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फर्जी निकले राहुल गांधी के आरोप! चुनाव आयोग ने दिया करारा जवाब | Onews Hindi

राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ आरोपों को चुनाव आयोग ने किया खारिज। आयोग बोला– ऑनलाइन वोट डिलीशन असंभव। जानें पूरा विवाद।

फर्जी निकले राहुल गांधी के आरोप! चुनाव आयोग ने दिया करारा जवाब | Onews Hindi

Rahul Gandhi

delhi

7:55 PM, Sep 18, 2025

O News हिंदी Desk

फर्जी निकले राहुल गांधी के आरोप! चुनाव आयोग ने दिया करारा जवाब, ‘वोट चोरी’ पर मचा सियासी संग्राम

नई दिल्ली, 18 सितम्बर 2025 | Onews Hindi लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने चुनाव आयोग और मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। राहुल ने दावा किया कि देशभर में सॉफ्टवेयर के जरिए व्यवस्थित तरीके से मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं। हालांकि, भारतीय चुनाव आयोग (Election Commission of India) ने उनके आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है और कहा है कि यह पूरी तरह से गलत और भ्रामक है।

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राहुल गांधी का आरोप: ‘वोट चोरी’ का नया हाइड्रोजन बम!

राहुल गांधी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि कर्नाटक और महाराष्ट्र के कई निर्वाचन क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर मतदाता सूची में छेड़छाड़ हुई है। उन्होंने कर्नाटक के आलंद विधानसभा क्षेत्र और महाराष्ट्र के राजुरा निर्वाचन क्षेत्र का हवाला देते हुए कहा कि लाखों वोट गलत तरीके से हटाए गए।

राहुल का आरोप है कि –

  1. मतदाता सूची से नाम हटाने के लिए एक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम का इस्तेमाल किया गया।
  2. चुनाव आयोग को बार-बार लिखे गए पत्रों का कोई जवाब नहीं मिला।
  3. पिछले 18 महीनों में कर्नाटक सीआईडी ने चुनाव आयोग को 18 बार पत्र लिखकर तकनीकी जानकारी मांगी, लेकिन आयोग ने उसे साझा नहीं किया।

उन्होंने आगे कहा कि आने वाले समय में वह इस मुद्दे पर एक बड़ा खुलासा करेंगे, जिसे उन्होंने “हाइड्रोजन बम” का नाम दिया है।

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चुनाव आयोग का जवाब: “ऑनलाइन वोट डिलीशन संभव ही नहीं”

राहुल गांधी के आरोपों पर चुनाव आयोग ने कड़ा जवाब देते हुए कहा कि किसी भी आम नागरिक की ओर से या ऑनलाइन तरीके से मतदाता सूची से नाम हटाना संभव नहीं है। आयोग के अनुसार –

  1. वोट हटाने से पहले प्रभावित व्यक्ति को सुनवाई का अवसर देना अनिवार्य है।
  2. 2023 में आलंद विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं के नाम हटाने की कुछ असफल कोशिशें हुई थीं।
  3. इस मामले में स्वयं चुनाव आयोग की ओर से एफआईआर दर्ज कराई गई थी।
  4. आलंद के चुनाव परिणाम निष्पक्ष रहे – 2018 में भाजपा के सुभाध गुट्टेदार और 2023 में कांग्रेस के बीआर पाटिल विजयी रहे।

चुनाव आयोग ने राहुल गांधी पर गलत धारणाएं फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि ऐसे बयान लोकतंत्र की विश्वसनीयता को कमजोर करते हैं।

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क्या सच में हो रही है ‘वोट चोरी’?

