इराक: बगदाद की मस्जिद में सुन्नी मौलवी की हत्या, तनाव बढ़ा
इराक की राजधानी बगदाद में जुमे की नमाज के बाद सुन्नी मौलवी शेख अब्दुल सत्तार अल-कुरघुली की मस्जिद में हत्या, सुन्नी-शिया तनाव गहराया।

इराक की मस्जिद (Representational Photo)
delhi
12:48 PM, Sep 13, 2025
O News हिंदी Desk
इराक की मस्जिद में सुन्नी मौलवी की हत्या: बगदाद में जुमे की नमाज के बाद बड़ा हादसा, सुन्नी-शिया तनाव गहराया
बगदाद (इराक)। इराक की राजधानी बगदाद से एक बेहद चौंकाने वाली और दुखद खबर सामने आई है। शहर के दक्षिणी इलाके दोरा (Dora) की एक मस्जिद में शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद सुन्नी मौलवी शेख अब्दुल सत्तार अल-कुरघुली (Sheikh Abdul Sattar Al-Kurghuli) की हत्या कर दी गई। इस वारदात ने न केवल स्थानीय लोगों को हिला दिया है, बल्कि पूरे देश में एक बार फिर सुन्नी-शिया तनाव को भड़का दिया है।
मस्जिद में घेरकर मौलवी की हत्या
स्थानीय रिपोर्टों के मुताबिक, यह घटना जुमे की नमाज के तुरंत बाद हुई। जब मौलवी अल-कुरघुली मस्जिद में अकेले मौजूद थे, तभी कुछ अज्ञात हमलावरों ने अचानक उन्हें घेर लिया। देखते ही देखते उन पर हमला किया गया और मौके पर ही उनकी मौत हो गई।
इस वारदात के बाद मस्जिद और आसपास के इलाके में हड़कंप मच गया। नमाज पढ़कर लौट रहे लोग और स्थानीय नागरिक स्तब्ध रह गए।
सुन्नी एंडोमेंट संस्था ने दी पुष्टि
इराक में सुन्नी धार्मिक मामलों का प्रबंधन करने वाली सरकारी संस्था सुन्नी एंडोमेंट (Sunni Endowment) ने मौलवी अल-कुरघुली की हत्या की पुष्टि की है। संस्था ने कहा कि यह घटना बेहद शर्मनाक और दुखद है। साथ ही उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस हत्या के पीछे किसी कट्टरपंथी गुट का हाथ हो सकता है, जिसने जानबूझकर सुन्नी समुदाय को निशाना बनाया।
कई आरोपी गिरफ्तार
इराक के आंतरिक मंत्रालय के एक सूत्र ने जानकारी दी कि सुरक्षा बलों ने तेजी से कार्रवाई करते हुए कई आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। बताया जा रहा है कि गिरफ्तार लोग वही हैं जो मस्जिद में घुसकर मौलवी पर हमला करने में शामिल थे।
इन आरोपियों को जल्द ही अदालत में पेश किया जाएगा। हालांकि अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि इस हत्या के पीछे किस संगठन का हाथ है और इसकी साजिश किसने रची।
शुरुआती जांच में शिया गुट पर शक
लोकल पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। शुरुआती जांच में यह संकेत मिले हैं कि इस हत्या के पीछे किसी कट्टर चरमपंथी शिया मुस्लिम गुट का हाथ हो सकता है। ऐसे गुट लंबे समय से सुन्नी समुदाय के खिलाफ काम करते रहे हैं।
फिलहाल पुलिस और खुफिया एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि क्या यह हमला किसी बड़ी साजिश का हिस्सा था या फिर सिर्फ सांप्रदायिक नफरत से प्रेरित एक घटना।
सुन्नी मुस्लिमों में आक्रोश
इस हत्या के बाद बगदाद और इराक के अन्य हिस्सों में सुन्नी मुस्लिमों के बीच गुस्सा और नाराजगी फैल गई है। सोशल मीडिया पर लोग इस घटना की निंदा कर रहे हैं और सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
इराक पहले ही लंबे समय से सुन्नी-शिया टकराव से जूझता रहा है। ऐसे में मौलवी अल-कुरघुली की हत्या ने एक बार फिर से सांप्रदायिक तनाव की आग को हवा दे दी है।
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इराक का सांप्रदायिक संघर्ष: एक पृष्ठभूमि
इराक कई दशकों से सुन्नी और शिया मुस्लिमों के बीच सत्ता संघर्ष और आपसी हिंसा का गवाह रहा है।
- 2003 में अमेरिका द्वारा सद्दाम हुसैन की सरकार गिराए जाने के बाद से इराक में सांप्रदायिक टकराव और भी गहरा गया।
- शिया गुटों ने सत्ता में पकड़ मजबूत की, जबकि सुन्नी समुदाय धीरे-धीरे हाशिए पर चला गया।
- इसी असमानता ने आतंकवादी संगठनों जैसे आईएसआईएस (ISIS) को पनपने का मौका दिया।
- हालांकि आईएसआईएस की ताकत अब काफी कमजोर हो चुकी है, लेकिन सुन्नी-शिया टकराव अभी भी इराक की राजनीति और समाज को प्रभावित करता है।
मौलवी अल-कुरघुली की हत्या ने यह साफ कर दिया है कि देश अभी भी धार्मिक नफरत और कट्टरपंथ से पूरी तरह उबर नहीं पाया है।
अंतरराष्ट्रीय चिंता
इस घटना पर अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रतिक्रियाएं आने लगी हैं। कई विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इराक की सरकार ने तेजी से कदम नहीं उठाए, तो यह हत्या एक बार फिर से बड़े स्तर पर धार्मिक हिंसा को जन्म दे सकती है।
संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठन पहले भी इराक में धार्मिक नेताओं और धार्मिक स्थलों पर हमलों को लेकर चिंता जताते रहे हैं।
सरकार पर सवाल
इराक की सरकार इस समय कठिन परिस्थिति में है। एक ओर उसे जनता को यह भरोसा दिलाना है कि कानून और व्यवस्था सुरक्षित है, वहीं दूसरी ओर उसे इस हत्या के पीछे की साजिश को जल्द से जल्द उजागर करना होगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर आरोपियों को कड़ी सजा नहीं मिली तो देश में सांप्रदायिक हिंसा की नई लहर उठ सकती है।
नतीजा और आगे की राह
मौलवी अल-कुरघुली की हत्या ने इराक को एक बार फिर धार्मिक हिंसा और कट्टरपंथ की ओर धकेल दिया है। अब पूरी दुनिया की नजर इराक की सरकार और सुरक्षा एजेंसियों पर है कि वे इस घटना से कैसे निपटते हैं।
फिलहाल यह साफ है कि जब तक इराक में सुन्नी और शिया समुदायों के बीच विश्वास और भाईचारा मजबूत नहीं होगा, तब तक देश में स्थायी शांति की उम्मीद करना मुश्किल होगा।
निष्कर्ष
बगदाद की मस्जिद में जुमे की नमाज के बाद हुई यह हत्या सिर्फ एक मौलवी की हत्या नहीं है, बल्कि यह घटना इराक की आंतरिक अस्थिरता और सांप्रदायिक विभाजन की गहरी समस्या को उजागर करती है।
इस घटना से न सिर्फ इराक बल्कि पूरे मध्य पूर्व को यह संदेश मिला है कि धार्मिक कट्टरपंथ और सांप्रदायिक नफरत आज भी शांति और विकास की राह में सबसे बड़ी बाधा बने हुए हैं।