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भारत-अमेरिका व्यापार तनाव: ट्रंप हुए नरम, पीएम मोदी से जल्द होगी बातचीत | India US Trade Deal

India US Trade: डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के साथ व्यापार वार्ता दोबारा शुरू करने की इच्छा जताई और पीएम मोदी को अपना “अच्छा दोस्त” बताया। पीएम मोदी ने भी सकारात्मक जवाब देते हुए कहा कि भारत-अमेरिका साझेदारी वैश्विक स्थिरता और समृद्धि की राह खोलेगी। जानें पूरी खबर।

भारत-अमेरिका व्यापार तनाव: ट्रंप हुए नरम, पीएम मोदी से जल्द होगी बातचीत | India US Trade Deal

India US Trade Tension

delhi

10:36 AM, Sep 10, 2025

O News हिंदी Desk

भारत-अमेरिका व्यापार तनाव पर नरम पड़े डोनाल्ड ट्रंप, पीएम मोदी से जल्द बातचीत की तैयारी

India US Trade Tension: भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से चला आ रहा व्यापार टकराव (Trade Conflict) अब एक नए मोड़ पर पहुंचता दिख रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) से सीधे बातचीत करने की इच्छा जताई है। ट्रंप ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Truth Social पर पोस्ट करते हुए कहा कि वे भारत-अमेरिका संबंधों को फिर से मजबूती देने के लिए उत्सुक हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने भी इसका सकारात्मक जवाब देते हुए कहा कि दोनों देश मिलकर वैश्विक स्तर पर स्थिरता और समृद्धि की दिशा में काम करेंगे।

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ट्रंप का बदला रुख: “मोदी मेरे अच्छे दोस्त हैं”

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने संदेश में लिखा, “भारत और अमेरिका के बीच व्यापार बाधाओं को दूर करने के लिए बातचीत जारी है। मैं आने वाले हफ्तों में अपने अच्छे दोस्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करने के लिए उत्सुक हूं। मुझे विश्वास है कि हम दोनों देशों के लिए सफल निष्कर्ष तक पहुंचेंगे।”

ट्रंप ने यह भी स्वीकार किया कि उनकी सख्त नीतियों की वजह से भारत कहीं न कहीं रूस और चीन के करीब पहुंच गया है, जो अमेरिका के लिए रणनीतिक चुनौती हो सकती है। यही कारण है कि अब वे भारत के साथ रिश्तों को नई मजबूती देना चाहते हैं।

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पीएम मोदी ने दिया सकारात्मक जवाब

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने X (Twitter) पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “भारत और अमेरिका घनिष्ठ मित्र और स्वाभाविक साझेदार हैं। मुझे विश्वास है कि हमारी व्यापार वार्ताएँ भारत-अमेरिका साझेदारी की असीम संभावनाओं को उजागर करने का मार्ग प्रशस्त करेंगी। हमारी टीमें इन चर्चाओं को जल्द पूरा करने के लिए काम कर रही हैं। मैं राष्ट्रपति ट्रंप से बातचीत के लिए भी उत्सुक हूं।”

मोदी का यह बयान साफ संकेत देता है कि भारत भी अमेरिका के साथ रिश्तों को और बेहतर बनाने के लिए तैयार है, लेकिन अपने राष्ट्रीय हितों के साथ समझौता नहीं करेगा।

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अमेरिका की शर्तें और भारत का सख्त रुख

ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में भारत से मांग की थी कि वह कृषि और डेयरी सेक्टर को अमेरिकी कंपनियों के लिए खोले। लेकिन भारत ने इसे सख्ती से ठुकरा दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया था कि देश अपने किसानों और उपभोक्ताओं के हितों से समझौता नहीं करेगा।

इसके बाद अमेरिका ने भारत से आयात होने वाले कई उत्पादों पर 50% तक का टैरिफ लगा दिया, जिसमें रूस से खरीदे गए कच्चे तेल पर अतिरिक्त शुल्क भी शामिल था। इसी कारण कुछ समय तक भारत-अमेरिका संबंधों में ठंडापन आ गया था।

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“भारत को चीन के पाले में नहीं जाने देंगे” – ट्रंप

ट्रंप ने अपने हालिया पोस्ट में कहा: “हमने भारत और रूस को चीन के करीब जाने दिया है। यह अमेरिका के लिए ठीक नहीं है। अब समय आ गया है कि हम भारत के साथ अपने रिश्तों को मजबूत करें।”

यह बयान बताता है कि अमेरिका इस बात को लेकर चिंतित है कि अगर भारत रूस और चीन के साथ ज्यादा जुड़ता है तो यह एशिया में अमेरिका की रणनीतिक स्थिति को कमजोर कर सकता है।

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क्यों अहम है भारत-अमेरिका व्यापार समझौता?

