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Vande Bharat Train Owner: वंदे भारत ट्रेन का असली मालिक कौन? क्यों रेलवे हर साल देती है IRFC को करोड़ों का किराया

क्या आप जानते हैं वंदे भारत ट्रेन (Vande Bharat Express) का असली मालिक कौन है? भारतीय रेलवे हर साल IRFC को करोड़ों रुपये किराए के रूप में क्यों देती है? जानिए वंदे भारत ट्रेन और IRFC के इस फाइनेंशियल मॉडल की पूरी कहानी आसान भाषा में।

Vande Bharat Train Owner: वंदे भारत ट्रेन का असली मालिक कौन? क्यों रेलवे हर साल देती है IRFC को करोड़ों का किराया

Vande Bharat Train Owner: वंदे भारत ट्रेन का असली मालिक कौन?

delhi

12:29 PM, Sep 4, 2025

O News हिंदी Desk

वंदे भारत ट्रेन का असली मालिक कौन? रेलवे हर साल क्यों देती है करोड़ों का किराया? पूरा सच जानिए

नई दिल्ली: वंदे भारत एक्सप्रेस (Vande Bharat Express) आज भारत की सबसे आधुनिक और गर्व की ट्रेन मानी जाती है। देशभर में लोग इसे "भारत की बुलेट ट्रेन" कहकर पहचानते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस ट्रेन का असली मालिक कौन है? क्या ये पूरी तरह भारतीय रेलवे की है या फिर इसके पीछे कोई और कंपनी का हाथ है? और आखिर क्यों रेलवे हर साल इस ट्रेन के लिए करोड़ों रुपये "किराए" के रूप में चुकाती है? आइए इसे आसान भाषा में समझते हैं।

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वंदे भारत ट्रेन का मालिक कौन है?

सीधा जवाब है – भारतीय रेलवे। ये ट्रेनें इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF), चेन्नई और अन्य कोच फैक्ट्रियों में भारत में ही बनाई जाती हैं। यानी वंदे भारत "मेक इन इंडिया" का बेहतरीन उदाहरण है और पूरी तरह से भारत सरकार के स्वामित्व वाली भारतीय रेलवे की संपत्ति है।

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फिर 'किराए' का खेल क्या है?

यहीं आता है असली ट्विस्ट। रेलवे को हर साल हजारों नई ट्रेनें, इंजन, डिब्बे और इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने की जरूरत पड़ती है। इसके लिए अरबों-खरबों रुपये चाहिए होते हैं। इतने बड़े निवेश के लिए रेलवे सीधे पैसा खर्च करने के बजाय Indian Railway Finance Corporation (IRFC) से मदद लेती है।

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 IRFC क्या है और कैसे काम करता है?

  1. IRFC एक सरकारी फाइनेंस कंपनी है, जो सिर्फ भारतीय रेलवे के लिए पैसा जुटाती है।
  2. यह बॉन्ड्स और डिबेंचर्स के जरिए मार्केट से पैसा लेती है।
  3. फिर उस पैसे से नई ट्रेनें, इंजन और पटरियां खरीदकर रेलवे को लीज़ (किराए) पर देती है।
  4. रेलवे इन एसेट्स का इस्तेमाल करती है और बदले में हर साल IRFC को "लीज़ रेंटल" चुकाती है।
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कितना किराया देती है रेलवे?

ताजा आंकड़े बताते हैं कि वित्त वर्ष 2023-24 में रेलवे ने IRFC को ₹30,154 करोड़ का लीज़ किराया चुकाया।

  1. इसमें ₹17,078 करोड़ पूंजी (Capital)
  2. और ₹13,075 करोड़ ब्याज (Interest) शामिल था।

इन पैसों से IRFC मार्केट से लिए गए लोन और ब्याज चुकाता है।

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IRFC से ली गई संपत्तियां कितनी बड़ी हैं?

फाइनेंशियल ईयर 2023-24 के अंत तक रेलवे ने IRFC से लीज़ पर लिया:

  1. 12,731 इंजन
  2. 2,13,866 वैगन
  3. 72,329 कोच (जिसमें वंदे भारत के कोच भी शामिल हैं)
  4. और अन्य रेल मशीनें

इन सभी का मालिकाना हक भारतीय रेलवे के पास है, लेकिन वित्तीय मॉडल "लीज़ पर उपयोग" का है।

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इस मॉडल का फायदा क्या है?

✅ रेलवे पर एकमुश्त खर्च का बोझ कम होता है। ✅ तेज़ी से नई ट्रेनें और इंफ्रास्ट्रक्चर मिल जाते हैं। ✅ यात्रियों को जल्दी आरामदायक और आधुनिक सफर मिलता है। ✅ सरकारी कंपनी होने के कारण IRFC को मार्केट से कम ब्याज पर पैसा मिलता है।

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निष्कर्ष

वंदे भारत ट्रेन का असली मालिक भारतीय रेलवे ही है। लेकिन इन्हें खरीदने और तैयार करने के लिए पैसा IRFC का आता है। इसलिए रेलवे हर साल IRFC को "लीज़ रेंटल" के रूप में करोड़ों रुपये चुकाती है। यही कारण है कि वंदे भारत जैसी हाई-टेक ट्रेनें बिना वित्तीय दबाव के तेजी से पटरी पर दौड़ पा रही हैं और भारतीय यात्रियों को विश्वस्तरीय अनुभव दे रही हैं।

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