत्या कर दी। दीपक ने गांव के मवेशियों को बचाने के लिए तस्करों से मुकाबला किया। पूरी खबर पढ़ें।

Gorakhpur News
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12:58 PM, Sep 16, 2025
O News हिंदी Desk
गोरखपुर में गौ तस्करों से भिड़ने वाले दीपक गुप्ता की दर्दनाक कहानी: 19 साल का होनहार नीट छात्र जिसने गांव की रक्षा करते हुए जान गंवाई
Deepak Gupta Gorakhpur News | Gorakhpur Crime News | Cow Smuggling in UP
गोरखपुर: 15 सितंबर 2025 की रात उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के पिपराइच इलाके का जंगलधूसड़ गांव खौफ और गुस्से में डूब गया। यह वही रात थी जब 19 साल का दीपक गुप्ता, जो नीट परीक्षा की तैयारी कर रहा था, गांव के मवेशियों को बचाने के लिए अकेले ही हथियारबंद गौ तस्करों से भिड़ गया। लेकिन हैवानों ने उसकी बहादुरी का जवाब गोलियों से दिया। अगली सुबह गांव वालों को उसकी लाश मिली, जिसके मुंह में बंदूक डालकर गोली मारी गई थी। यह घटना न केवल पूरे इलाके बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश को हिला गई।
आधी रात का खौफनाक हमला
15 सितंबर की रात लगभग साढ़े बारह बजे, जब पूरा गांव नींद में था, तभी तीन डीसीएम गाड़ियों में सवार गौ तस्कर गांव में दाखिल हुए। तस्करों का मकसद था घरों के बाहर बंधे मवेशियों को खोलकर भाग जाना। लेकिन गांव में हलचल होने लगी और कुछ लोगों ने शोर मचाया। इसी बीच, गांव के एक युवक ने अपने चचेरे भाई दीपक गुप्ता को फोन कर घटना की जानकारी दी।
नींद से जागे दीपक ने फौरन स्कूटर उठाया और 10–15 ग्रामीणों के साथ तस्करों का पीछा करने निकल पड़ा। पर यह पीछा उसकी जिंदगी की आखिरी जंग साबित हुआ।
तस्करों से भिड़े दीपक
गांव वालों ने देखा कि गौ तस्कर कई मवेशियों को अपनी गाड़ियों में भरने की कोशिश कर रहे थे। दीपक बिना डरे सीधे आगे बढ़ा और उनसे भिड़ गया। लेकिन तस्कर अच्छी तरह संगठित और हथियारबंद थे। उन्होंने दीपक को जबरन एक डीसीएम में खींच लिया और मौके से भाग निकले।
गांव वाले पीछे दौड़े, शोर मचाया, लेकिन तीन गाड़ियों में बैठे तस्करों का सामना कर पाना आसान नहीं था। कुछ देर बाद गांव वालों ने एक डीसीएम पकड़कर उसमें आग लगा दी और एक तस्कर को भी पकड़कर अधमरा कर दिया। लेकिन दीपक जिस गाड़ी में था, वह भाग निकली।
खून से लथपथ लाश और टूटा गांव का हौसला
रात भर गांव के लोग दीपक की तलाश करते रहे। लेकिन सुबह करीब 4 बजे गांव से 4 किमी दूर उसकी लाश मिली। उसके मुंह में बंदूक डालकर गोली मारी गई थी। यह खबर सुनते ही गांव में कोहराम मच गया।
दीपक गुप्ता कोई आम युवक नहीं था। वह नीट परीक्षा की तैयारी कर रहा था और डॉक्टर बनने का सपना देखता था। गांव वाले बताते हैं कि दीपक पढ़ाई में बेहद होशियार था और परिवार की उम्मीदों का सहारा था। लेकिन अपने गांव के बेजुबान मवेशियों को बचाने के लिए उसने जान की बाजी लगा दी।
गांव में गुस्से का माहौल
घटना की खबर फैलते ही जंगलधूसड़ गांव और आसपास के इलाके में भारी आक्रोश फैल गया। ग्रामीणों ने तस्करों की गाड़ी को फूंक दिया और पुलिस को कठोर कार्रवाई की मांग की। गांव में फिलहाल भारी पुलिस बल तैनात है और माहौल तनावपूर्ण है।
लोगों का कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब तस्करों ने गांव में हमला किया हो। इससे पहले भी कई बार मवेशी चोरी की घटनाएं सामने आई थीं, लेकिन इस बार मामला खून-खराबे तक पहुंच गया।
दीपक गुप्ता कौन था?
