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"राजद में दो फाड़? तेज प्रताप का बड़ा ऐलान... 'ब्लैक बोर्ड' पर लिखी नई सियासी पटकथा, तेजस्वी चुप क्यों?"

बिहार चुनाव 2025 में तेज प्रताप यादव ने अपनी नई पार्टी जनशक्ति जनता दल के चुनाव चिन्ह ‘ब्लैक बोर्ड’ का ऐलान किया। वे महुआ से चुनाव लड़ेंगे और सीधे-सीधे तेजस्वी यादव को चुनौती दी है। पढ़ें पूरी खबर।

"राजद में दो फाड़? तेज प्रताप का बड़ा ऐलान... 'ब्लैक बोर्ड' पर लिखी नई सियासी पटकथा, तेजस्वी चुप क्यों?"

"राजद में दो फाड़? तेज प्रताप का बड़ा ऐलान...

बिहार

12:15 PM, Sep 26, 2025

O News हिंदी Desk

बिहार चुनाव 2025: तेज प्रताप यादव का बड़ा दांव, ‘ब्लैक बोर्ड’ चुनाव चिन्ह से महुआ से लड़ेंगे चुनाव – तेजस्वी को सीधी चुनौती!

पटना: बिहार की सियासत में एक बार फिर बड़ा धमाका हुआ है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे और बिहार की राजनीति में अक्सर सुर्खियों में रहने वाले तेज प्रताप यादव ने आखिरकार अपनी अलग राह चुन ली है। उन्होंने अपनी नई पार्टी जनशक्ति जनता दल (JJD) के चुनाव चिन्ह का ऐलान कर दिया है। चुनाव आयोग से पार्टी को ‘ब्लैक बोर्ड’ का चिन्ह मिला है। साथ ही तेज प्रताप ने यह भी घोषणा कर दी है कि वे इस बार महुआ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे।

तेज प्रताप का यह कदम न सिर्फ़ बिहार की चुनावी राजनीति में नई हलचल पैदा कर रहा है, बल्कि इसे सीधा-सीधा तेजस्वी यादव के लिए चुनौती माना जा रहा है। आरजेडी पहले से ही बिहार में विपक्ष की सबसे बड़ी ताक़त मानी जाती है और तेजस्वी उसके मुख्य चेहरा हैं। ऐसे में बड़े भाई तेज प्रताप का अलग पार्टी बनाकर चुनाव लड़ना, परिवार और पार्टी दोनों के लिए बड़ी टेंशन का कारण बन गया है।

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तेज प्रताप का एलान – “अब आरजेडी में कभी नहीं लौटूंगा”

तेज प्रताप यादव ने साफ कर दिया है कि अब उनकी राजनीतिक राह पूरी तरह अलग है। उन्होंने कहा – “मैंने गीता और भगवान श्रीकृष्ण की कसम खाई है कि अब चाहे कोई कितनी बार बुलाए, मैं RJD में कभी वापसी नहीं करूंगा। मेरा मन साफ है और मैं अपने फैसले पर कायम हूं।”

यह बयान साफ करता है कि तेज प्रताप अब अपनी पहचान और राजनीतिक भविष्य को लेकर पूरी तरह गंभीर हैं। वे सिर्फ बाग़ी नेता नहीं, बल्कि खुद को एक स्वतंत्र विकल्प के तौर पर स्थापित करना चाहते हैं।

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ब्लैक बोर्ड क्यों बना चुनाव चिन्ह?

राजनीति में चुनाव चिन्ह की बड़ी अहमियत होती है। तेज प्रताप यादव ने अपनी पार्टी को मिला ब्लैक बोर्ड चुनाव चिन्ह अपनाते हुए इसे बेहद प्रतीकात्मक बताया। उन्होंने कहा कि ब्लैक बोर्ड शिक्षा, जागरूकता और नई शुरुआत का प्रतीक है।

“हमारी पार्टी बिहार के युवाओं, किसानों और गरीबों की असली आवाज बनेगी। ब्लैक बोर्ड का चिन्ह यह संदेश देगा कि बिहार में शिक्षा और विकास ही असली एजेंडा होना चाहिए। हम बिहार में एक नई व्यवस्था और संपूर्ण बदलाव के लिए लड़ेंगे।”

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सोशल मीडिया पर तेज प्रताप का संदेश

सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X (ट्विटर) पर तेज प्रताप ने लिखा –

“हम लोग बिहार के संपूर्ण विकास के लिए पूर्ण रूप से समर्पित और तत्पर हैं। हमारा मकसद बिहार में संपूर्ण बदलाव कर एक नई व्यवस्था का नव निर्माण करना है। हम लोग लंबी लड़ाई के लिए तैयार हैं।”

उनकी यह पोस्ट वायरल हो गई और राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का तूफान मच गया।

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तेजस्वी के लिए सीधी चुनौती?

