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अब 'यूपी में का बा?' से 'यूपी में कानून का राज'! इलाहाबाद हाई कोर्ट ने नेहा सिंह राठौर की याचिका खारिज कर जांच में शामिल होने का निर्देश दिया।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लोकगायिका नेहा सिंह राठौर की FIR रद्द करने की याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि वे UP पुलिस की जाँच में सहयोग करें और 26 सितंबर को पेश हों। जानें पूरा मामला।

अब 'यूपी में का बा?' से 'यूपी में कानून का राज'! इलाहाबाद हाई कोर्ट ने नेहा सिंह राठौर की याचिका खारिज कर जांच में शामिल होने का निर्देश दिया।

नेहा सिंह राठौर

delhi

5:22 PM, Sep 21, 2025

O News हिंदी Desk

कानून से ऊपर कोई नहीं! इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रद्द करने से किया इनकार, नेहा सिंह राठौर को अब UP पुलिस का सामना करना होगा।

लखनऊ/इलाहाबाद। लोकप्रिय लोकगायिका और सोशल मीडिया एक्टिविस्ट नेहा सिंह राठौर एक बार फिर कानूनी विवादों में फंस गई हैं। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उनके खिलाफ दर्ज FIR निरस्त करने की याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने साफ कहा कि प्रथम दृष्टया उनके खिलाफ दर्ज FIR में अपराध की पुष्टि होती है, इसलिए जाँच प्रक्रिया को रोका नहीं जा सकता।

FIR का मामला क्या है?

यह पूरा विवाद अप्रैल 2025 का है, जब लखनऊ के हजरतगंज थाने में नेहा सिंह राठौर के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी। आरोप है कि राठौर ने पहलगाम आतंकी हमले के तुरंत बाद सोशल मीडिया पर विवादित पोस्ट किए थे। इन पोस्ट में उन्होंने न केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लिया, बल्कि उन पर गंभीर आरोप लगाते हुए यह कहा कि बीजेपी सरकार ने अपने राजनीतिक फायदे के लिए हजारों सैनिकों की जान दांव पर लगा दी और देश को अनावश्यक रूप से युद्ध की ओर धकेल दिया।

इसके अलावा, उनके ट्वीट्स में हिंदू-मुस्लिम राजनीति और बिहार चुनाव से जुड़े कई संदर्भ दिए गए, जिसने विवाद को और गहरा कर दिया।

हाई कोर्ट ने क्या कहा?

19 सितंबर 2025 को सुनाए गए फैसले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि—

  1. नेहा सिंह राठौर को 26 सितंबर 2025 सुबह 11 बजे जाँच अधिकारी के सामने पेश होना होगा।
  2. पुलिस रिपोर्ट दाखिल होने तक उन्हें पूरी तरह से जाँच में सहयोग करना होगा।
  3. उनके ट्वीट्स का समय बेहद संवेदनशील था, क्योंकि यह पोस्ट पहलगाम आतंकी हमले के तुरंत बाद किए गए थे।
  4. ऐसे समय पर धार्मिक और राजनीतिक आरोप लगाने से माहौल बिगड़ सकता है।
  5. कोर्ट ने यह भी माना कि FIR दर्ज करना कानूनन उचित था और इसे निरस्त करने का कोई आधार नहीं है।

क्यों नहीं मिली राहत?

कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि हाई कोर्ट ने इसलिए राहत नहीं दी क्योंकि—

  1. पहलगाम आतंकी हमला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा बड़ा मामला था।
  2. इस संवेदनशील समय पर PM मोदी और बीजेपी सरकार पर आरोप लगाना गंभीर माना गया।
  3. उनके पोस्ट्स में धार्मिक विभाजन और चुनावी राजनीति का मुद्दा उठाया गया, जो कानून व्यवस्था को प्रभावित कर सकता था।
  4. पुलिस की प्रारंभिक जाँच रिपोर्ट में भी यह संकेत मिला कि पोस्ट्स का असर समाज में तनाव फैला सकता था।

नेहा सिंह राठौर कौन हैं?

नेहा सिंह राठौर बिहार की रहने वाली एक लोकगायिका और सोशल मीडिया एक्टिविस्ट हैं। वह अपने पोलिटिकल सटायर और लोकगीतों के जरिए अक्सर चर्चाओं में रहती हैं। बिहार चुनाव 2020 के दौरान उनका गाया गीत "बिहार में का बा" खूब वायरल हुआ था, जिसमें उन्होंने उस समय की सरकार पर तंज कसा था।

पिछले कुछ सालों से वे लगातार सरकारी नीतियों, PM मोदी, बीजेपी और हिंदुत्व राजनीति पर खुलकर बोलती रही हैं। इसी कारण कई बार उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज हो चुके हैं।

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Neha Singh Rathor

राजनीतिक रंग भी गहराया

नेहा सिंह राठौर के मामले को सिर्फ कानूनी विवाद न मानकर कई राजनीतिक दल इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी बनाम सत्ताधारी दल का दबाव बताकर पेश कर रहे हैं।

  1. विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार विरोधी आवाजों को दबाने का काम कर रही है।
  2. वहीं, बीजेपी समर्थक इसे सिर्फ राजनीति करने की कोशिश मान रहे हैं।

सोशल मीडिया पर बहस तेज

कोर्ट के इस फैसले के बाद ट्विटर (X), फेसबुक और इंस्टाग्राम पर बहस छिड़ गई है।

  1. कुछ लोग इसे फ्रीडम ऑफ स्पीच पर हमला बता रहे हैं।
  2. तो वहीं कई यूजर्स का कहना है कि देश की सुरक्षा और शहीद जवानों के मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।

आगे क्या?

अब 26 सितंबर को नेहा सिंह राठौर को जाँच अधिकारी के सामने पेश होना अनिवार्य है। अगर वह जाँच में सहयोग नहीं करती हैं तो उन पर और सख्त कार्रवाई हो सकती है। दूसरी तरफ, अगर पुलिस रिपोर्ट में आरोप साबित होते हैं तो उन पर आईपीसी की गंभीर धाराओं के तहत केस चल सकता है।

निचोड़

इलाहाबाद हाई कोर्ट का यह फैसला साफ संकेत देता है कि कानून के दायरे से बाहर कोई भी व्यक्ति नहीं है, चाहे वह सेलिब्रिटी ही क्यों न हो। सोशल मीडिया पर पोस्ट करते समय खासकर संवेदनशील मौकों पर हर नागरिक को जिम्मेदारी निभानी होगी।

नेहा सिंह राठौर का यह मामला आने वाले दिनों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनाम राष्ट्रीय सुरक्षा की बहस को और गहरा सकता है। अब सबकी नज़र 26 सितंबर की सुनवाई और UP पुलिस की जाँच रिपोर्ट पर टिकी होगी।

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Source: Op india

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