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अमेरिका पर मंडराया मंदी का खतरा | कोविड से भी ज्यादा गंभीर हालात | Moody’s चेतावनी

मूडीज ने चेतावनी दी है कि अमेरिका इस समय मंदी के मुहाने पर खड़ा है। रिपोर्ट के अनुसार हालात कोविड महामारी से भी ज्यादा गंभीर हैं। नौकरियों पर संकट, महंगाई में तेजी और टैरिफ नीति का असर आम अमेरिकियों पर पड़ रहा है। जानिए किन राज्यों पर मंदी का सबसे ज्यादा असर है और इसका भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

अमेरिका पर मंडराया मंदी का खतरा | कोविड से भी ज्यादा गंभीर हालात | Moody’s चेतावनी

अमेरिका पर मंडराया मंदी का खतरा

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12:07 PM, Sep 8, 2025

O News हिंदी Desk

अमेरिका पर मंडराया मंदी का खतरा: कोविड से भी ज्यादा गंभीर हालात, नौकरियों और महंगाई पर दोहरा संकट

नई दिल्ली, 8 सितंबर 2025। दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था कहलाने वाला अमेरिका आज एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है, जहां मंदी का खतरा पहले से कहीं ज्यादा गंभीर रूप ले चुका है। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज (Moody’s) ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि मौजूदा हालात कोविड महामारी के दौर से भी ज्यादा खतरनाक हो सकते हैं। एजेंसी का कहना है कि अगर तुरंत ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो इसका सबसे बड़ा असर सीधे आम अमेरिकी नागरिकों पर पड़ेगा।

ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी बनी मुश्किल की जड़

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बीते महीनों में दुनियाभर के कई देशों पर भारी टैरिफ (आयात शुल्क) लगा दिए थे। ट्रंप का दावा था कि इससे अमेरिका की घरेलू इंडस्ट्री को मजबूती मिलेगी और विदेशों पर निर्भरता घटेगी। लेकिन अब वही रणनीति उलटी पड़ती नजर आ रही है। मूडीज का कहना है कि इन टैरिफ्स की वजह से अमेरिका में आयातित सामान महंगा हो गया है। नतीजतन, महंगाई तेजी से बढ़ रही है और आम लोगों की जेब पर बोझ बढ़ चुका है।

मूडीज चीफ इकनॉमिस्ट की चेतावनी

मूडीज के चीफ इकनॉमिस्ट मार्क जैंडी का कहना है कि अमेरिका पहले ही मंदी की गिरफ्त में आ चुका है। उनका दावा है कि कई राज्य गहरे आर्थिक संकट में हैं, जबकि बाकी राज्य उसके मुहाने पर खड़े हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि मार्क जैंडी वही अर्थशास्त्री हैं जिन्होंने 2008 की वैश्विक मंदी का पहले से अंदाजा लगाया था। उनकी भविष्यवाणी सटीक साबित हुई थी और अब वे एक बार फिर गंभीर चेतावनी दे रहे हैं।

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दोहरा संकट: महंगाई और बेरोजगारी

मार्क जैंडी का कहना है कि इस बार अमेरिकी नागरिकों को दोहरा संकट झेलना पड़ सकता है।

  1. महंगाई का बोझ – रोजमर्रा की चीजें महंगी हो रही हैं। खाने-पीने का सामान, गैस, तेल और दवाइयों तक की कीमतें बढ़ रही हैं।
  2. रोजगार का संकट – अमेरिकी जॉब मार्केट लगातार कमजोर हो रहा है। नौकरियां घट रही हैं और सरकारी विभागों में भी कटौती हो रही है।

इससे आम अमेरिकियों की आमदनी और खर्च के बीच संतुलन बिगड़ता जा रहा है।

किन राज्यों पर असर सबसे ज्यादा

मूडीज रिपोर्ट के मुताबिक मंदी का असर अमेरिका के कई बड़े राज्यों में साफ दिख रहा है।

  1. कैलिफोर्निया और न्यूयॉर्क जैसे विकसित राज्यों में कंपनियां खर्च घटा रही हैं।
  2. वॉशिंगटन डीसी, वायोमिंग, मोंटाना, मिनेसोटा, मिसिसिपी, कंसास और मैसाचुसेट्स जैसे राज्यों में भी संकट गहराता जा रहा है।
  3. कई राज्यों में सरकारी नौकरियों में कटौती शुरू हो चुकी है, जिससे बेरोजगारी और बढ़ रही है।

