नेपाल में बवाल: Gen-Z युवाओं की मांग – मोदी जैसा प्रधानमंत्री चाहिए, ओली नहीं
नेपाल में हिंसा और अराजकता के बीच नई पीढ़ी यानी Gen-Z ने कहा – हमें KP शर्मा ओली नहीं, बल्कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसा सशक्त और निर्णायक नेता चाहिए। क्या नेपाल का लोकतंत्र संकट में है?

नेपाल में बवाल: Gen-Z युवाओं की मांग
delhi
11:58 AM, Sep 10, 2025
O News हिंदी Desk
नेपाल में बवाल: नई पीढ़ी की चौंकाने वाली मांग – “हमें नरेंद्र मोदी जैसा प्रधानमंत्री चाहिए, ओली नहीं”
नेपाल एक बार फिर उथल-पुथल में है। राजधानी काठमांडू से लेकर देश के कई हिस्सों में लोग सड़कों पर उतर आए हैं। हिंसा, तोड़फोड़ और प्रदर्शन की तस्वीरें लगातार सामने आ रही हैं। लेकिन इस बार बवाल का असली कारण सिर्फ राजनीतिक अस्थिरता नहीं, बल्कि देश की नई पीढ़ी यानी Gen-Z युवाओं की नई सोच और मांग है।
युवाओं का कहना है कि उन्हें KP शर्मा ओली जैसे नेता नहीं चाहिए, जो बार-बार सत्ता के लिए जोड़-तोड़ करें और वादे पूरे न कर पाएं। बल्कि वे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसे सशक्त, निर्णायक और दूरदर्शी नेता की मांग कर रहे हैं।
आखिर नेपाल में आग क्यों भड़की?
नेपाल पिछले कुछ सालों से लगातार राजनीतिक अस्थिरता का सामना कर रहा है। कभी सरकार गिरती है, कभी नए गठबंधन बनते हैं, और आम जनता महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार की मार झेल रही है।
- महंगाई बेलगाम – खाने-पीने की चीजों से लेकर पेट्रोल-डीजल तक की कीमतें आसमान छू रही हैं।
- बेरोजगारी चरम पर – हजारों युवा बेहतर भविष्य के लिए खाड़ी देशों और भारत का रुख कर रहे हैं।
- भ्रष्टाचार का बोलबाला – सरकार बदलती है लेकिन सिस्टम वही रहता है।
- लोकतंत्र पर सवाल – बार-बार संसद भंग होने और राजनीतिक जोड़-तोड़ ने लोकतंत्र की साख कमजोर कर दी है।
इन्हीं हालातों से तंग आकर नेपाल के युवा अब एक नए विकल्प की तलाश में हैं।
Gen-Z की सोच क्यों अलग है?
नेपाल के युवाओं की नई पीढ़ी इंटरनेट और सोशल मीडिया से जुड़ी हुई है। वे भारत, अमेरिका और दुनिया भर की राजनीति को नजदीक से देखते हैं।
- युवाओं को मोदी की छवि पसंद – मोदी को एक मजबूत और निर्णायक नेता के रूप में देखा जाता है, जिसने भारत में बड़े सुधार किए, इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की साख बढ़ाई।
- ओली पर भरोसा टूटा – KP शर्मा ओली बार-बार सत्ता में आने के बावजूद युवाओं की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाए।
- परिवर्तन की मांग – युवा अब पारंपरिक राजनीति से हटकर एक नए नेतृत्व की तलाश कर रहे हैं।
नेपाल के कई शहरों में छात्रों ने पोस्टर लेकर प्रदर्शन किए जिन पर लिखा था – “हमें ओली नहीं, मोदी जैसा नेता चाहिए।”
क्या नेपाल का लोकतंत्र खतरे में है?
