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धरा रह गया ट्रंप का टैरिफ, एक्सपोर्ट में भारत ने तोड़े सारे रिकॉर्ड.!

भारत ने पांच महीने में ही 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक के स्मार्टफोन एक्सपोर्ट कर नए रिकॉर्ड बनाए। ट्रंप की धमकी बेअसर, Apple और Foxconn ने उत्पादन बढ़ाया। जानें कैसे PLI स्कीम ने बदला भारत का भविष्य।

धरा रह गया ट्रंप का टैरिफ, एक्सपोर्ट में भारत ने तोड़े सारे रिकॉर्ड.!

Trump-Modi

delhi

4:15 PM, Sep 15, 2025

O News हिंदी Desk

धरा रह गया ट्रंप का टैरिफ, स्मार्टफोन एक्सपोर्ट में भारत ने तोड़े सारे रिकॉर्ड

भारत की टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री ने एक बार फिर दुनिया को चौंका दिया है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की धमकी के बावजूद, भारत से स्मार्टफोन एक्सपोर्ट का ग्राफ न सिर्फ गिरा नहीं बल्कि रफ्तार पकड़ते हुए नए इतिहास रच गया है। मौजूदा फाइनेंशियल ईयर के पहले 5 महीनों में ही स्मार्टफोन एक्सपोर्ट 1 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच गया, जो कि अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। यह न सिर्फ भारत के लिए गर्व की बात है बल्कि दुनियाभर के निवेशकों के लिए भी एक बड़ा संकेत है कि आने वाले समय में भारत ग्लोबल स्मार्टफोन मैन्युफैक्चरिंग का नया हब बनने जा रहा है।

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ट्रंप की धमकी और भारत की मजबूती

डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में टेक दिग्गज Apple को भारत में iPhone का प्रोडक्शन बंद करने की धमकी दी थी। उनका तर्क था कि अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा दिया जाए और कंपनियां बाहर प्रोडक्शन न करें। लेकिन उनकी यह चाल भारत के लिए फायदे का सौदा साबित हुई। ट्रंप की धमकी का उल्टा असर हुआ और Apple ने भारत में अपने उत्पादन को और तेजी से बढ़ा दिया।

बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकारी डेटा के आधार पर सामने आया है कि टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और फॉक्सकॉन जैसे Apple के दो बड़े वेंडर्स ने अकेले 75,000 करोड़ रुपये के स्मार्टफोन एक्सपोर्ट किए।

यानी जहां एक तरफ अमेरिका ने दबाव बनाने की कोशिश की, वहीं भारत ने अपनी नीतियों और प्रोडक्शन कैपेसिटी से बाजी पलट दी।

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रिकॉर्डतोड़ एक्सपोर्ट

पिछले फाइनेंशियल ईयर के पहले पांच महीनों में भारत ने 64,500 करोड़ रुपये के स्मार्टफोन एक्सपोर्ट किए थे। जबकि इस साल यह आंकड़ा 1 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया। यह 55 फीसदी की जबरदस्त वृद्धि है।

तुलना करें तो फाइनेंशियल ईयर 2023 में भारत ने पूरे साल भर में 90,000 करोड़ रुपये के स्मार्टफोन एक्सपोर्ट किए थे। वहीं, 2025 के शुरुआती महीनों में ही यह आंकड़ा पार हो चुका है। इससे साफ है कि भारत अब स्मार्टफोन एक्सपोर्ट में दुनिया का नया पावरहाउस बन चुका है।

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PLI स्कीम का बड़ा योगदान

इस सफलता का श्रेय भारत सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम को भी जाता है। यह स्कीम इलेक्ट्रॉनिक्स और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए गेमचेंजर साबित हुई है।

  1. 2021 में जहां भारत का वैल्यू एडिशन सिर्फ 5-6% था, वहीं 2025 तक यह बढ़कर 19% हो गया है।
  2. सरकार के मुताबिक, PLI स्कीम के तहत अब तक 50,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव मिल चुके हैं।
  3. इसका सीधा फायदा यह हुआ कि हर साल भारत का स्मार्टफोन एक्सपोर्ट औसतन 50% की दर से बढ़ रहा है।
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11 साल की यात्रा: 167वें से टॉप तक

