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सस्ता होगा पेट्रोल-डीजल! निर्मला सीतारमण ने दिया GST पर बड़ा बयान

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेट्रोल-डीजल को GST में लाने पर संकेत दिए। जानें कैसे बदलेंगे दाम, राज्यों की भूमिका और महंगाई पर असर।

सस्ता होगा पेट्रोल-डीजल! निर्मला सीतारमण ने दिया GST पर बड़ा बयान

Gst का असर पेट्रोल-डीजल पर भी दिखेगा ?

delhi

6:11 PM, Sep 8, 2025

O News हिंदी Desk

सस्ता होगा पेट्रोल-डीजल? वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कैसे GST के दायरे में आ सकता है ईंधन

नई दिल्ली: देश में महंगाई की सबसे बड़ी वजहों में से एक पेट्रोल और डीजल की ऊँची कीमतें रही हैं। जब-जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल (Crude Oil) के दाम बढ़े हैं, भारत में इसकी सीधी मार आम आदमी की जेब पर पड़ी है। लेकिन अब एक ऐसी संभावना दिख रही है, जिससे देशवासियों को पेट्रोल-डीजल सस्ता मिलने का रास्ता खुल सकता है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साफ किया है कि सरकार इस पर गंभीरता से विचार कर रही है कि किस तरह पेट्रोल-डीजल को जीएसटी (Goods and Services Tax) के दायरे में लाया जा सकता है।

जीएसटी स्लैब में बड़ा सुधार

वित्त मंत्री ने हाल ही में ऐलान किया कि देश में अब केवल दो मुख्य जीएसटी स्लैब रहेंगे—5% और 18%। इसके अलावा केवल हानिकारक और सुपर-लग्जरी उत्पादों पर 40% का विशेष टैक्स लगेगा। यह बदलाव नवरात्रि और दीपावली से पहले आम जनता के लिए "डबल गिफ्ट" बताया जा रहा है।

सीतारमण ने कहा, "सरकार हमेशा महंगाई को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाती है। रोजमर्रा के सामान पर टैक्स कम किए गए हैं ताकि आम आदमी ज्यादा से ज्यादा राहत महसूस कर सके।"

इस फैसले से किसानों, हेल्थ सेक्टर और मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स को बड़ा लाभ मिलने की उम्मीद है।

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पेट्रोल-डीजल पर क्यों है अलग टैक्स सिस्टम?

आज की तारीख में भारत में पेट्रोल और डीजल पर केंद्र और राज्य सरकार दोनों टैक्स लगाती हैं। केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी लेती है, जबकि राज्य सरकारें वैट या सेल्स टैक्स वसूलती हैं। यही वजह है कि दिल्ली, बिहार, महाराष्ट्र या राजस्थान में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में इतना फर्क दिखाई देता है।

उदाहरण के तौर पर, दिल्ली में पेट्रोल की कीमत अगर 100 रुपये प्रति लीटर है, तो उसमें 50% से ज्यादा हिस्सा केवल टैक्स का होता है। यानी उपभोक्ता सरकारों को ज्यादा पैसा टैक्स के रूप में देता है, असली पेट्रोल की कीमत कहीं कम होती है।

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क्या GST में आने से सस्ता होगा पेट्रोल-डीजल?

अब सवाल ये उठता है कि अगर पेट्रोल-डीजल को जीएसटी स्लैब में डाल दिया जाए तो क्या दाम वाकई घटेंगे?

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि पेट्रोल-डीजल को 40% वाले अधिकतम जीएसटी स्लैब में भी रखा गया, तब भी मौजूदा टैक्स स्ट्रक्चर की तुलना में कीमतें कम हो जाएंगी।

  1. अभी पेट्रोल-डीजल पर 50-55% तक टैक्स लग रहा है।
  2. अगर यह जीएसटी में आ गया, तो 40% से ज्यादा टैक्स नहीं लगेगा।
  3. इससे प्रति लीटर कीमत 5 से 10 रुपये तक कम हो सकती है।

इसका सीधा असर महंगाई पर पड़ेगा, क्योंकि पेट्रोल-डीजल सस्ता होगा तो ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट घटेगी और जरूरी सामान के दाम भी नियंत्रित रहेंगे।

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राज्यों की चिंता – क्यों नहीं मान रहे सीएम?

पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में लाने की सबसे बड़ी अड़चन राज्यों की आय का नुकसान है। राज्यों के लिए पेट्रोल और डीजल टैक्स का सबसे बड़ा स्रोत हैं।

उदाहरण के लिए:

  1. महाराष्ट्र, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों को पेट्रोलियम टैक्स से हर साल हजारों करोड़ रुपये की कमाई होती है।
  2. अगर यह जीएसटी में आ गया, तो राज्यों का "अपने हिसाब से टैक्स लगाने का अधिकार" खत्म हो जाएगा।

सीतारमण ने कहा, "जब जीएसटी लागू किया गया था, उसी समय यह लीगल प्रोविजन रखा गया था कि यदि राज्य तैयार होंगे तो पेट्रोल-डीजल को भी जीएसटी के दायरे में लाया जा सकता है। फिलहाल यह राज्यों की सहमति पर निर्भर करता है।"

अर्थव्यवस्था पर होगा बड़ा असर

पेट्रोल-डीजल की कीमतें केवल उपभोक्ताओं को ही नहीं बल्कि पूरी इंडियन इकोनॉमी को प्रभावित करती हैं।

  1. महंगाई (Inflation) पर असर: ट्रांसपोर्टेशन सस्ता होगा तो सब्जी, दूध, अनाज, कपड़ा से लेकर रोजमर्रा की चीजों के दाम घटेंगे।
  2. इंडस्ट्री को फायदा: ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक्स कंपनियों का खर्च घटेगा, जिससे प्रोडक्शन और डिस्ट्रीब्यूशन सस्ता होगा।
  3. कृषि क्षेत्र को राहत: किसानों के लिए ट्रैक्टर, डीजल पंप और ट्रांसपोर्टेशन का खर्च कम होगा।
  4. हेल्थ सेक्टर में सुधार: दवाइयों और मेडिकल सप्लाई का खर्च भी कम हो सकता है।
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जनता को कब मिलेगी राहत?

हालांकि वित्त मंत्री ने यह स्पष्ट किया कि फिलहाल पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में शामिल नहीं किया गया है, लेकिन उन्होंने संकेत दिए हैं कि इस दिशा में चर्चा जारी है।

वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, सरकार दीपावली या नए वित्तीय वर्ष से पहले इस पर कोई ठोस फैसला ले सकती है। यदि राज्यों और केंद्र के बीच सहमति बन गई, तो भारत में पहली बार पेट्रोल-डीजल की कीमतें एक समान (One Nation, One Price) हो सकती हैं।

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विपक्ष का रुख

विपक्षी पार्टियां लंबे समय से आरोप लगाती रही हैं कि सरकार पेट्रोल-डीजल पर "टैक्स का खेल" खेल रही है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का कहना है कि केंद्र सरकार ने जनता की जेब से अरबों रुपये कमाए हैं और अब चुनाव से पहले राहत देने की कोशिश कर रही है।

हालांकि बीजेपी का कहना है कि जीएसटी सुधार एक ऐतिहासिक कदम है और इससे देश की अर्थव्यवस्था को दीर्घकालीन लाभ होगा।

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आम आदमी की उम्मीदें

देश की जनता को इस समय सबसे ज्यादा राहत की जरूरत पेट्रोल-डीजल की कीमतों से है।

  1. ऑटो चालक चाहते हैं कि डीजल सस्ता हो ताकि उनकी कमाई बढ़ सके।
  2. किसान चाहते हैं कि ट्रैक्टर और पंप के खर्च कम हों।
  3. मध्यमवर्ग चाहता है कि महंगाई घटे और उनकी जेब पर बोझ कम पड़े।

अगर पेट्रोल-डीजल जीएसटी के दायरे में आ जाते हैं, तो यह वास्तव में आम आदमी के लिए बड़ी राहत साबित होगी।

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निष्कर्ष

पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में शामिल करने का मुद्दा केवल आर्थिक नहीं, बल्कि राजनीतिक और संघीय ढांचे से जुड़ा हुआ है। केंद्र सरकार चाहती है कि कीमतें घटें और महंगाई काबू में रहे, लेकिन राज्यों को अपनी कमाई का नुकसान मंजूर नहीं है।

अब देखना यह होगा कि क्या केंद्र और राज्य आपसी सहमति से कोई रास्ता निकालते हैं या नहीं। अगर यह संभव हो गया, तो भारत में पहली बार देशभर में एक समान कीमत पर पेट्रोल-डीजल मिलेगा और जनता को महंगाई से बड़ी राहत मिलेगी।

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