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प्रशांत किशोर: RJD या BJP, बिहार में किसको ज्यादा डैमेज?

बिहार की राजनीति में PK की एंट्री से RJD और BJP दोनों परेशान। जानें किसको ज्यादा डैमेज कर रहे हैं प्रशांत किशोर और उनकी जन सुराज पार्टी।

प्रशांत किशोर: RJD या BJP, बिहार में किसको ज्यादा डैमेज?

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bihar

10:49 PM, Sep 18, 2025

O News हिंदी Desk

प्रशांत किशोर का वार: RJD या BJP, बिहार में किसका खेल बिगाड़ रहे हैं PK?  

पटना। बिहार की राजनीति इन दिनों एक दिलचस्प मोड़ पर खड़ी है। कभी चुनावी रणनीतिकार रह चुके प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) आज खुद एक बड़े राजनीतिक चेहरे के रूप में उभर रहे हैं। सवाल यह है कि पीके (PK) का बढ़ता जनाधार RJD को ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है या BJP को? यह बहस अब केवल राजनीतिक गलियारों तक सीमित नहीं है, बल्कि गांव-गांव और चौपालों तक पहुंच चुकी है।

भाजपा की रणनीतिक बैठक में छाए PK

बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इन दिनों बिहार दौरे पर हैं। पटना में हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में पार्टी नेताओं ने आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर चर्चा की। सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में प्रशांत किशोर का बढ़ता वोटबैंक खास एजेंडा रहा। बताया जा रहा है कि बीजेपी की आंतरिक रिपोर्ट में यह अनुमान जताया गया कि PK का जनाधार बिहार में लगभग 14% तक पहुंच चुका है।

भाजपा के लिए यह आंकड़ा चिंता का विषय है क्योंकि बिहार में सत्ता तक पहुंचने के लिए हर प्रतिशत वोट मायने रखता है। अमित शाह ने पार्टी नेताओं को साफ निर्देश दिया कि PK की पकड़ को हल्के में न लें और इसके लिए बूथ स्तर पर रणनीति मजबूत की जाए।

RJD और JDU भी परेशान

सिर्फ बीजेपी ही नहीं, बल्कि RJD और JDU भी PK की रणनीति से चिंतित हैं। प्रशांत किशोर पिछले दो सालों से लगातार बिहार के एक-एक जिले की यात्रा कर रहे हैं। वे गांवों में रात गुजारते हैं, चौपालों पर बैठते हैं और आम लोगों से सीधे संवाद करते हैं। यह तरीका जनता को सीधा जोड़ने का है, जो परंपरागत राजनीति से अलग है।

RJD के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि PK ने अपने निशाने पर पार्टी के कोर वोटबैंक – अति पिछड़ा वर्ग और मुस्लिम समुदाय को लिया है। RJD की राजनीति लंबे समय से MY (मुस्लिम-यादव) समीकरण पर टिकी रही है। लेकिन PK ने हाल ही में कहा कि बिहार में असली समीकरण “YM” है, यानी यादव-मुस्लिम नहीं बल्कि मुस्लिम-यादव।

उनका तर्क है कि मुसलमानों को यादव उम्मीदवारों को मजबूरी में वोट देना पड़ता है, जबकि यादव समुदाय शायद ही किसी मुस्लिम उम्मीदवार को वोट देता हो। इस बयान ने राजनीतिक चर्चाओं को और गर्म कर दिया है।

NDA और INDIA दोनों गठबंधन में टेंशन

बिहार में अभी दो बड़े गठबंधन हैं—NDA (BJP+JDU+अन्य सहयोगी दल) और INDIA (RJD+Congress+लेफ्ट पार्टियां)। प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने ऐलान कर दिया है कि वह 2025 के विधानसभा चुनाव में 243 की 243 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी।

इससे दोनों गठबंधनों का समीकरण बिगड़ सकता है।

  1. यदि PK को 10-15% वोट भी मिलते हैं, तो सीधा नुकसान NDA और INDIA दोनों को होगा।
  2. बीजेपी को हिंदू वोटों में सेंध लगने का डर है, जबकि RJD को मुस्लिम और अति पिछड़ा वर्ग में अपना आधार खिसकने का खतरा है।

