Stock Market Crash 2025: शेयर बाजार क्रैश से नौकरियों पर संकट, क्या आ गई है नई मंदी?
Stock Market Crash 2025: शेयर बाजार क्रैश से नौकरियों पर संकट, क्या आ गई है नई मंदी?

Stock Market Crash 2025: शेयर बाजार क्रैश से नौकरियों पर संकट,
12:00 AM, Apr 7, 2025
O News हिंदी Desk
Stock Market Crash 2025: नौकरियों पर संकट! शेयर बाजार में मचा हाहाकार, एक्सपर्ट्स ने जताई मंदी की आशंका
शेयर बाजार में जारी भारी गिरावट ने निवेशकों के साथ-साथ आम जनता की भी नींद उड़ा दी है। सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में जबरदस्त गिरावट देखी जा रही है, जिससे न सिर्फ निवेशकों की पूंजी डूबी है बल्कि अब नौकरियों पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर बाजार में यही रुझान बना रहा, तो देश एक और आर्थिक मंदी की ओर बढ़ सकता है।
क्यों गिरा बाजार?
पिछले कुछ हफ्तों से विदेशी निवेशकों की बिकवाली, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता, बढ़ती ब्याज दरें और भू-राजनीतिक तनाव जैसे कारणों से भारतीय शेयर बाजार पर भारी दबाव बना हुआ है। टेक, बैंकिंग और ऑटो सेक्टर में सबसे ज्यादा गिरावट देखी गई है।
Stock Market Crash 2025:एक्सपर्ट की चेतावनी: "ये सिर्फ शुरुआत है"
अर्थशास्त्री और शेयर बाजार विशेषज्ञ डॉ. राकेश तिवारी ने चेतावनी दी है कि यह सिर्फ शुरुआत है। उनके अनुसार, "अगर सरकार और रिजर्व बैंक समय पर ठोस कदम नहीं उठाते, तो देश को 2020 जैसी मंदी का सामना करना पड़ सकता है।"
नौकरियों पर खतरा
मार्केट क्रैश का सीधा असर कॉर्पोरेट सेक्टर की भर्ती पर पड़ा है। कई कंपनियों ने hiring पर फ्रीज लगा दिया है और कुछ बड़े IT कंपनियों ने छंटनी की भी शुरुआत कर दी है। इससे लाखों युवाओं की नौकरी पर संकट मंडरा रहा है।
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Stock Market Crash 2025:कौन-कौन से सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित?
निवेशकों के लिए सलाह
विशेषज्ञों की सलाह है कि इस समय घबराने की नहीं, बल्कि स्मार्ट निर्णय लेने की ज़रूरत है। लॉन्ग टर्म निवेशक अपने पोर्टफोलियो को diversify करें और सिर्फ मजबूत फंडामेंटल वाली कंपनियों में ही निवेश करें।
Stock Market Crash 2025:क्या कहती है सरकार?
वित्त मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए कहा है कि वो स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और जल्द ही बाजार को स्थिर करने के लिए राहत पैकेज की घोषणा की जा सकती है।
निष्कर्षशेयर बाजार में आई यह गिरावट सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था और आम आदमी की जेब पर गहरा असर डाल सकती है। ऐसे में सरकार, निवेशकों और कंपनियों—तीनों को मिलकर विवेकपूर्ण कदम उठाने की जरूरत है।