भारत का स्मार्टफोन मैन्युफैक्चरिंग का सफर किसी प्रेरणा से कम नहीं है।

  1. 2015 में भारत एक्सपोर्ट रैंकिंग में 167वें नंबर पर था।
  2. लेकिन 2025 आते-आते भारत टॉप पोजिशन पर पहुंच गया है।
  3. पिछले साल यानी 2024 में भारत ने 2 लाख करोड़ रुपये के स्मार्टफोन एक्सपोर्ट किए थे।
  4. इस साल यह आंकड़ा और भी ज्यादा बढ़कर 30 से 35 अरब डॉलर (करीब 2.5-3 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंचने का अनुमान है।

यह सिर्फ आंकड़े नहीं, बल्कि भारत की मजबूत नीतियों, इंडस्ट्री की तेजी और वैश्विक स्तर पर बदलते समीकरण का नतीजा है।

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ग्लोबल कंपनियों की बढ़ती दिलचस्पी

Apple जैसी कंपनियां भारत को अब केवल एक मैन्युफैक्चरिंग बेस ही नहीं, बल्कि एक भविष्य के टेक हब के रूप में देख रही हैं।

  1. Foxconn, Tata Electronics और Wistron जैसी कंपनियां भारत में बड़े पैमाने पर निवेश कर रही हैं।
  2. चीन पर निर्भरता कम करने के लिए कई ग्लोबल ब्रांड अब भारत की ओर रुख कर रहे हैं।
  3. भारत की सस्ती लेबर, सरकार की प्रोत्साहन योजनाएं और बढ़ता घरेलू बाजार इन कंपनियों के लिए डबल बेनिफिट साबित हो रहा है।
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ट्रंप की रणनीति क्यों फ्लॉप हुई?

डोनाल्ड ट्रंप की रणनीति का उद्देश्य था अमेरिकी कंपनियों को वापस देश में मैन्युफैक्चरिंग के लिए लाना। लेकिन वैश्विक सप्लाई चेन और लॉजिस्टिक्स के हिसाब से कंपनियों के लिए यह संभव नहीं है।

Apple जैसे ब्रांड को न केवल कम कॉस्ट चाहिए बल्कि स्केलेबल प्रोडक्शन भी चाहिए, जो भारत जैसे देशों में आसानी से संभव है।

यानी ट्रंप का दबाव अमेरिका में नौकरियां बढ़ाने के लिए था, लेकिन नतीजा यह हुआ कि भारत का स्मार्टफोन एक्सपोर्ट और भी मजबूत हो गया।

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भारत के लिए आगे का रोडमैप

सवाल उठता है कि क्या भारत इस ग्रोथ को लंबे समय तक बनाए रख पाएगा? विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर सरकार PLI जैसी योजनाओं को और मजबूत करती रही और इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश बढ़ाती रही, तो भारत आने वाले 5 सालों में चीन को भी पीछे छोड़ सकता है।

  1. भारत का लक्ष्य है कि 2030 तक इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर से 300 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट हासिल किया जाए।
  2. स्मार्टफोन इसका सबसे बड़ा हिस्सा होंगे।
  3. साथ ही, भारत चिप मैन्युफैक्चरिंग और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट्स के क्षेत्र में भी तेजी से कदम बढ़ा रहा है।
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नतीजा

भारत ने साबित कर दिया है कि अगर सही नीतियां और इंडस्ट्री का सहयोग मिले, तो दुनिया की किसी भी चुनौती को अवसर में बदला जा सकता है। डोनाल्ड ट्रंप की धमकी भारत के लिए खतरा नहीं बनी, बल्कि एक अवसर में तब्दील हो गई।

आज भारत न सिर्फ ग्लोबल स्मार्टफोन मैन्युफैक्चरिंग का अहम हिस्सा है बल्कि आने वाले समय में यह पूरी दुनिया की टेक्नोलॉजी सप्लाई चेन का नेतृत्व कर सकता है।

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