राम मंदिर के मुख्य पुजारी को मिलती है इतनी सैलरी? जानकर रह जाएंगे दंग!
राम मंदिर के मुख्य पुजारी को मिलती है इतनी सैलरी? जानकर रह जाएंगे दंग!

राम मंदिर के मुख्य पुजारी को मिलती है इतनी सैलरी? जानकर रह जाएंगे दंग!
12:00 AM, Apr 6, 2025
O News हिंदी Desk
अयोध्या न्यूज़ | रामनवमी 2025 स्पेशल रिपोर्ट
अयोध्या में श्रीराम जन्मोत्सव की धूम मची हुई है। 2024 में राम मंदिर के उद्घाटन के बाद यह पहली रामनवमी है, जब भगवान रामलला कासूर्य तिलकइतने भव्य रूप में किया जा रहा है। भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ा है, और इस पावन अवसर पर एक सवाल लोगों के मन में बार-बार उठ रहा है –"राम मंदिर के मुख्य पुजारी को कितनी सैलरी मिलती है?
मुख्य पुजारी की सैलरी कितनी है?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक,राम मंदिर के वर्तमान मुख्य पुजारी पंडित मोहित पांडेयको हर महीने₹32,900 रुपयेका वेतन मिलता है। वहीं, मंदिर में सेवा दे रहे अन्य सहायक पुजारियों को₹31,000 रुपये प्रति माहवेतन दिया जाता है।
गौरतलब है कि पहले यह वेतन काफी कम था – मुख्य पुजारी को केवल ₹25,000 और सहायक पुजारियों को ₹20,000 रुपये प्रतिमाह दिए जाते थे। लेकिन राम मंदिर ट्रस्ट द्वारा वेतन में वृद्धि कर नई दरें लागू की गई हैं, ताकि पुजारीगण बिना किसी आर्थिक चिंता के प्रभु श्रीराम की सेवा में संलग्न रह सकें।
मुख्य पुजारी को क्या-क्या सुविधाएं मिलती हैं?
वेतन के अलावा, राम मंदिर ट्रस्ट द्वारा मुख्य पुजारी को कई विशेष सुविधाएं भी प्रदान की जाती हैं:
- मंदिर परिसर में रहने की सुविधा
- यात्रा व्यय का भुगतान
- विशेष धार्मिक आयोजनों में आमंत्रण और भागीदारी
- पूजा व अनुष्ठानों के लिए धार्मिक सामग्री की संपूर्ण व्यवस्था
- त्यौहारों या विशेष अवसरों पर अतिरिक्त मानदेय और भत्ते
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इन सभी व्यवस्थाओं का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पुजारीगणधर्म और भक्ति में पूरी तरह लीन रहें, और उनके सांसारिक कर्तव्यों का बोझ न्यूनतम हो।
कौन हैं पंडित मोहित पांडेय?
पंडित मोहित पांडेय राम मंदिर केनए मुख्य पुजारीहैं। इससे पहले यह जिम्मेदारी आचार्य सत्येंद्र दास निभा रहे थे, जिनका हाल ही में निधन हो गया।
पंडित मोहित पांडेय नेसामवेद में विशेष अध्ययनकिया है औरवेंकटेश्वर वैदिक विश्वविद्यालयसे आचार्य की उपाधि प्राप्त की है। इसके अतिरिक्त, उन्होंनेदूधेश्वर वेद विद्यापीठमें वर्षों तक वेद, पूजा-विधि और धार्मिक अनुष्ठानों का गहन अभ्यास किया है। उनकी विद्वता, अनुशासन और धार्मिक समर्पण को देखते हुए ही उन्हें यह गरिमामयी दायित्व सौंपा गया है।
निष्कर्ष:
राम मंदिर में सेवा कर रहे पुजारी सिर्फ कर्मकांड नहीं निभा रहे हैं, वे सनातन संस्कृति और परंपरा के संरक्षक हैं। पंडित मोहित पांडेय जैसे विद्वान, जो पूरी श्रद्धा से रामलला की सेवा में रत हैं, वास्तव में पूज्यनीय हैं। ऐसे में उनका वेतन और सम्मान न केवल आवश्यक है, बल्कि हमारी आस्था का सम्मान भी है।