दीपक गुप्ता, उम्र 19 साल, एक साधारण परिवार से था। उसके पिता खेती-बाड़ी से जुड़े हैं और परिवार बड़ी उम्मीदों के साथ उसे पढ़ा रहा था। दीपक डॉक्टर बनने का सपना देखता था और नीट परीक्षा की तैयारी में जुटा था। वह मेहनती और जिम्मेदार स्वभाव का था।
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परिवार और गांव वाले बताते हैं कि दीपक बेहद साहसी था। जब उसे पता चला कि तस्कर मवेशी ले जा रहे हैं, तो वह बिना सोचे-समझे मौके पर पहुंच गया। शायद उसे अंदाजा नहीं था कि सामने हथियारबंद बदमाश होंगे, लेकिन उसने डरने के बजाय मुकाबला करना चुना।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
घटना के बाद पुलिस ने एक तस्कर को गिरफ्तार किया है और कई गाड़ियों को कब्जे में लिया है। पुलिस का कहना है कि पूरी गैंग की तलाश जारी है और जल्द ही बाकी आरोपियों को भी पकड़ लिया जाएगा।
हालांकि, गांव वालों का आरोप है कि पुलिस की लापरवाही और ढीले रवैये की वजह से तस्करों के हौसले बुलंद हैं। लोग मांग कर रहे हैं कि दीपक को "गांव का सच्चा हीरो" मानते हुए उसके परिवार को न्याय और सुरक्षा दी जाए।
गोरखपुर में गौ तस्करी का नेटवर्क
गोरखपुर और आसपास के इलाकों में लंबे समय से गौ तस्करी का नेटवर्क सक्रिय है। तस्कर अक्सर रात में गांवों में घुसकर मवेशियों को उठा ले जाते हैं और उन्हें बिहार, बंगाल या बांग्लादेश की ओर भेज देते हैं। पुलिस और प्रशासन की नाक के नीचे यह धंधा चलता है।
दीपक की हत्या ने इस नेटवर्क की क्रूरता और खतरनाक स्तर को उजागर कर दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय रहते इस पर रोक नहीं लगी, तो और भी निर्दोष लोग इसकी चपेट में आ सकते हैं।
दीपक की शहादत: एक बड़ा सवाल
दीपक गुप्ता की शहादत समाज और प्रशासन दोनों के लिए बड़ा सवाल है। क्या एक 19 साल के छात्र को अकेले ही हथियारबंद तस्करों से भिड़ना चाहिए था? क्या यह पुलिस और सुरक्षा व्यवस्था की नाकामी नहीं है कि गांव के बच्चे अपने मवेशियों की रक्षा के लिए जान देने पर मजबूर हो रहे हैं?
गांव के बुजुर्ग कहते हैं – “दीपक ने जो किया, वह हम सबकी हिम्मत है, लेकिन उसकी मौत हम सबकी जिम्मेदारी भी है। अगर प्रशासन पहले से सतर्क होता, तो यह नौबत नहीं आती।”
सोशल मीडिया पर छाया गुस्सा और शोक
दीपक की हत्या की खबर सोशल मीडिया पर भी तेजी से वायरल हो रही है। लोग दीपक को “गोरखपुर का शहीद” बता रहे हैं। ट्विटर (X) और फेसबुक पर #JusticeForDeepakGupta ट्रेंड कर रहा है। लोग सरकार से मांग कर रहे हैं कि दोषियों को सख्त सजा मिले और गौ तस्करी के नेटवर्क को जड़ से खत्म किया जाए।
निष्कर्ष
दीपक गुप्ता की मौत ने गोरखपुर ही नहीं, पूरे उत्तर प्रदेश को झकझोर दिया है। एक 19 साल का होनहार छात्र, जिसने डॉक्टर बनने का सपना देखा था, गांव की रक्षा करते हुए अपनी जान गंवा बैठा। यह घटना प्रशासन और समाज के लिए चेतावनी है कि अगर अपराध और तस्करी पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो हर गांव का कोई न कोई दीपक ऐसे ही अपनी जान खो देगा।
गांव वालों की मांग है कि दीपक को शहीद का दर्जा दिया जाए और उसके परिवार को आर्थिक व सामाजिक मदद मिले। दीपक अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उसकी बहादुरी हमेशा लोगों को याद दिलाएगी कि सच्ची हिम्मत उम्र नहीं देखती।