लालू को किडनी देने वाली बेटी रोहिणी आचार्य क्यों हुईं बागी? RJD के सोशल मीडिया अकाउंट अनफॉलो करने से मचा बवाल
RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने पार्टी के सभी सोशल मीडिया अकाउंट अनफॉलो कर दिए हैं। संजय यादव को लेकर नाराजगी जताने वाली रोहिणी के बागी तेवर ने बिहार चुनाव से पहले सियासत गरमा दी है।

रोहिणी आचार्य क्यों हुईं बागी-Onewshindi
delhi
4:25 PM, Sep 20, 2025
O News हिंदी Desk
लालू को किडनी देने वाली बेटी क्यों हुईं बागी? RJD के सभी सोशल अकाउंट अनफॉलो करने से मचा सियासी बवाल
पटना। बिहार की सियासत हमेशा से उतार-चढ़ाव और परिवारवाद की राजनीति के लिए जानी जाती रही है। लेकिन इस बार सुर्खियों में राजद (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का परिवार है। वजह है उनकी बेटी रोहिणी आचार्य (Rohini Acharya), जिन्होंने कुछ साल पहले अपने पिता को किडनी डोनेट कर नया जीवन दिया था। वही रोहिणी अब पार्टी और परिवार से खफा दिख रही हैं। ताज़ा घटनाक्रम में उन्होंने RJD के सभी सोशल मीडिया अकाउंट को अनफॉलो कर दिया है। इस कदम ने बिहार की सियासत में नई हलचल मचा दी है।
रोहिणी का बागी तेवर क्यों?
बीते दिनों तेजस्वी यादव की "बिहार अधिकार यात्रा" के दौरान विवाद शुरू हुआ। यात्रा के दौरान तेजस्वी के बगल में संजय यादव बैठे नज़र आए। इसी पर रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया पर आपत्ति जताई। उन्होंने सवाल उठाया कि पार्टी के बड़े नेताओं की मौजूदगी में संजय यादव की भूमिका इतनी अहम क्यों है?
इस पोस्ट के बाद रोहिणी सोशल मीडिया पर ट्रोल भी हुईं। लेकिन शुक्रवार को उन्होंने दो पोस्ट कर साफ संदेश दिया कि उनके लिए "आत्मसम्मान सर्वोपरि है"। अगले ही दिन खबर आई कि उन्होंने RJD के सभी सोशल मीडिया अकाउंट अनफॉलो कर दिए।

