IND vs PAK: मोहसिन नक़वी की अजीब शर्त, ट्रॉफी विवाद गहराया
Asia Cup 2025 Trophy Controversy: मोहसिन नक़वी ने ट्रॉफी लौटाने के लिए शर्त रखी, भारत ने किया इनकार। जानें बीसीसीआई और आईसीसी का रुख।

मोहसिन नक़वी की अजीब शर्त, ट्रॉफी विवाद गहराया
delhi
4:36 PM, Sep 30, 2025
O News हिंदी Desk
IND vs PAK Trophy Controversy: मोहसिन नक़वी ने रखी अजीब शर्त, भारत ने किया साफ इनकार
नई दिल्ली, स्पोर्ट्स डेस्क। एशिया कप 2025 भले ही भारतीय टीम ने शानदार अंदाज़ में जीत लिया हो, लेकिन ट्रॉफी को लेकर जारी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। भारत-पाकिस्तान मुकाबले के बाद अब यह मामला मैदान से बाहर निकलकर राजनीतिक और कूटनीतिक तनाव का रूप ले चुका है। ताज़ा विवाद की वजह बने हैं एशियन क्रिकेट काउंसिल (ACC) के अध्यक्ष और पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) के प्रमुख मोहसिन नक़वी, जिन्होंने ट्रॉफी लौटाने के लिए एक शर्त रख दी है।
कैसे शुरू हुआ विवाद?
एशिया कप 2025 के फाइनल में भारत ने पाकिस्तान को हराकर खिताब अपने नाम किया। परंतु, मैच के बाद जो दृश्य सामने आया, उसने खेल भावना पर सवाल खड़े कर दिए।
- परंपरा के अनुसार, विजेता टीम को ट्रॉफी एसीसी अध्यक्ष के हाथों से दी जाती है।
- लेकिन टीम इंडिया ने मोहसिन नक़वी से ट्रॉफी लेने से इनकार कर दिया।
- भारतीय खिलाड़ियों और बीसीसीआई अधिकारियों का कहना था कि नक़वी का रवैया निष्पक्ष नहीं है और उनका नाम कई विवादों से जुड़ा रहा है।
नतीजा यह हुआ कि नक़वी ट्रॉफी और मेडल अपने होटल रूम में लेकर चले गए। इस घटना की सोशल मीडिया से लेकर क्रिकेट गलियारों तक जमकर आलोचना हुई।
नक़वी की शर्त – “औपचारिक समारोह चाहिए”
अब इस पूरे मामले पर खुद मोहसिन नक़वी का बयान आया है। पाकिस्तानी मीडिया और क्रिकबज़ की रिपोर्ट्स के मुताबिक, नक़वी ने कहा:
“मैं भारतीय टीम को ट्रॉफी और मेडल लौटाने के लिए तैयार हूं, लेकिन इसके लिए एक औपचारिक समारोह होना चाहिए। इस समारोह में मैं खुद खिलाड़ियों को ट्रॉफी और मेडल अपने हाथों से दूंगा।”
अर्थात, नक़वी चाहते हैं कि भारत सिर्फ ट्रॉफी ही नहीं ले, बल्कि उन्हें मंच भी मिले, जहां वह व्यक्तिगत रूप से भारतीय खिलाड़ियों को मेडल पहनाएं और ट्रॉफी थमाएं।
बीसीसीआई का सख्त रुख
इस शर्त के बाद बीसीसीआई की ओर से कड़ा रुख अपनाया गया है।
- बीसीसीआई सचिव देवजीत सैकिया ने एएनआई से बातचीत में कहा कि भारतीय टीम नक़वी से ट्रॉफी नहीं लेगी।
- उन्होंने नक़वी पर “खेल भावना को ठेस पहुंचाने” का आरोप लगाया।
- बीसीसीआई ने यह भी पुष्टि की है कि इस पूरे मामले की शिकायत आईसीसी से की जाएगी।
सैकिया ने साफ कहा:
