अपमान का बदला लेने को तैयार पप्पू यादव ! NDA में जाने की तैयारी ..?
Bihar Election 2025 से पहले पप्पू यादव और PM मोदी की मुलाकात ने राजनीति में हलचल मचा दी है। क्या पप्पू NDA में शामिल होंगे? पढ़ें पूरी खबर।

Bihar Election 2025
delhi/bihar
4:03 PM, Sep 17, 2025
O News हिंदी Desk
Bihar Election 2025: NDA में शामिल होंगे पप्पू यादव? सोशल मीडिया पर उठे कयास
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। इसी बीच एक नया सियासी समीकरण चर्चा में है—क्या पूर्णिया के निर्दलीय सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव एनडीए (NDA) गठबंधन में शामिल होने जा रहे हैं? पीएम नरेंद्र मोदी और पप्पू यादव का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद इस अटकल को और हवा मिल गई है। वीडियो में दोनों नेताओं के बीच मुस्कुराते हुए बातचीत होती दिख रही है, जिसने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है।
राजनीति में ना कोई स्थायी दोस्त, ना दुश्मन
भारतीय राजनीति में अक्सर कहा जाता है कि यहां कोई स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होता। बिहार की राजनीति इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। सोमवार को पूर्णिया एयरपोर्ट उद्घाटन के मौके पर पीएम मोदी और पप्पू यादव एक ही मंच पर नज़र आए। दोनों के बीच हुई बातचीत और बदली हुई बॉडी लैंग्वेज ने सोशल मीडिया पर इस संभावना को जन्म दिया कि पप्पू यादव जल्द ही NDA में शामिल हो सकते हैं।
2015 में हुई थी कोशिश, लेकिन नाकाम रहे थे पप्पू यादव
यह पहला मौका नहीं है जब पप्पू यादव और बीजेपी की नजदीकियों की चर्चा हो रही है। साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिला, तब पप्पू यादव आरजेडी के टिकट पर लोकसभा पहुंचे थे। लेकिन जल्द ही लालू प्रसाद यादव से उनकी अनबन शुरू हो गई। उन्हें उम्मीद थी कि पार्टी में नंबर दो की पोजिशन उन्हें मिलेगी, लेकिन लालू यादव ने अपनी पार्टी की कमान बेटों—तेजस्वी और तेजप्रताप—को सौंप दी। नाराज पप्पू ने 2015 में दो बार पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी और सार्वजनिक तौर पर उनकी तारीफ भी की थी।
हालांकि, उनकी छवि को लेकर बीजेपी में कई नेताओं ने एतराज जताया। नतीजा यह हुआ कि गठबंधन की कोशिश नाकाम रही। इसके बाद आरजेडी ने उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में छह साल के लिए निकाल दिया।
पीएम मोदी से मुलाकात के बाद भी क्यों नहीं बनी बात?
13 अगस्त 2015 को संसद भवन स्थित प्रधानमंत्री कार्यालय में पप्पू यादव ने पीएम मोदी से दूसरी मुलाकात की थी। इस मुलाकात में उन्होंने अपने क्षेत्र की समस्याओं पर चर्चा की थी। मोदी ने उनकी बात धैर्यपूर्वक सुनी और कई मुद्दों पर कार्रवाई का भरोसा दिया। इसके बावजूद गठबंधन नहीं हो पाया। बीजेपी के भीतर एक धड़ा चाहता था कि पप्पू को साथ लाया जाए, लेकिन उनकी विवादित छवि और आपराधिक मामलों की वजह से पार्टी ने दूरी बनाए रखी।
कांग्रेस में भी नहीं मिल रहा पूरा सम्मान
बीजेपी से बात न बनने के बाद पप्पू यादव ने अपनी पार्टी जन अधिकार मोर्चा को अलग रखा और विभिन्न छोटे दलों के साथ गठबंधन किया। 2019 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया। पप्पू ने पूर्णिया से टिकट मांगा, लेकिन सीट आरजेडी के खाते में चली गई। नतीजा यह हुआ कि उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
हालांकि, कांग्रेस में शामिल होने के बावजूद पप्पू यादव को वह सम्मान नहीं मिला, जिसकी उन्हें उम्मीद थी। कई बार कांग्रेस और महागठबंधन के मंच से उन्हें दूर रखा गया। यहां तक कि कुछ मौकों पर राहुल गांधी के कार्यक्रम में उन्हें मंच पर जाने से भी रोका गया। इस अपमान ने पप्पू की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को और हवा दी।
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पहले अमित शाह की तारीफ, अब पीएम मोदी के साथ मंच
हाल ही में पप्पू यादव का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह को आज का चाणक्य बताया था। अब पीएम मोदी के साथ उनकी मुलाकात और दोस्ताना अंदाज ने इस चर्चा को तेज कर दिया है कि वह चुनाव से पहले NDA में शामिल हो सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो बिहार की राजनीति में बड़ा उलटफेर देखने को मिल सकता है।
पप्पू यादव का राजनीतिक सफर
- 1991: पहली बार लोकसभा पहुंचे।
- 1996–2014: कई बार सांसद बने, राजनीतिक प्रभाव मजबूत किया।
- 2015: आरजेडी से निष्कासित, बीजेपी से नजदीकी की कोशिश।
- 2019: चुनाव हारे, लेकिन सक्रिय राजनीति में बने रहे।
- 2024: निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पूर्णिया से लोकसभा चुनाव जीते।
NDA में शामिल होने पर क्या होगा असर?
अगर पप्पू यादव NDA में शामिल होते हैं तो यह बिहार की राजनीति में कई मायनों में अहम होगा:
- पूर्णिया और सीमांचल पर पकड़: पप्पू यादव का सीमांचल इलाक़े में अच्छा प्रभाव है। बीजेपी इस क्षेत्र में लंबे समय से कमजोर रही है। पप्पू के आने से वहां गठबंधन को मजबूती मिल सकती है।
- राजद और कांग्रेस पर सीधा असर: राजद और कांग्रेस पहले से ही आंतरिक कलह और सीट बंटवारे की चुनौती से जूझ रहे हैं। पप्पू के NDA जाने से विपक्ष का वोट बैंक और कमजोर हो सकता है।
- पिछड़ा वर्ग समीकरण: पप्पू यादव यादव जाति से आते हैं। इस जातिगत समीकरण को साधकर बीजेपी महागठबंधन के यादव वोट बैंक में सेंध लगा सकती है।
आगे की संभावनाएं
हालांकि अभी तक न तो बीजेपी और न ही पप्पू यादव ने इस गठबंधन की औपचारिक पुष्टि की है। लेकिन जिस तरह से हाल के दिनों में दोनों की नजदीकियां बढ़ी हैं, उससे यह साफ है कि राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं। चुनाव नजदीक आने के साथ यह सस्पेंस और गहराता जा रहा है कि क्या पप्पू यादव NDA में शामिल होंगे या एक बार फिर यह चर्चा केवल अटकल ही साबित होगी।
निष्कर्ष
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले पप्पू यादव की राजनीतिक भूमिका बेहद अहम मानी जा रही है। कभी राजद के करीबी रहे पप्पू अब NDA के दरवाजे पर दस्तक देते दिख रहे हैं। अगर वह सचमुच एनडीए में शामिल होते हैं तो यह बिहार की राजनीति का सबसे बड़ा गेमचेंजर साबित हो सकता है।