Rohini Acharya
RJD परिवार के भीतर कलह
राजद परिवार के भीतर कलह कोई नई बात नहीं है। कभी लालू के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव का बागी तेवर सुर्खियों में रहा, तो कभी मीसा भारती और तेजस्वी यादव के बीच ठंडी जंग की चर्चा रही। लेकिन इस बार मामला संवेदनशील इसलिए है क्योंकि रोहिणी वही बेटी हैं, जिन्होंने अपने पिता के लिए अपनी किडनी तक दान कर दी।
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि रोहिणी का यह कदम महज सोशल मीडिया एक्टिविटी नहीं, बल्कि एक "सियासी संदेश" है। यह साफ दिखाता है कि परिवार और पार्टी के भीतर सबकुछ ठीक नहीं है।
संजय यादव क्यों विवादों के केंद्र में?
संजय यादव, तेजस्वी यादव के बेहद करीबी माने जाते हैं। चुनावी रणनीति से लेकर पार्टी की सोशल मीडिया और ग्राउंड प्लानिंग तक, संजय यादव की अहम भूमिका रही है। लेकिन यही नजदीकी अब विवाद का कारण बन रही है।
रोहिणी आचार्य को लगता है कि पार्टी में वरिष्ठ नेताओं और परिवार के सदस्यों की जगह लगातार संजय यादव को दी जा रही है। यही वजह है कि उन्होंने खुलकर सोशल मीडिया पर नाराजगी जताई।
क्या रोहिणी पर पड़ा दबाव?
शुक्रवार देर रात रोहिणी ने एक्स (Twitter) पर दो पोस्ट किए और खुद को एक जिम्मेदार बेटी और बहन बताया। लेकिन शनिवार सुबह अचानक उनका अकाउंट प्राइवेट हो गया और सभी पोस्ट गायब हो गए।
राजनीतिक हलकों में सवाल उठने लगे हैं—क्या रोहिणी पर पार्टी या परिवार की तरफ से दबाव बनाया गया कि वे अपने पोस्ट हटाएं? हालांकि, इस पर आधिकारिक प्रतिक्रिया अब तक नहीं आई है।
लालू परिवार की चुनौतियां
लालू प्रसाद यादव की उम्र और स्वास्थ्य को देखते हुए अब पार्टी की बागडोर पूरी तरह से तेजस्वी यादव के हाथों में है। लेकिन परिवार के भीतर लगातार उठ रहे विवाद उनकी छवि को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
- पहले तेजप्रताप यादव ने खुले मंच से अपनी नाराजगी जताई।
- अब रोहिणी आचार्य के बागी तेवर सामने आए हैं।
- आने वाले विधानसभा चुनाव में यह कलह RJD के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है।
चुनावी समय में क्यों अहम है विवाद?
बिहार विधानसभा चुनाव नज़दीक हैं। इस समय विपक्षी दल NDA और INDIA गठबंधन की सियासत में सीट शेयरिंग, रणनीति और जातीय समीकरणों पर गहमागहमी है। ऐसे समय में RJD परिवार के भीतर का विवाद पार्टी की छवि पर सीधा असर डाल सकता है।
मतदाताओं को संदेश जा रहा है कि राजद परिवार ही आपसी कलह में उलझा है, तो बिहार की सत्ता संभालने का दावा कैसे कर सकता है?
सोशल मीडिया का असर
आज की राजनीति में सोशल मीडिया की भूमिका बेहद अहम है। रोहिणी आचार्य द्वारा पार्टी के सभी सोशल मीडिया अकाउंट अनफॉलो करना महज निजी फैसला नहीं, बल्कि एक "राजनीतिक स्टेटमेंट" माना जा रहा है।
इससे यह संदेश गया कि वे पार्टी की मौजूदा रणनीति और नेतृत्व से असहमत हैं। यही वजह है कि यह खबर सिर्फ पटना ही नहीं, दिल्ली तक के सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन गई है।

Rohini's post
क्या रोहिणी नया मोर्चा खोलेंगी?
बड़ा सवाल यह है कि क्या रोहिणी आचार्य आगे चलकर RJD से दूरी बना लेंगी? या फिर यह विवाद सिर्फ अस्थायी है और परिवार के भीतर ही सुलझ जाएगा?
कुछ राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि रोहिणी आचार्य अपनी नाराजगी जताकर पार्टी नेतृत्व को चेतावनी देना चाहती हैं। जबकि दूसरी तरफ यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर मतभेद गहराए, तो वे खुलकर पार्टी लाइन के खिलाफ जा सकती हैं।
जनता का नजरिया
बिहार की जनता इस विवाद को "परिवारिक राजनीति का नया एपिसोड" मान रही है। लोगों का कहना है कि लालू परिवार में हर चुनाव से पहले इसी तरह का विवाद सामने आता है।
लेकिन इस बार मामला थोड़ा अलग है, क्योंकि रोहिणी ने सिर्फ बयानबाजी ही नहीं, बल्कि ठोस कदम (सोशल मीडिया अनफॉलो) उठाया है। यह कदम पार्टी और जनता दोनों के लिए बड़ा संदेश है।
निष्कर्ष
रोहिणी आचार्य का यह कदम दिखाता है कि RJD परिवार में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। संजय यादव को लेकर उठे विवाद ने पार्टी की अंदरूनी राजनीति को सतह पर ला दिया है।
अब देखना यह होगा कि क्या तेजस्वी यादव अपनी बहन को मनाने में सफल होंगे, या फिर यह विवाद चुनावी मौसम में पार्टी के लिए सिरदर्द साबित होगा।
Source: Ndtv