“हमने एसीसी अध्यक्ष से ट्रॉफी न लेने का निर्णय लिया है। इसका मतलब यह नहीं है कि वह मेडल और ट्रॉफी अपने पास रखें। यह दुर्भाग्यपूर्ण है और पूरी तरह खेल भावना के खिलाफ है।”
खेल भावना बनाम राजनीति
क्रिकेट के जानकारों का मानना है कि यह विवाद सिर्फ खेल तक सीमित नहीं है।
- भारत-पाकिस्तान के तनावपूर्ण रिश्तों का असर क्रिकेट पर साफ झलक रहा है।
- नक़वी, जो पाकिस्तान सरकार में भी प्रमुख पद पर हैं, भारतीय टीम से सहज स्वीकार्यता की उम्मीद नहीं कर सकते थे।
- वहीं, भारत की ओर से खिलाड़ियों का ट्रॉफी न लेना इस संदेश का प्रतीक माना जा रहा है कि “खेल भावना राजनीति से ऊपर होनी चाहिए, लेकिन अगर आयोजक पक्षपात करें तो सहन नहीं किया जाएगा।”
सोशल मीडिया पर चर्चा
यह मामला सोशल मीडिया पर भी खूब ट्रेंड कर रहा है। ट्विटर (X) से लेकर फेसबुक और यूट्यूब तक, क्रिकेट फैंस दो हिस्सों में बंट गए हैं।
- भारतीय यूजर्स नक़वी को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह ट्रॉफी भारत की मेहनत की है, किसी की “राजनीतिक शोभायात्रा” का हिस्सा नहीं।
- वहीं पाकिस्तानी यूजर्स नक़वी का बचाव करते दिखे। उनका तर्क है कि “ट्रॉफी देने का अधिकार एसीसी अध्यक्ष का है और भारत को इसे स्वीकार करना चाहिए।”
क्या कहती है क्रिकेट की परंपरा?
अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट्स में यह प्रोटोकॉल होता है कि
- ट्रॉफी विजेता टीम को तुरंत मैदान पर सौंपी जाती है।
- मेडल वितरण मैच खत्म होने के बाद उसी समय होता है।
- ट्रॉफी को आयोजक अपने पास रख नहीं सकते, यह आईसीसी के नियमों के भी खिलाफ है।
स्पष्ट है कि नक़वी द्वारा ट्रॉफी को होटल ले जाना न सिर्फ असामान्य था बल्कि खेल भावना की भी अवहेलना थी।
क्या होगा आगे?
बीसीसीआई की सख्ती और आईसीसी की संभावित दखल के बाद अब तीन संभावित रास्ते हैं:
- आईसीसी हस्तक्षेप करेगा – और ट्रॉफी सीधे भारत को दिलवाई जाएगी, बिना नक़वी के शामिल हुए।
- एसीसी दबाव में आएगा – और कोई अन्य अधिकारी भारत को ट्रॉफी सौंप देगा।
- विवाद लंबा खिंचेगा – और यह मामला भारत-पाक क्रिकेट रिश्तों में और दरार डाल देगा।
निष्कर्ष
एशिया कप 2025 की यह जीत भारतीय क्रिकेट इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज हो चुकी है, लेकिन ट्रॉफी विवाद ने इसकी चमक कुछ कम कर दी है। मोहसिन नक़वी की शर्त भले ही उनकी व्यक्तिगत अहम की झलक देती हो, मगर अंतरराष्ट्रीय खेलों में यह रवैया न तो स्वीकार्य है और न ही उचित।
भारत ने मैदान पर अपनी काबिलियत साबित कर दी है। अब सवाल सिर्फ इतना है कि क्या खेल के मंच को राजनीति से ऊपर रखा जाएगा, या फिर यह विवाद आने वाले दिनों में और गहराएगा।
Source: Ndtv