उदयपुर फाइल्स: सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल बोले – “फिल्म देखकर हिल गया, यह समुदाय के खिलाफ नफरत है”
उदयपुर फाइल्स: सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल बोले – “फिल्म देखकर हिल गया, यह समुदाय के खिलाफ नफरत है”

उदयपुर फाइल्स पर सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल ने जताई कड़ी आपत्ति, कहा– यह फिल्म समुदाय विरोधी और हिंसक है।
new delhi
12:00 AM, Jul 16, 2025
O News हिंदी Desk
उदयपुर फाइल्स पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती: सिब्बल बोले- "फिल्म देखकर हिल गया, यह समुदाय विशेष के खिलाफ ज़हर है!"
नई दिल्ली।‘उदयपुर फाइल्स’पर मचे सियासी और सामाजिक बवाल के बीच आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। कोर्ट ने फिल्म पर लगीरोक को फिलहाल बरकराररखते हुए केंद्र सरकार की समिति से जल्द निर्णय लेने का निर्देश दिया है। वहीं वरिष्ठ अधिवक्ताकपिल सिब्बलने अदालत में बेहद गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा,"मैं खुद फिल्म देखकर हिल गया। इसमें एक समुदाय को अपमानित करने, हिंसा को भड़काने, और महिलाओं के प्रति घृणित दृश्य दिखाए गए हैं। अगर कोई जज भी देखे, तो उसे समझ आ जाएगा कि यह पूरी तरह नफरत फैलाने वाली फिल्म है।"
सिब्बल ने क्या-क्या उठाए सवाल?
कपिल सिब्बल ने कोर्ट में कहा कि:
- फिल्म समुदाय विशेष के खिलाफ नफरत फैलाने का एजेंडा चलाती है।
- महिलाओं और LGBTQ समुदाय के प्रति नकारात्मकता को प्रमोट करती है।
- न्यायिक प्रक्रिया का गलत और भ्रामक चित्रण किया गया है।
- भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में इस तरह की एजेंडा-आधारित फिल्म को मंजूरी देना चिंताजनक है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश क्या कहता है?
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा गठित समीक्षा समिति के फैसले का इंतजार करना ही उचित होगा। अगली सुनवाईसोमवारको निर्धारित की गई है। कोर्ट ने आदेश में यह भी दर्ज किया किकन्हैया लाल के बेटे को जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं, जिसेस्थानीय एसपी और पुलिस कमिश्नर द्वारा गंभीरता से लिया जाए।
याचिकाकर्ता कौन और क्या है मांग?
फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ पर रोक लगाने की याचिकाकन्हैया लाल हत्याकांडके आठवें आरोपीमोहम्मद जावेदकी ओर से दायर की गई है। याचिकाकर्ता की मांग है कि जब तक केस की कानूनी प्रक्रिया पूरी नहीं होती,फिल्म की रिलीज पर रोकबनी रहे। साथ ही ट्रेलर और प्रचार-प्रसार पर भी प्रतिबंध लगाने की बात कही गई है।
क्या बोले मौलाना अरशद मदनी?
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनीने भी फिल्म पर गंभीर आपत्ति जताते हुए कहा है किसेंसर बोर्ड द्वारा 55 दृश्य हटाने के बाद भी फिल्म में समुदाय विरोधी सोच बनी हुई है, औरप्रचार गतिविधियों से सामाजिक सौहार्द बिगड़ सकता है।