भारत में मतदाता सूची (Voter List) का प्रबंधन पूरी तरह से चुनाव आयोग के नियंत्रण में होता है। नाम हटाने या जोड़ने के लिए एक प्रक्रियागत व्यवस्था है, जिसमें संबंधित व्यक्ति को नोटिस भेजा जाता है और सुनवाई का अधिकार दिया जाता है।

हालांकि, यह भी सच है कि कई बार डुप्लीकेट वोट, फर्जी नाम या एक ही मतदाता का नाम कई स्थानों पर दर्ज पाया जाता है। इस स्थिति में सुधार करने के लिए चुनाव आयोग समय-समय पर अभियान चलाता है।

लेकिन राहुल गांधी के आरोपों में जो सॉफ्टवेयर के जरिए बड़े पैमाने पर वोट डिलीशन की बात कही गई है, उसे साबित करने के लिए ठोस सबूत अभी तक सामने नहीं आए हैं।

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सियासी मायने: राहुल बनाम चुनाव आयोग

राहुल गांधी के बयान के कई राजनीतिक मायने हैं।

  1. कांग्रेस आने वाले समय में “वोट चोरी” मुद्दे को बड़ा बनाकर चुनावी माहौल में सरकार को घेरना चाहती है।
  2. राहुल खुद को एक ऐसे नेता के तौर पर पेश करना चाहते हैं, जो लोकतंत्र की रक्षा के लिए लड़ रहा है।
  3. भाजपा और चुनाव आयोग राहुल के आरोपों को राजनीतिक हथकंडा बताकर नकार रहे हैं।
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जनता क्या सोचती है?

राहुल गांधी के ‘हाइड्रोजन बम’ वाले बयान ने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी है। ट्विटर (X) से लेकर फेसबुक तक लोग सवाल पूछ रहे हैं –

  1. क्या वाकई वोट चोरी हो रही है?
  2. क्या चुनाव आयोग पर भरोसा किया जा सकता है?
  3. क्या राहुल सिर्फ राजनीतिक प्रचार के लिए ये बयान दे रहे हैं?

कुछ लोग इसे राहुल का नया “पब्लिसिटी स्टंट” बता रहे हैं, तो वहीं उनके समर्थक मानते हैं कि वह सही दिशा में सवाल उठा रहे हैं।

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विशेषज्ञों की राय

चुनाव विश्लेषकों का कहना है कि राहुल गांधी के आरोप गंभीर हैं, लेकिन जब तक वह सबूत पेश नहीं करते, तब तक इसे राजनीतिक बयानबाजी ही माना जाएगा।

  1. वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक का कहना है – “अगर राहुल गांधी के पास ठोस सबूत हैं तो उन्हें तुरंत सामने लाना चाहिए। बार-बार धमकी देने से जनता में भ्रम पैदा होता है।”
  2. वहीं, एक अन्य चुनाव विशेषज्ञ का कहना है – “चुनाव आयोग की पारदर्शिता पर सवाल उठाना ठीक है, लेकिन बिना सबूत के संस्थानों पर हमला करना लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।”
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क्यों अहम है यह मामला?

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। हर चुनाव में करोड़ों लोग मतदान करते हैं। ऐसे में अगर मतदाता सूची में गड़बड़ी या “वोट चोरी” जैसे आरोप लगते हैं, तो यह केवल चुनाव आयोग ही नहीं बल्कि पूरे लोकतंत्र की साख पर सवाल खड़ा करता है।

राहुल गांधी के आरोप और चुनाव आयोग का जवाब आने वाले दिनों में बड़ी राजनीतिक बहस को जन्म देगा। खासकर तब, जब लोकसभा चुनाव 2029 की तैयारियां धीरे-धीरे शुरू हो रही हैं।

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निष्कर्ष: राहुल का हाइड्रोजन बम या राजनीतिक हथियार?

फिलहाल, राहुल गांधी के आरोपों को चुनाव आयोग ने फर्जी और बेबुनियाद बताया है। आयोग का कहना है कि मतदाता सूची से नाम हटाने के लिए स्पष्ट नियम और प्रक्रिया है, जिसमें किसी तरह की मनमानी संभव नहीं है।

अब सबकी नजर राहुल गांधी पर है कि वह अपने दावों को साबित करने के लिए क्या सबूत पेश करते हैं। क्या वाकई वे हाइड्रोजन बम फोड़ेंगे या यह केवल एक राजनीतिक हथियार है?

एक बात तय है – यह विवाद आने वाले समय में भारतीय राजनीति का बड़ा मुद्दा बनने जा रहा है।

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