भारत और अमेरिका दोनों देशों की अर्थव्यवस्था एक-दूसरे पर कई मायनों में निर्भर करती है।

  1. भारत, अमेरिका को फार्मास्यूटिकल्स, आईटी सेवाएं, वस्त्र और कृषि उत्पाद निर्यात करता है।
  2. अमेरिका, भारत को हाई-टेक उपकरण, रक्षा तकनीक और ऊर्जा संसाधन उपलब्ध कराता है।
  3. दोनों देशों के बीच वार्षिक व्यापार 200 अरब डॉलर से अधिक का है, जिसे आने वाले वर्षों में दोगुना करने का लक्ष्य है।

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह बातचीत सफल होती है तो भारतीय आईटी सेक्टर, फार्मा कंपनियां और कृषि निर्यातकों को सीधा फायदा मिलेगा। वहीं अमेरिकी कंपनियों के लिए भी भारत का बड़ा उपभोक्ता बाजार खुलेगा।

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मोदी की तारीफ करते दिखे ट्रंप

ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ करते हुए कहा: “कभी-कभी मुझे उनकी नीतियां पसंद नहीं आतीं, लेकिन मोदी एक मजबूत नेता हैं। भारत-अमेरिका का रिश्ता विशेष है और मैं इसे और बेहतर बनाना चाहता हूं।”

विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप का यह रुख आगामी अमेरिकी चुनावों से भी जुड़ा हो सकता है। भारतीय मूल के अमेरिकी मतदाता वहां की राजनीति में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ऐसे में ट्रंप का नरम होना एक रणनीतिक कदम भी माना जा रहा है।

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भारत का संतुलनकारी विदेश नीति रवैया

भारत ने हमेशा “मल्टी-अलाइनमेंट” नीति अपनाई है। यानी अमेरिका, रूस, यूरोप और खाड़ी देशों – सभी से अच्छे संबंध बनाए रखना।

  1. रूस से भारत तेल और रक्षा उपकरण खरीदता है।
  2. चीन के साथ भारत का व्यापार भले मजबूत है, लेकिन सीमा विवाद को लेकर तनाव भी जारी है।
  3. अमेरिका के साथ भारत की रणनीतिक साझेदारी Quad (क्वाड) और इंडो-पैसिफिक रणनीति के जरिए लगातार मजबूत हो रही है।

यानी भारत किसी एक खेमे में बंधना नहीं चाहता। बल्कि, संतुलन बनाकर अपने हितों की रक्षा कर रहा है।

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आगे क्या होगा?

विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले हफ्तों में जब ट्रंप और मोदी के बीच सीधी बातचीत होगी तो मुख्य रूप से ये मुद्दे एजेंडे में रहेंगे:

  1. टैरिफ में कमी – अमेरिका द्वारा लगाए गए 50% आयात शुल्क पर पुनर्विचार।
  2. ऊर्जा व्यापार – रूस से कच्चा तेल खरीद पर अमेरिका की आपत्तियों का समाधान।
  3. आईटी और वीज़ा – भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स के लिए वीज़ा नियमों में ढील।
  4. कृषि उत्पादों का बाजार – अमेरिकी कृषि उत्पादों के लिए सीमित बाजार खोलने की संभावना।
  5. रक्षा सहयोग – हाई-टेक रक्षा तकनीक साझा करने पर नई सहमति।
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निष्कर्ष

भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव पिछले कुछ वर्षों में बढ़ा जरूर है, लेकिन दोनों देशों के नेताओं के हालिया बयानों से साफ है कि रिश्ते फिर से पटरी पर लाने की कोशिश की जा रही है।

डोनाल्ड ट्रंप का नरम रुख और प्रधानमंत्री मोदी की सकारात्मक प्रतिक्रिया इस बात का संकेत हैं कि आने वाले समय में India-US Trade Relations नई ऊंचाइयों पर पहुंच सकते हैं।

दोनों देशों की साझेदारी न सिर्फ आर्थिक, बल्कि भू-राजनीतिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है। अगर यह वार्ता सफल होती है, तो इसका फायदा दोनों देशों की जनता और वैश्विक स्थिरता को मिलेगा।

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