"क्या इस बार खुलेंगे जातियों के असली आंकड़े? 2027 की जनगणना में हो सकता है बड़ा खुलासा!"
"क्या इस बार खुलेंगे जातियों के असली आंकड़े? 2027 की जनगणना में हो सकता है बड़ा खुलासा!"

"क्या इस बार खुलेंगे जातियों के असली आंकड़े? 2027 की जनगणना में हो सकता है बड़ा खुलासा!"
12:00 AM, Jun 4, 2025
O News हिंदी Desk
Caste Census 2027: 17 साल बाद फिर होगी जातीय जनगणना, 1 मार्च से देशभर में शुरू होगा बड़ा सर्वेक्षण अभियान
📅नई दिल्ली | 4 जून 2025
भारत में17 साल बाद एक बार फिर राष्ट्रीय जनगणनाकी तैयारी जोरों पर है।सूत्रों के अनुसार, जनगणना प्रक्रिया 1 मार्च 2027 से पूरे देश में शुरूहोगी। खास बात यह है कि इस बारजातिगत आंकड़ों (Caste Census 2027)को भी शामिल किया जाएगा, जिससे यह जनगणना ऐतिहासिक मानी जा रही है।
मुख्य बिंदु (Key SEO Highlights):
- जातिगत जनगणना 2027की शुरुआत 1 मार्च से होगी।
- पहाड़ी क्षेत्रों में 1 अक्टूबर 2026 से जनगणना शुरू।
- 2011 के बाद पहली बार राष्ट्रीय जनगणना।
- जातीय डेटा के आधार पर नीति निर्धारण की संभावनाएं।
जातिगत जनगणना क्यों है खास?
देशभर में लंबे समय सेजाति आधारित जनगणना की मांगउठती रही है। राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों और पिछड़े वर्गों के नेताओं ने इसेनीतिगत योजनाओं और आरक्षण की प्रभावशीलता को समझने का जरियाबताया है।2027 की जनगणना में पहली बार जातीय आंकड़ों को दर्ज करने का निर्णय, सामाजिक न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
जनगणना दो चरणों में होगी, उत्तर के पहाड़ी क्षेत्रों से होगी शुरुआत
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भारत सरकार की योजना के अनुसार,जनगणना दो चरणों में आयोजित की जाएगी।पहाड़ी और कठिन इलाकों में मौसम की अनिश्चितता को देखते हुए,लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में जनगणना 1 अक्टूबर 2026 से ही शुरू हो जाएगी।इसके बाद 1 मार्च 2027 से पूरे देश में इसका दूसरा चरण शुरू किया जाएगा।
2011 के बाद पहली बार जनगणना, कोविड ने डाला था असर
गौरतलब है किपिछली जनगणना वर्ष 2011 में की गई थी, और2021 की जनगणना कोविड-19 महामारी के चलते स्थगित हो गई थी।अब 2027 में होने वाली यह जनगणना न सिर्फ जनसंख्या, बल्किआर्थिक, सामाजिक और जातीय आंकड़ोंका भी गहराई से विश्लेषण करेगी।
किस अधिनियम के तहत होती है जनगणना?
भारत की जनगणना,जनगणना अधिनियम 1948 और जनगणना नियम 1990के अंतर्गत आयोजित की जाती है। यह सरकार द्वारा किया जाने वाला सबसे व्यापक डेटा-संग्रहण अभ्यास है, जोनीतियों, योजनाओं और बजट निर्धारण के लिए अत्यंत महत्वपूर्णहोता है।