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि तेज प्रताप का यह कदम सीधे तौर पर तेजस्वी यादव के लिए चुनौती है।

आरजेडी पहले ही नीतीश कुमार और बीजेपी के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने में जुटी है। ऐसे में तेज प्रताप का अलग पार्टी बनाकर मैदान में उतरना, विपक्षी एकजुटता को कमजोर कर सकता है।

कई जानकार मानते हैं कि भले ही जनशक्ति जनता दल अभी नई पार्टी है, लेकिन अगर तेज प्रताप को युवाओं और स्थानीय वोटरों का समर्थन मिला तो यह आरजेडी के वोट बैंक में सेंध लगा सकती है।

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तेज प्रताप यादव ने महुआ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का एलान किया है। महुआ पहले भी उनकी राजनीतिक कर्मभूमि रही है। उन्होंने कहा –

“मैं अपने दम पर राजनीति करूंगा। मेरा मकसद सिर्फ़ सत्ता नहीं, बल्कि जनता की असली आवाज बनना है। मेरी बहनें भी अगर चाहें तो मेरी पार्टी से चुनाव लड़ सकती हैं। उन्हें भी टिकट दिया जाएगा।”

इस बयान से साफ है कि तेज प्रताप अपनी नई पार्टी को परिवार तक फैलाना चाहते हैं, लेकिन तेजस्वी के खेमे से दूरी बनाए रखना भी उनकी रणनीति का हिस्सा है।

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आरजेडी में बढ़ी खलबली

तेज प्रताप के इस कदम से आरजेडी के भीतर खलबली मच गई है। पार्टी नेताओं के लिए यह बड़ा झटका है क्योंकि पहले ही बिहार में महागठबंधन (RJD + कांग्रेस + वाम दल) बीजेपी और एनडीए का मुकाबला करने में जुटा है।

अब सवाल यह है कि क्या तेज प्रताप की नई पार्टी महागठबंधन के वोटों को काटेगी और इसका सीधा फ़ायदा एनडीए को मिलेगा?

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राजनीतिक समीकरणों पर असर

  1. आरजेडी का वोट बैंक प्रभावित होगा – यादव और मुस्लिम वोटों में सेंध लग सकती है।
  2. महागठबंधन कमजोर होगा – विपक्षी एकजुटता को नुकसान।
  3. एनडीए को अप्रत्यक्ष लाभ – वोटों का बंटवारा होने से बीजेपी-जेडीयू गठबंधन को फायदा मिल सकता है।
  4. तेज प्रताप की लोकप्रियता की परीक्षा – यह चुनाव तय करेगा कि वे सिर्फ चर्चा में रहने वाले नेता हैं या ज़मीनी राजनीति में भी असर रखते हैं।
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जनता की नज़र – क्या मिलेगा समर्थन?

बिहार की जनता फिलहाल इंतजार की मुद्रा में है। तेज प्रताप अपने बयानों और विवादों की वजह से हमेशा सुर्खियों में रहे हैं। लेकिन जनता अब यह देखना चाहती है कि क्या वे गंभीर राजनीति कर पाएंगे या नहीं।

महुआ के स्थानीय वोटरों का कहना है कि तेज प्रताप अगर शिक्षा, रोजगार और विकास जैसे मुद्दों पर काम करें तो उन्हें निश्चित रूप से समर्थन मिलेगा।

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क्या तेज प्रताप बदलेंगे बिहार की राजनीति?

बिहार की राजनीति लंबे समय से जाति समीकरणों और परिवारवाद के इर्द-गिर्द घूमती रही है। तेज प्रताप का कदम इस राजनीति में नया मोड़ ला सकता है। वे खुद को “परिवार से अलग, लेकिन जनता के साथ” की छवि में पेश कर रहे हैं।

उनका यह प्रयोग सफल होगा या नहीं, यह तो आने वाला चुनाव ही बताएगा। लेकिन एक बात साफ है – तेज प्रताप यादव ने बिहार की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है और तेजस्वी यादव के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

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नतीजा – चुनावी संग्राम और दिलचस्प होगा

तेज प्रताप यादव का जनशक्ति जनता दल और उसका ब्लैक बोर्ड चुनाव चिन्ह अब बिहार चुनाव 2025 की सबसे चर्चित ख़बरों में शामिल हो चुका है। तेजस्वी यादव के लिए यह सबसे बड़ा पारिवारिक-पॉलिटिकल चैलेंज है। वहीं बीजेपी और एनडीए भी इस घटनाक्रम पर कड़ी नजर बनाए हुए हैं।

अब देखना दिलचस्प होगा कि जनता किसे चुनती है – तेजस्वी की आरजेडी या तेज प्रताप का नया राजनीतिक प्रयोग।

Source: News 18

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