मंदी के संकेत

अमेरिकी अर्थव्यवस्था की स्थिति पर नजर डालें तो कई आंकड़े खतरे की घंटी बजा रहे हैं।

  1. महंगाई दर 2.7% पर पहुंच चुकी है, और विशेषज्ञों का कहना है कि यह जल्द ही 4% के पार जा सकती है।
  2. साल 2025 में जॉब मार्केट बेहद कमजोर रहा है। इस साल औसतन हर महीने केवल 85,000 नई नौकरियां जुड़ी हैं।
  3. तुलना करें तो कोविड काल में भी यह आंकड़ा करीब 1.75 लाख प्रति माह था।
  4. इसका मतलब है कि महामारी से भी बुरे हालात पैदा हो चुके हैं।

कोविड से भी बड़ा खतरा क्यों?

कोविड महामारी के दौरान अमेरिका ने बड़े पैमाने पर फाइनेंशियल स्टिमुलस (आर्थिक पैकेज) जारी किया था, जिससे अर्थव्यवस्था संभल गई थी। लेकिन इस बार हालात अलग हैं।

  1. अमेरिकी सरकार पहले से भारी कर्ज में डूबी है।
  2. वैश्विक स्तर पर चीन और रूस जैसे देशों के साथ व्यापारिक तनाव बढ़ गया है।
  3. डॉलर की मजबूती घट रही है और निवेशक भरोसा खो रहे हैं।

यानी इस बार हालात को संभालना कहीं ज्यादा मुश्किल साबित हो सकता है।

आम नागरिकों पर असर

अमेरिकी मंदी का सबसे बड़ा खामियाजा सीधे आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है।

  1. खाने-पीने का सामान, पेट्रोल-डीजल और गैस महंगा हो चुका है।
  2. नौकरी की सुरक्षा खत्म हो रही है। कई कंपनियां कर्मचारियों को निकाल रही हैं।
  3. छोटे कारोबारी और स्टार्टअप्स निवेश न मिलने से बंद हो रहे हैं।
  4. घर खरीदना और किराया देना मुश्किल हो रहा है।

भारतीयों पर क्या असर?

अमेरिकी मंदी का असर केवल वहां के नागरिकों तक सीमित नहीं रहेगा। इसका सीधा असर भारत समेत पूरी दुनिया पर पड़ सकता है।

  1. अमेरिका भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाजार है। अगर वहां मांग घटी तो भारतीय कंपनियों की आय पर असर पड़ेगा।
  2. आईटी सेक्टर की कंपनियां, जिनकी बड़ी कमाई अमेरिका से होती है, मुश्किल में आ सकती हैं।
  3. डॉलर कमजोर होने पर रुपया और अधिक दबाव में आ सकता है।

निवेशकों के लिए खतरे की घंटी

मंदी की आशंका ने वैश्विक शेयर बाजारों में भी खलबली मचा दी है।

  1. अमेरिकी स्टॉक मार्केट में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है।
  2. निवेशकों का भरोसा घट रहा है और वे सुरक्षित विकल्प जैसे सोना और बॉन्ड की ओर रुख कर रहे हैं।
  3. भारत समेत एशियाई बाजारों पर भी इसका असर दिख रहा है।
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क्या है आगे का रास्ता?

विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका को इस संकट से उबरने के लिए तुरंत कदम उठाने होंगे।

  1. सबसे पहले टैरिफ नीति की समीक्षा करनी होगी।
  2. घरेलू बाजार को राहत देने के लिए टैक्स कटौती और सब्सिडी जैसे कदम उठाने होंगे।
  3. रोजगार सृजन के लिए नई नीतियां बनानी होंगी।
  4. वैश्विक साझेदारों के साथ रिश्तों को सुधारना होगा, ताकि व्यापार फिर से तेज हो सके।

निष्कर्ष

आज जब पूरी दुनिया अमेरिका को एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में देखती है, ऐसे समय में वहां मंदी की आशंका पूरे ग्लोबल सिस्टम के लिए खतरे की घंटी है। मूडीज की चेतावनी इस ओर इशारा करती है कि अगर जल्द समाधान नहीं निकाला गया, तो हालात कोविड महामारी से भी ज्यादा बुरे साबित हो सकते हैं।

महंगाई और बेरोजगारी का दोहरा संकट आम अमेरिकी नागरिकों की जिंदगी मुश्किल बना रहा है। वहीं, इस मंदी का असर पूरी दुनिया पर दिखेगा। भारत को भी अपने निर्यात, रोजगार और विदेशी निवेश पर पड़ने वाले असर के लिए तैयार रहना होगा।

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