यह सवाल अब गंभीर हो गया है। लोकतंत्र का मतलब सिर्फ चुनाव नहीं, बल्कि जनता की उम्मीदों पर खरा उतरना भी है। नेपाल में लोकतंत्र बार-बार सत्ता संघर्ष और कमजोर नेतृत्व की वजह से कमजोर होता दिख रहा है।
- बार-बार सरकार गिरने से जनता का भरोसा टूटा।
- नेता सिर्फ सत्ता बचाने में लगे रहते हैं, जनता की समस्याएं अनसुनी रह जाती हैं।
- यही वजह है कि लोग लोकतंत्र की जगह अब “मजबूत नेतृत्व” की मांग कर रहे हैं।
भारत और नेपाल के रिश्तों पर असर
युवाओं की यह मांग भारत-नेपाल रिश्तों के लिए भी अहम है।
- नेपाल के युवा जब मोदी का उदाहरण देते हैं, तो इसका मतलब है कि वे भारत की नीतियों और विकास मॉडल को पसंद कर रहे हैं।
- हालांकि, नेपाल के राजनीतिक दल इस बयान को “भारत के हस्तक्षेप की मांग” के रूप में भी दिखा सकते हैं, जिससे कूटनीतिक विवाद खड़ा हो सकता है।
- लेकिन सच्चाई यह है कि नेपाल के युवा बदलाव चाहते हैं, और मोदी सिर्फ उस बदलाव की प्रतीकात्मक छवि बन गए हैं।
इन्हें भी पढ़ें



नेपाल की राजनीति का भविष्य
आज नेपाल जिस मोड़ पर खड़ा है, वहां दो रास्ते हैं –
- या तो नेपाल के नेता युवाओं की आवाज़ सुनें और भ्रष्टाचार-महंगाई से लड़ने के लिए ठोस कदम उठाएं।
- या फिर असंतोष बढ़ेगा और लोकतंत्र पर और भी गहरा संकट आ जाएगा।
राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि नेपाल में “लोकतंत्र बनाम मजबूत नेतृत्व” की बहस आने वाले समय में और तेज होगी।
युवाओं की आवाज़ क्यों अहम है?
नेपाल की आबादी का बड़ा हिस्सा युवा है। यही वह वर्ग है जो आने वाले समय में देश की राजनीति की दिशा तय करेगा।
- अगर युवा मौजूदा पार्टियों से निराश होकर किसी नए विकल्प की तरफ बढ़े, तो नेपाल की राजनीति में बड़ा बदलाव संभव है।
- फिलहाल नेपाल में ऐसा कोई नेता नहीं दिखता जो मोदी जैसी छवि बना सके। लेकिन युवाओं की यह मांग संकेत देती है कि अब जनता पारंपरिक नेताओं को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है।
क्या नेपाल में "मोदी मॉडल" संभव है?
नेपाल और भारत की राजनीति अलग है। लेकिन मोदी का मॉडल नेपाल के लिए प्रेरणा जरूर बन सकता है।
- निर्णायक नेतृत्व – फैसले लेने की हिम्मत।
- भ्रष्टाचार पर चोट – सिस्टम को पारदर्शी बनाना।
- विकास पर फोकस – इंफ्रास्ट्रक्चर, रोजगार और शिक्षा पर ध्यान।
- अंतरराष्ट्रीय पहचान – नेपाल की छवि को वैश्विक मंच पर मजबूत करना।
अगर नेपाल का कोई भी नेता इस दिशा में काम करे तो शायद युवाओं का भरोसा फिर से लोकतंत्र पर लौट सके।
निष्कर्ष
नेपाल इस वक्त सबसे कठिन दौर से गुजर रहा है। सड़कों पर बवाल, युवाओं का गुस्सा और नेताओं पर अविश्वास – यह सब एक बड़े राजनीतिक संकट का संकेत है।
नेपाल की नई पीढ़ी की यह मांग कि उन्हें KP शर्मा ओली जैसा नेता नहीं चाहिए, बल्कि नरेंद्र मोदी जैसा प्रधानमंत्री चाहिए, सिर्फ एक नाराजगी नहीं बल्कि गहरे असंतोष का इशारा है।
अब सवाल यह है कि क्या नेपाल का लोकतंत्र इस संकट से उभर पाएगा, या फिर एक नए राजनीतिक अध्याय की शुरुआत होगी?