किराए पर मिलते हैं ‘लीगल गुंडे’, 30 मिनट में हर विवाद का समाधान
Rental Kowaihito कंपनी देती है ‘Scary Person On Rent’। पड़ोसी झगड़े से ऑफिस विवाद तक, 12 हजार रुपये में आधे घंटे में समाधान।

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8:10 PM, Sep 8, 2025
O News हिंदी Desk
जापान में किराए पर ‘लीगल गुंडे’ – हर विवाद का 30 मिनट में समाधान
जापान अपनी अनोखी खोजों और अजीबो-गरीब सेवाओं के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। यहां कभी रोबोट रेस्टोरेंट की चर्चा होती है तो कभी इंसानों जैसे दिखने वाले एंड्रॉइड सुर्खियों में आते हैं। अब एक नई सर्विस ने सबको चौंका दिया है। जापान की एक कंपनी रेंटल क्वाहितो (Rental Kowaihito) लोगों को विवाद सुलझाने के लिए डरावने दिखने वाले इंसान किराए पर देती है। इन्हें कंपनी “स्केरी पर्सन ऑन रेंट (Scary Person on Rent)” कहती है।
इस सर्विस की खास बात यह है कि इसे पूरी तरह कानूनी तरीके से चलाया जाता है, और ये लोग किसी तरह की अवैध गतिविधियों में शामिल नहीं होते। फिर भी, इनके हाव-भाव और लुक्स इतने डरावने होते हैं कि सामने वाला बिना बहस किए ही झगड़ा खत्म कर देता है।
कंपनी का कॉन्सेप्ट – डर से समाधान
रेंटल क्वाहितो का मानना है कि हर विवाद को कोर्ट-कचहरी या पुलिस तक ले जाना जरूरी नहीं। कई बार लोग अपने पड़ोसियों, ऑफिस के सहकर्मियों या रिश्तों में चल रहे तनाव से परेशान होते हैं। ऐसे में ये "खौफनाक लोग" मददगार साबित होते हैं।
इनकी पहचान कुछ इस तरह की होती है:
- गंजा सिर
- शरीर पर बड़े-बड़े टैटू
- भारी-भरकम शरीर
- रुखा और डरावना लुक
जब ये किसी क्लाइंट के साथ किसी विवाद की जगह पहुंचते हैं, तो उनका डरावना व्यक्तित्व सामने वाले को चुप करा देता है। कंपनी का दावा है कि ये लोग किसी को छूते तक नहीं, बल्कि सिर्फ अपनी मौजूदगी से ही मामला सुलझा देते हैं।
कहां-कहां होती है इनकी जरूरत?
कंपनी के मुताबिक लोग इस सर्विस का इस्तेमाल अलग-अलग तरह की समस्याओं में करते हैं:
- पड़ोसियों से झगड़े में – शोरगुल करने वाले या परेशान करने वाले पड़ोसियों को चुप कराने के लिए।
- ऑफिस विवादों में – बदतमीज कर्मचारियों को सबक सिखाने या बॉस द्वारा रोकी गई सैलरी दिलाने के लिए।
- रिश्तों में तनाव – बेवफा पार्टनर को लाइन पर लाने या घरेलू झगड़ों को सुलझाने के लिए।
- पर्सनल इश्यूज – किसी भी तरह के व्यक्तिगत विवाद जिसमें सामने वाले को सबक सिखाने की जरूरत हो।
कंपनी यह भी साफ करती है कि ये लोग किसी पर हाथ नहीं उठाते। बस “लीगल प्रेजेंस” से ही समाधान निकालते हैं।
कितनी है फीस?
अगर कोई ग्राहक इस सर्विस को लेना चाहता है तो उसे खर्च भी थोड़ा ज्यादा करना पड़ता है।
- 30 मिनट का चार्ज – 20,000 येन (लगभग ₹12,000)
- 3 घंटे का चार्ज – करीब ₹30,000
- शहर से बाहर की सर्विस – ट्रैवलिंग खर्च ग्राहक को देना होगा
कंपनी का कहना है कि ये सर्विस सस्ती नहीं है, लेकिन कई लोगों के लिए यह कोर्ट-कचहरी के झंझटों से बेहतर विकल्प साबित हो रही है।
लोगों की प्रतिक्रिया
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इस सर्विस पर सोशल मीडिया और लोकल मीडिया में जमकर बहस हो रही है।
- एक यूजर लिखते हैं – “यह सर्विस उन लोगों के लिए बहुत अच्छी है जिन्हें लोग कमजोर समझकर परेशान करते हैं।”
- दूसरा लिखता है – “अगर दोनों ही पार्टियां ऐसे डरावने लोगों को किराए पर बुला लें तो क्या होगा?”
- वहीं एक और कमेंट आया – “ये आइडिया बेहद क्रिएटिव है। इससे विवाद जल्दी सुलझ सकते हैं।”
हालांकि कुछ लोग इसे समाज में “डर का बिजनेस” करार दे रहे हैं और कहते हैं कि यह लंबे समय तक टिकाऊ मॉडल नहीं है।
क्या यह सुरक्षित है?
जापान जैसे देश में, जहां कानून-व्यवस्था बेहद सख्त है, वहां कोई भी अवैध तरीका ज्यादा दिन तक नहीं चल सकता। कंपनी लगातार यह दावा करती है कि उनकी सर्विस पूरी तरह लीगल है।
- उनके डरावने लोग किसी को चोट नहीं पहुंचाते।
- वे सिर्फ क्लाइंट के साथ खड़े रहते हैं।
- उनकी मौजूदगी ही सामने वाले पर मानसिक दबाव डालती है।
क्या यह आइडिया भारत में चल सकता है?
अगर इस कॉन्सेप्ट की तुलना भारत से की जाए, तो यहां इसे अपनाना मुश्किल है। भारत में विवाद ज्यादातर भावनाओं और जातीय-सामाजिक पहलुओं से जुड़े होते हैं। यहां अगर कोई इस तरह का बिजनेस शुरू करे तो उस पर तुरंत “प्राइवेट गुंडागर्दी” का आरोप लग सकता है।
लेकिन जापान की संस्कृति में लोग अनुशासित होते हैं और कानून के डर से कोई सीधा विवाद नहीं करता। ऐसे में यह आइडिया वहां कारगर साबित हो सकता है।
पत्रकार की नजर से
यह सर्विस हमें दो पहलुओं पर सोचने को मजबूर करती है –
- समाज का दबा हुआ गुस्सा और डर – लोग सीधे विवाद करने से बचते हैं और चाहते हैं कि कोई “तीसरा” आकर उनका मसला सुलझा दे।
- नए बिजनेस मॉडल – यह दिखाता है कि दुनिया में बिजनेस के लिए आइडिया की कोई सीमा नहीं है। लोग अपनी जरूरतों और समस्याओं के हिसाब से नये-नये तरीके ढूंढ रहे हैं।
नतीजा
जापान की रेंटल क्वाहितो कंपनी का यह आइडिया भले ही अजीब लगे, लेकिन यह साबित करता है कि “जरूरत ही आविष्कार की जननी है।” जहां लोग खुद झगड़ों में नहीं पड़ना चाहते, वहां वे पैसों से “डरावने लोग” किराए पर बुलाकर समस्या हल करवा रहे हैं।
भविष्य में यह मॉडल कितना सफल होगा, यह कहना मुश्किल है, लेकिन इतना तय है कि इसने बिजनेस और सर्विस की दुनिया में एक नई सोच जरूर पैदा की है।