जन सुराज की रणनीति और बढ़ता जनाधार

प्रशांत किशोर की रणनीति बिल्कुल साफ है—वे खुद को किसी जाति, धर्म या पार्टी की सीमा में बांधना नहीं चाहते। वे बार-बार कहते हैं कि “बिहार को बदलने के लिए विचारधारा पर आधारित राजनीति जरूरी है, न कि जातीय समीकरण।”

उनकी रैलियों में उमड़ती भीड़ इस बात का संकेत है कि बिहार की जनता उन्हें गंभीरता से ले रही है। खासकर युवा वर्ग और पहली बार वोट डालने वाले मतदाता PK को एक नए विकल्प के रूप में देख रहे हैं।

PK का फोकस ग्रामीण इलाकों पर है। वे जानते हैं कि बिहार की राजनीति गांवों से तय होती है। उन्होंने स्वास्थ्य, शिक्षा, बेरोजगारी और पलायन जैसे मुद्दों को लगातार उठाया है, जो सीधे तौर पर जनता की जिंदगी से जुड़े हैं।

किसको ज्यादा डैमेज करेंगे PK?

अब बड़ा सवाल यही है कि PK किसको ज्यादा नुकसान पहुंचाएंगे—RJD या BJP?

  1. BJP को नुकसान: भाजपा को डर है कि PK उसके अति पिछड़ा और युवा वोट बैंक में सेंध लगा सकते हैं। साथ ही, मोदी-नीतीश गठजोड़ से नाराज मतदाता PK की ओर झुक सकते हैं।
  2. RJD को नुकसान: RJD की सबसे बड़ी चिंता मुस्लिम और अति पिछड़ा वोटर है। PK लगातार इस वर्ग से जुड़ रहे हैं और जातीय समीकरण की राजनीति को चुनौती दे रहे हैं। इससे RJD का पारंपरिक वोट बैंक कमजोर हो सकता है।
  3. JDU की स्थिति: नीतीश कुमार की JDU फिलहाल BJP के साथ है, लेकिन PK की सक्रियता से उसका आधार भी प्रभावित हो सकता है। खासकर ग्रामीण इलाकों में नीतीश कुमार की पकड़ ढीली पड़ सकती है।

राजनीतिक विश्लेषकों की राय

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि प्रशांत किशोर ने बिहार की राजनीति में “तीसरा मोर्चा” खड़ा कर दिया है। हालांकि, अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि वे कितनी सीटें जीत पाएंगे। लेकिन इतना तय है कि PK की मौजूदगी से किसी भी पार्टी के लिए चुनाव आसान नहीं रहेगा।

कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि PK का वोट शेयर चाहे जितना हो, वे सत्ता में आने वाले समीकरण को पूरी तरह बदल देंगे। यानी, वे किंगमेकर भी बन सकते हैं।

जनता क्या कह रही है?

गांव-गांव में लोग PK को लेकर चर्चा कर रहे हैं। युवाओं में उनकी पकड़ मजबूत होती दिख रही है। “हमने अब तक RJD और JDU को देखा है, BJP को भी मौका मिला। लेकिन बदलाव नहीं हुआ। PK शायद बदलाव ला सकते हैं”—यह भावना आम लोगों में दिख रही है।

हालांकि, एक तबका यह भी मानता है कि PK का अनुभव चुनाव लड़ने का नहीं बल्कि चुनाव जिताने का है। जनता का भरोसा वोट में कितना बदल पाएगा, यह देखने वाली बात होगी।

निष्कर्ष

बिहार की राजनीति एक नए दौर में प्रवेश कर चुकी है। प्रशांत किशोर और उनकी जन सुराज पार्टी ने पारंपरिक राजनीतिक समीकरणों को हिला दिया है। RJD और BJP दोनों के लिए वे चुनौती बने हुए हैं।

2025 का चुनाव यह साबित करेगा कि PK सिर्फ चुनावी रणनीतिकार से नेता बने हैं या फिर वाकई बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकते हैं। फिलहाल इतना साफ है कि वे NDA और INDIA दोनों गठबंधनों के लिए सिरदर्द जरूर बन गए हैं।

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Source: Tv9hindi

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