Rupee vs Dollar: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 87.84 पर बंद, जानें क्यों लौटी मजबूती
भारतीय रुपया लगातार चौथे दिन अमेरिकी डॉलर के मुकाबले मजबूत होकर 87.84 पर बंद हुआ। फेडरल रिजर्व की ब्याज दर कटौती की उम्मीद, विदेशी निवेश और शेयर बाजार की तेजी से रुपये को सहारा मिला। जानें रुपये की मजबूती के पीछे की पूरी कहानी।

Rupee vs Dollar
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6:14 PM, Sep 17, 2025
O News हिंदी Desk
दहाड़ा रुपया! डॉलर के सामने लंबी छलांग, 87.84 पर बंद – जानें क्यों लौटी मजबूती
नई दिल्ली। भारतीय रुपया लगातार चौथे दिन अमेरिकी डॉलर के मुकाबले मजबूत हुआ है। बुधवार को इंटरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 25 पैसे की बढ़त दर्ज करते हुए 87.84 प्रति डॉलर (अस्थायी) पर बंद हुआ। यह करीब ढाई सप्ताह का उच्चतम स्तर है। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व (US Fed) की बैठक में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद, डॉलर इंडेक्स की कमजोरी, घरेलू शेयर बाजार में तेजी और विदेशी निवेशकों की लिवाली ने रुपये को मजबूती दी है।
डॉलर के मुकाबले रुपया क्यों चढ़ा?
पिछले कुछ महीनों में रुपया दबाव में था, लेकिन अब हालात बदलते दिख रहे हैं।
- मंगलवार को रुपया 7 पैसे चढ़कर 88.09 पर बंद हुआ था।
- बुधवार को यह लगातार चौथे सत्र में मजबूत हुआ और 87.71 से 87.86 के दायरे में कारोबार करता रहा।
- कारोबार खत्म होने पर रुपया 25 पैसे मजबूत होकर 87.84 पर आ गया।
मिराए एसेट शेयरखान के मुद्रा एवं जिंस शोध विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा कि,
“एफओएमसी बैठक के फैसले से पहले डॉलर में कमजोरी और फेड द्वारा ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती की उम्मीद ने रुपये को मजबूती दी है। अगर फेड नरम रुख अपनाता है तो डॉलर और कमजोर होगा और रुपया और चढ़ सकता है।”
विदेशी निवेशकों का भरोसा
विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने भी भारतीय बाजारों में भरोसा जताया है।
- मंगलवार को उन्होंने 308.32 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
- इससे विदेशी पूंजी का प्रवाह बढ़ा और रुपये को सपोर्ट मिला।
विश्लेषकों का मानना है कि जब विदेशी निवेशक भारतीय शेयरों में पैसा लगाते हैं, तो उन्हें डॉलर को रुपये में बदलना पड़ता है। इस प्रक्रिया से डॉलर की मांग घटती है और रुपया मजबूत होता है।

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शेयर बाजार का उत्साह भी बना सहारा
रुपये की मजबूती के साथ घरेलू शेयर बाजार भी चढ़े।
- सेंसेक्स 313.02 अंक बढ़कर 82,693.71 पर बंद हुआ।
- निफ्टी 91.15 अंक की तेजी के साथ 25,330.25 पर बंद हुआ।
विशेषज्ञ कहते हैं कि जब शेयर बाजार में तेजी होती है तो विदेशी निवेशकों की दिलचस्पी और बढ़ती है, जिससे रुपये पर भी सकारात्मक असर पड़ता है।
क्रूड ऑयल में गिरावट का फायदा
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भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल आयातक देश है। तेल की कीमतें गिरती हैं तो रुपये को बड़ा सहारा मिलता है क्योंकि तेल आयात बिल घटता है।
- बुधवार को ब्रेंट क्रूड 0.66% गिरकर 68.02 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था।
- यह गिरावट भारतीय अर्थव्यवस्था और रुपये दोनों के लिए राहत की खबर है।
डॉलर इंडेक्स और ग्लोबल सेंटिमेंट
डॉलर इंडेक्स, जो कि अमेरिकी डॉलर की ताकत को छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले मापता है, बुधवार को हल्की बढ़त लेकर 96.78 पर पहुंचा। हालांकि, समग्र रूप से देखा जाए तो फेड की नीतियों को लेकर अनिश्चितता के कारण डॉलर कमजोर बना हुआ है।
फेडरल रिजर्व की नीतिगत बैठक (FOMC Meeting) निवेशकों की नजरों में है।
- बाजार को उम्मीद है कि फेड 0.25% ब्याज दर घटा सकता है।
- अगर ऐसा होता है तो अमेरिकी डॉलर कमजोर होगा और भारतीय रुपया मजबूत बने रहने की संभावना है।
आगे क्या?
रुपये की मजबूती कितने दिन टिकी रहेगी, यह आने वाले हफ्तों में अमेरिकी फेडरल रिजर्व के फैसलों, विदेशी निवेश के रुझान और कच्चे तेल की कीमतों पर निर्भर करेगा।
- यदि फेड नरम रुख अपनाता है और ब्याज दरों में कटौती करता है तो डॉलर कमजोर और रुपया मजबूत हो सकता है।
- अगर वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता बढ़ती है, तो डॉलर एक "सेफ हेवन" करंसी बनकर मजबूत हो सकता है और उस स्थिति में रुपये पर दबाव आएगा।
- घरेलू मोर्चे पर, अगर शेयर बाजार में तेजी और विदेशी निवेश का प्रवाह जारी रहा तो रुपया और मजबूती पकड़ सकता है।
निवेशकों के लिए क्या मायने?
रुपये की मजबूती आम निवेशकों और आयातकों के लिए अच्छी खबर है।
- विदेश यात्रा और विदेश में पढ़ाई करने वालों के लिए खर्च घटेगा।
- आयातित सामान जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स और पेट्रोलियम उत्पाद अपेक्षाकृत सस्ते हो सकते हैं।
- वहीं, निर्यातकों के लिए यह स्थिति थोड़ी मुश्किल हो सकती है क्योंकि मजबूत रुपया भारतीय माल को विदेशों में महंगा बना देता है।
निष्कर्ष
भारतीय रुपया फिलहाल मजबूती के मोड में है और लगातार चौथे दिन डॉलर के मुकाबले चढ़ा है। 87.84 प्रति डॉलर पर बंद होना इस बात का संकेत है कि विदेशी निवेश, क्रूड ऑयल की कीमतों में गिरावट और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतियों की उम्मीदों ने रुपये को सपोर्ट दिया है।
हालांकि, वैश्विक परिस्थितियों और अमेरिकी आर्थिक नीतियों के अनुसार आने वाले दिनों में उतार-चढ़ाव संभव है। निवेशकों और आम जनता दोनों के लिए रुपये की यह चाल बेहद अहम है क्योंकि इसका सीधा असर रोजमर्रा की जिंदगी से लेकर अंतरराष्ट्रीय व्यापार तक पर पड़ता है।